एक परिवार की अनूठी पहल,एक साथ 12 सदस्यांे ने की देहदान की घोषणा

 एक परिवार की अनूठी पहल,एक साथ 12 सदस्यांे ने की देहदान की घोषणा

-प्रदेश मंे एक साथ सबसे बड़े देहदान की घोषणा की सराहना।

-सामाजिक सुधार के बाद देहदान के जरिए मानव सेवा का संदेश।

- देहदान की घोषणा करने वाली तीन पीढ़ी मंे दादा,पिता,पोते के साथ पुत्रवधु भी शामिल।



बाड़मेर, 28 मार्च। बाड़मेर जिले की अमी मोहम्मद शाह की बस्ती के लुभावास निवासी धोखलोनी एवं कनाणी परिवार ने देहदान की घोषणा करते हुए अनूठी मिसाल कायम की है। एक ही परिवार के 12 सदस्यांे ने शुक्रवार को प्रमुख चिकित्सा अधिकारी एवं अस्पताल अधीक्षक डा.बी.एल.मंसूरिया को विधिवत देहदान घोषणा पत्र सौंपे। देहदान की घोषणा करने वालांे मंे 72 साल के बुजुर्ग 72 साल, 28 साल के पोते के साथ कुछ महिलाएं भी शामिल हैं।

बाड़मेर जिले की धनाऊ पंचायत समिति के अमी मोहम्मद शाह की बस्ती के लुभावास गांव निवासी धोखलोनी एवं कनाणी परिवार ने मानव सेवा के संकल्प को साकार करते हुए देहदान की घोषणा की है। एक ही परिवार के 12 सदस्यों ने शुक्रवार को देहदान के संकल्प पत्र मेडिकल कॉलेज संबंद्ध जिला अस्पताल अधीक्षक ड़ॉ बीएल मंसुरिया को सौंपे। देहदान की घोषणा करने वालों में कमला देवी, गुड्डी देवी, वीरो देवी, शांति देवी, रुपो देवी, वीरो देवी, रतनाराम सेजू, व्याख्याता त्रिलोकाराम सेजू, अध्यापक डालूराम सेजू, शंकरलाल सेजू, मनमोहन सेजू,रायमल राम सेजू शामिल है। इसमें सबसे बुजुर्ग रतनाराम सेजू और वीरो देवी है, जो कि 72 साल के है। जबकि सबसे युवा 28 वर्षीय गुड्डी देवी है। देहदान की घोषणा करने वालांे मंे तीन पीढी के सदस्य दादा,पिता एवं पोते के साथ पुत्रवधु तथा कुछ अन्य महिलाएं शामिल है। यह राजस्थान मंे पहला मौका है, जब एक साथ इतनी तादाद मंे एक ही परिवार के लोगांे ने देहदान करने की पहल की है। एक ही परिवार के 12 सदस्यों ने देहदान की घोषणा पर डॉ बीएल मंसुरिया ने कहा कि देहदान की सराहनीय पहल है। उनके मुताबिक बाड़मेर जिले मंे देहदान एवं अंगदान को लेकर खासी जागरूकता आई है। उन्हांेने बताया कि यह राजस्थान मंे पहला मौका है जब इतनी तादाद मंे एक ही परिवार के लोगांे ने देहदान का संकल्प लिया है। इससे मेडिकल कॉलेज मंे चिकित्सकांे को मानव शरीर संबंधित प्रायोगिक परीक्षण मंे मदद मिलेगी। उन्हांेने देहदान करने वालांे का आभार जताते हुए कहा कि इससे अन्य लोगांे को भी प्रेरणा मिलेगी। देहदान की घोषणा करने वाले रतनाराम सेजू ने बताया कि उनका परिवार सामाजिक सुधार के कार्यों मंे तत्पर रहता है। कुछ समय पूर्व उन्हांेने मृत्युभोज जैसी कुरीति पर अंकुश लगाने की पहल की थी। अब वे देहदान के लिए आगे आए है। उन्हांेने बताया कि मृत्यु के उपरांत उनके शरीर मानव सेवा के लिए काम आए, इससे बड़ी क्या बात हो सकती है। सरहदी बाड़मेर जिले मंे देहदान की यह पहल निसंदेह अन्य लोगांे को प्रेरित करने का कार्य करेगी। व्याख्याता त्रिलोकाराम सेजू ने बताया कि मृत्यु के उपरांत आमतौर पर अंतिम संस्कार के अलावा मानव शरीर की कोई उपयोगिता नहीं रहती। हमारा परिवार काफी समय से सोच रहा था कि कुछ ऐसा कार्य किया जो मानव सेवा के लिए काम आए। इसको लेकर हमने सामूहिक रूप से देहदान का संकल्प लेते हुए विधिवत घोषणा पत्र राजकीय चिकित्सालय प्रशासन को सौंपे है। मृत्यु के उपरांत हमारा शरीर निसंदेह मानव सेवा के लिए काम आएगा। चिकित्सकीय परीक्षण के साथ नए चिकित्सक बेहतरीन चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराएंगे, जो कई लोगांे को जीवनदान देने का कार्य करेंगे।

सामाजिक सुधार के बाद देहदान का संकल्पः अमी मोहम्मद शाह की बस्ती के लुभावास निवासी सेजू परिवार ने कुछ समय पहले मृत्युभोज जैसी सामाजिक कुरीति पर अंकुश लगाते हुए सामाजिक सुधार की पहल की थी। अब इन्हांेने सामूहिक रूप से देहदान का संकल्प करते हुए अनूठी मिसाल कायम की है।


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