बुधवार, 21 मार्च 2018

जयपुर: इलाज के नाम पर 4 माह की मासूम के साथ दरिंदगी, गरम लोहे की छड़ से दागा गया



जयपुर: राजस्थान के भीलवाडा जिलें के कारोई थाना क्षेत्र में सर्दी जुकाम से पीड़ित एक चार माह की मासूम को उपचार के लिये गरम लोहे की छड से दागने की घटना सामने आई है. पुलिस ने बताया कि घायल पीड़िता को जिले के एक अस्पताल की आईसीयू में भर्ती कराया गया. थानाधिकारी सुनील चौधरी ने बताया कि रामाखेडा गांव की चार माह की मासूम नंदिनी को तबियत बिगड़ने पर भीलवाडा के महात्मा गांधी अस्पताल की आईसीयू में भर्ती कराया गया. उन्होंने बताया कि मामला प्रकाश में तब आया जब चिकित्सकों ने मासूम को गरम लोहे की छड़ से दागने के बारे में बताया.




उन्होंने बताया मासूम को दो दिन पूर्व गरम लोहे की छड़ से दागा गया था लेकिन मामले का खुलासा आज हुआ. उन्होंने बताया कि बाल कल्याण समिति की ओर से दर्ज शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच की जा रही है.अस्पताल के एक चिकित्सक ने बताया कि बच्ची के पेट पर गरम लोहे की छड़ से दागा गया है. महात्मा गांधी अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक डा ओ पी आगल ने बताया कि मासूम निमोनिया और दिल की बीमारी से पीडित है. भीलवाडा में अंधविश्वास के चलते सर्दी जुकाम के उपचार के लिये गरम लोहे की छड़ से दागा जाता है.


जयपुर: इलाज के नाम पर 4 माह की मासूम के साथ दरिंदगी, गरम लोहे की छड़ से दागा गया
जयपुर: इलाज के नाम पर 4 माह की मासूम के साथ दरिंदगी, गरम लोहे की छड़ से दागा गया

मासूम का गहन चिकित्सा इकाई में उपचार जारी है. उन्होंने बताया कि भीलवाडा में अंधविश्वास की यह पहली घटना नहीं है. इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं और कई मासूमों की जान जा चुकी है.बता दें कि यूं तो लोकनृत्यों की अपनी खासियत होती है. लेकिन राजस्थान में प्रचलित अग्नि नृत्य अपनी अलग ही पहचान रखता है. इसी तरह का एक आयोजन 19 मार्च को बीकानेर के लूणकरणसर में किया गया था. यहां जसनाथ जी महाराज की पूजा के लिए जागरण का आयोजन किया गया था. इस दौरान जसनाथी सम्प्रदाय के पारंपरिक नर्तकों ने आंगारों पर डांस कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. कहा जाता है कि जसनाथी सम्प्रदाय के लोग जसनाथ जी महाराज को अपना गुरु मानते हैं और उनके सम्मान में आंगारों पर डांस करते हैं. इस पारंपरिक अग्नि नृत्य को देखने दूर-दूर से लोग यहां पहुंचे थे. 

अग्नि नृत्यकला की शुरुआत बीकानेर जिले के कतरियासर गांव से हुई थी. कहा जाता है कि जसनाथी सम्प्रदाय के मतानुयायी जाट सिद्ध कबीले के पुरुष बाबा जसनाथ जी के सम्मान में यह नृत्य प्रस्तुत करते हैं. जसनाथी सम्प्रदाय के लोगों का मानना है कि नृत्य में केवल पुरुष भाग ले सकते हैं. स्त्रियों का इसमें हिस्सा लेना वर्जित है. 

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