शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

अजमेर,पाठ्यक्रम में जुड़ेगी महर्षि परशुराम की जीवनी परशुराम जयन्ती पर शिक्षा राज्यमंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने की घोषणा



अजमेर,पाठ्यक्रम में जुड़ेगी महर्षि परशुराम की जीवनी

परशुराम जयन्ती पर शिक्षा राज्यमंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने की घोषणा

सभी सरकारी स्कूलों की लाइब्रेरी में रखवायी जाएगी महर्षि परशुराम से संबंधित पुस्तकें

अजमेर, 28 अप्रेल। शिक्षा एवं पंचायतीराज राज्यमंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि वर्तमान में युवा पीढ़ी को महर्षि परशुराम के जीवन चरित्रा एवं आदर्शों से सीख लेने की आवश्यकता है। धर्म की रक्षा के लिए महर्षि परशुराम का योगदान भारतीय संस्कृति में अद्वितीय है। विद्यार्थियों को इन आदर्शों से अवगत कराने के लिए आगामी सत्रा से राज्य सरकार के स्कूलों के पाठ्यक्रम में महर्षि परशुराम का पाठ भी जोड़ा जाएगा। महर्षि परशुराम से संबंधित पुस्तकें सरकारी स्कूलों की लाइब्रेरी में भी रखवायी जाएगी।

शिक्षा एवं पंचायतीराज राज्यमंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने आज भारतीय शिक्षण मण्डल द्वारा महर्षि परशुराम जयन्ती पर तोपदड़ा स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि महर्षि परशुराम शस्त्रा और शास्त्रा के ज्ञाता थे। जब-जब धर्म संकट में आया उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अद्वितीय योगदान दिया। कोई भी पुराण परशुराम के बिना पूरा नहीं होता। युवा पीढ़ी को धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा के लिए परशुराम से यह सीख लेनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जगत गुरू शंकराचायर्, रामस्नेही सम्प्रदाय के रामदयाल महाराज एवं निम्बार्क पीठ के श्रीजी महाराज से चर्चा के दौरान यह मत सामने आया था कि युवा पीढ़ी को संस्कारों से अवगत कराने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा धर्म गुरूओं को पाठ्यक्रम में जोड़ना चाहिए। राज्य सरकार युवाओं को संस्कारवान बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। पाठ्यक्रम में महापुरूषों, वीरों, वीरांगनाओं तथा धर्म से जुड़े प्रेरक व्यक्तित्वों की जीवनियां जोड़ी जा रही है ताकि हमारे युवा उनसे सीख ले सके।

प्रो. देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले तीन सालों में यह प्रयास किया है कि मैकाले की जो शिक्षा पद्धति भारतीय जनमानस पर जबरन थोप दी गई थी। उसे दूर कर भारतीय संस्कारों से युक्त शिक्षा विद्यार्थियों को दी जाए। हम इस उद्देश्य में काफी हद तक सफल भी हुए है। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों को संस्कारवान शिक्षा के लिए अपना सहयोग प्रदान करें।

समाजसेवी श्री सुनील दत्त जैन ने कहा कि आज शिक्षा के क्षेत्रा में चरित्रा व राष्ट्र निर्माण की सीख देने वाली शिक्षा की आवश्यकता है ताकि विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिले। हम ना सिर्फ सुयोग्य विद्यार्थी बल्कि योग्यतम शिक्षक भी तैयार करें ताकि मैकाले की शिक्षा पद्धति के दोषों को अति शीघ्र दूर किया जा सके। यह प्रयास लगातार जारी रहना चाहिए।

शिक्षाविद् डाॅ. बद्रीप्रसाद पंचोली ने कहा कि भारतीय समाज की विशेषता और ताकत उसकी संस्कृति में है। हमें बलशाली और योग्य होना है तो भारतीय संस्कृति को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करना ही होगा। देश की आजादी के पश्चात संस्कृति का संवर्द्धन करने का प्रयास लगातार धीमा पड़ता गया। हमें अपने इतिहास से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए। कार्यक्रम को अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन श्री रामनिवास गालव ने किया।




भामाशाह राजस्थान की संस्कृति में शामिल, अब बनाएंगे संस्कृत विभाग का भवन

शिक्षा एवं पंचायतीराज राज्यमंत्राी ने किया संभागीय संस्कृत शिक्षाधिकारी कार्यालय भवन का शिलान्यास

भामाशाह सेठ श्री नेमीचन्द, सीतादेवी तोषनीवाल चेरीटेबल ट्रस्ट ने भवन निर्माण के लिए दिए 22 लाख रूपए


अजमेर, 28 अप्रेल। शिक्षा एवं पंचायतीराज राज्यमंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि भामाशाह राजस्थान की संस्कृति में शामिल हैं। अनादिकाल से भामाशाह राजस्थान की तरक्की में अपना योगदान देते रहे है। अब अजमेर में संस्कृत शिक्षा विभाग का नया भवन भी भामाशाह के सहयोग से तैयार करवाया जाएगा। भामाशाह सेठ श्री नेमीचंद तोषनीवाल, सीतादेवी तोषनीवाल चेरीटेबल ट्रस्ट कोलकाता द्वारा अजमेर में संस्कृत शिक्षा भवन के लिए 22लाख रूपये की सहायता दी गई है।

शिक्षा एवं पंचायतीराज राज्य मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर आज तोपदड़ा स्थित शिक्षा संकुल में सम्भागीय संस्कृत शिक्षाधिकारी कार्यालय भवन का शिलान्यास किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि राजस्थान के विकास में भामाशाहों का अतुलनीय योगदान रहा है। अनादिकाल से भामाशाह समाज के उत्थान, विकास एवं आम नागरिकों की सुविधाओं के लिए अपना आर्थिक व सामाजिक योगदान देते रहे है। महाराणा प्रताप को तो भामाशाह ने अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया ताकि वे युद्ध भूमि में अकबर से पूरे जोश और संसाधनों के साथ लोहा ले सके। राजस्थान के शहरों में धर्मशालाओं, विद्यालयों, प्याउ एवं ऐसे ही अनेक निर्माण कार्य है जो भामाशाहों की स्मृति को चिरस्थायी बनाएं रखें हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में राजस्थान सरकार भामाशाहों के सहयोग से कई विकास कार्य करवा रही है। सरकारी स्कूलों के साथ ही शहरों व गांवों के विकास में भामाशाहों ने दिल खोल के सहयोग दिया है। मुख्यमंत्राी जल स्वावलम्बन अभियान भामाशाहों के सहयोग की जीती जागती मिसाल है। राजस्थान सरकार संस्कृत के विकास के लिए पूरा ध्यान दे रही है। सरकार संस्कृत शिक्षा के उन्नयन व संवर्द्धन के लिए किसी तरह की कमी नहीं आने देगी।

कार्यक्रम में लक्ष्मी मन्दिर कडक्का चैक के महंत श्री श्यामशरण जी देवाचार्य तथा भामाशाह प्रेरक डाॅ. रामगोपाल जाट ने भी विचार व्यक्त किए।










महिला एवं बाल विकास मंत्राी श्रीमती भदेल ने किया स्कूटी वितरण

विशेष पिछड़ा वर्ग की 12 छात्राएं हुई लाभान्वित


अजमेर, 28 अप्रेल। महिला एवं बाल विकास मंत्राी श्रीमती अनिता भदेल ने शुक्रवार को सम्राट पृथ्वीराज चैहान राजकीय महाविद्यालय में आयोजित देवनारायण छात्रा स्कूटी वितरण समारोह में विशेष पिछड़ा वर्ग की 12 प्रतिभावान बालिकाओं को स्कूटी वितरित की।

वितरण समारोह को संबोधित करते हुए श्रीमती भदेल ने कहा कि बालिकाओं ने मेरिट में उच्च स्थान प्राप्त कर राज्य में समाज, जिले एवं परिवार का नाम रोशन किया है। इन बालिकाओं को प्रोत्साहित करने तथा शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्कूटी प्रदान की जाती है। इस स्कूटी का उपयोग करके बालिकाएं उच्च शिक्षा प्राप्त करेगी। विशेष पिछड़ा वर्ग की छात्राओं को परिवहन की सुविधा प्राप्त होगी।

उन्होंने कहा कि अक्ष्य तृतीया के अवसर पर भारतीय संस्कृति में अबूज सावे सम्पन्न किए जाने का प्रावधान है। समय के साथ इसमें कई प्रकार की बाल विवाह जैसी कुरीतियां शामिल हो गई है। वर्तमान में बाल विवाह कानूनी के साथ-साथ एक सामाजिक अपराध है। इससे दूर रहने के लिए सम्पूर्ण समाज को जागरूक किया जाना आवश्यक है। समाज में शिक्षा के बढ़ने से इस तरह कुरीतियों से छूटकारा पाया जा सकता है। बालिकाओं में जागरूकता पैदा होने से वे परिवार एवं समाज को सकारात्मक दिशा में ले जा सकती है।

महाविद्यालय की छात्रा अंजु ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि बालिका शिक्षा के माध्यम से बेटियां अपने पैरो पर खड़ा हो सकती है।

इन छात्राओं को मिली स्कूटी

समारोह में सम्राट पृथ्वीराज चैहान राजकीय महाविद्यालय की हर्षिता गुर्जर,सीमा, भावना गुर्जर, अनुष्का कसाना, सोनिया गुर्जर, राजकीय कन्या महाविद्यालय की रेखा देवी रायका, पूजा देवी, ममता, राजकीय महाविद्याय किशनगढ़ की पुष्पा देवी, संतोष गुर्जर, शिवानी गुर्जर एवं राजकीय महाविद्यालय नसीराबाद की नेहा गुर्जर को स्कूटी वितरित की गई।

महिला एवं बाल विकास मंत्राी ने की स्कूटी की सवारी

स्कूटी वितरण के पश्चात राजकीय कन्या महाविद्यालय की पूजा देवी ने महिला एवं बाल विकास मंत्राी श्रीमती अनिता भदेल को स्कूटी पर बैठाकर काॅलेज में भ्रमण करवाया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. एस.पी.देव सहित महाविद्यालय के आचार्य एवं अभिभावक उपस्थित थे।


कंगारू मदर केयर की कार्यशाला आयोजित

आंगनबाड़ी केन्द्रों के कार्मिकों को किया जाएगा प्रशिक्षित

अजमेर, 28 अप्रेल। महिला एवं बाल विकास मंत्राी श्रीमती अनिता भदेल ने शुक्रवार को इंडोर स्टेडियम सभागार में कंगारू मदर केयर की कार्यशाला में कमजोर शिशु को विशेष देखभाल के लिए जागरूकता बढ़ाने का आह्वान किया।

श्रीमती भदेल ने कहा कि स्निप परियोजना के अन्तर्गत बी.आर.जी प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण में क्षेत्रा के समस्त कमजोर शिशु की पहचान कर उनके खतरे से बाहर आने तक कंगारू मदर केयर के माध्यम से उपचार किया जाना चाहिए। ऐसे शिशु जिनका वजन 2 किलो ग्राम या उससे कम है, प्रिमैच्योर अथवा स्तनपान करने में असमर्थ है को इस प्रकार से देखभाल की जानी चाहिए। यह देखभाल बच्चे के वजन बढ़ने, स्वतः स्तनपान करने तक जारी रखी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण के माध्यम से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की कार्यक्षमता में वृद्धि की जाएगी। विभाग के द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में इससे सुधार आएगा। विभाग द्वारा प्रत्येक केन्द्र को उपलब्ध करवायी गई पुस्तकों को केन्द्र में रखकर आने वाले बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। केन्द्रों पर गतिविधियां आयोजित कर बच्चों में अच्छे संस्कार प्रदान किए जाते है।

उन्होंने कहा कि विभाग के द्वारा महिला सुपरवाईजर के लिए संचालन निर्देशिका जारी की गई है। इसमें विभागीय निर्देशों को संकलित किया गया है। विभाग से जुड़े हुए समस्त नियमों के एक स्थान पर उपलब्ध होने से केन्द्र एवं उससे जुड़े क्रियाकलापों को आसानी से सम्पादित किया जा सकेगा। परिपत्रों को समझने में उच्चाधिकारियों का भी पूरा सहयोग रहेगा। इससे मुख्यालय के माध्यम से मांगे जााने वाले अनावश्यक मार्गदर्शन से बचा जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक महिला सुपरवाइजर का यह दायित्व है कि अपने क्षेत्रा के समस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों का समय पर निरीक्षण करें। निरीक्षण के दौरान केन्द्र को व्यवस्थित करवाना चाहिए। आंगनबाड़ी केन्द्रों को समय पर खुलवाकर उसका लाभ क्षेत्रा के बच्चों एवं महिलाओं को दिलाया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। निरीक्षण् के पश्चात सुपरवाइजर को वास्तविक तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी पाठशाला केन्द्र को प्रभावी बनाये जाने के लिये समाज के प्रत्येक वर्ग का सहयोग अपेक्षित है। केन्द्र पर संचालित होने वाली समस्त विभागीय गतिविधियों के क्रियान्वयन का दायित्व हम सभी का है। केन्द्र को अब आंगनबाड़ी पाठशाला केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है जिसके तहत केन्द्र पर सामाजिक सरोकार से जुडे कार्यक्रम विभागीय मापदण्डों के अनुरूप संचालित किए जा रहे है। महिलाओ ंएवं बालिकाओं को पोष्टिक आहार के साथ-साथ बाल्यावस्था शैक्षणिक गतिविधि का माहौल भी तैयार किया जाता है। केन्द्र पर बच्चों का ठहराव अधिक-अधिक सुनिश्चित हो उन्हें समयबद्व रूप से उत्तम गुणवत्तापूर्ण पोष्टिक आहर उपस्थिति के आधार पर मिले एवं उसी अनुरूप उनका भुगतान सुनिश्चित हो। यह सभी कार्य विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के समन्वित प्रयास के माध्यम से किया जाए ।

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुये उन्होंने कहा कि स्नीप कार्यक्रम के तहत केन्द्रों पर महिलाओं की गोदभराई का कार्यक्रम एक पहल के रूप में सरकार द्वारा किया जा रहा है। इसके विभिन्न चरणों पर समय-समय पर विभागीय अधिकारियेां एवं कर्मचारियेां की कार्यशाला आयोजित की जाती है। विभागीय गतिविधियों एवं कार्यक्रमो के संचालन में सभी अधिकारी एवं कर्मचारीगण पूर्ण सर्तकता एवं सजगता से अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन कर विभागीय येाजनाओं का लाभ लाभन्वित वर्ग को समयबद्व रूप से पहुंचावें ।

महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक डाॅ. समित शर्मा ने कहा कि विभाग निर्धारित 6 सेवाएं पात्रा बच्चों एवं महिलाओं तक पहंुचााने के लिए ढृढ संकल्पित है। प्रातः 7.30 बजे सहायिका को केन्द्र खोलकर उसे व्यवस्थित करना चाहिए। कार्यकर्ता को 7.45 तक केन्द्र में उपस्थित होकर व्यवस्थाओं को सुचारू करना चाहिए। प्रातः 8 बजे से केन्द्र में बच्चों का आना आरम्भ होकर गतिविधियां संचालित की जानी चाहिए। उन्होंने फरीदाबाग के आंगनबाड़ी केन्द्र के कार्य की सराहना की। वहां की बालिका सिमरन के द्वारा 100 तक गिनती एवं 4 तक पहाड़े लिखने एवं सुनाने को सबके लिए अनुकरणीय बताया। निरीक्षण के दौरान इस केन्द्र पर उपस्थित बच्चों ने बाल कविताओं का वाचन भी किया। फरीदाबाग केन्द्र की सहायिका मीना नाथ को उत्कृष्ठ कार्य एवं बेहतरीन केन्द्र संचालन के लिए प्रशस्ति पत्रा देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से “स्निप” कार्यक्रम के परिणाम बहुत ही सकारात्मक रूप से सामने आये है इससे उत्साहित होकर इसे ओर प्रभावी बनाया जा रहा है ।

इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की उप निदेशक श्रीमती अनुपमा टेलर, बाल विकास अधिकारी श्री नितेश यादव सहित जिले के समस्त सीडीपीओ एवं महिला सुपरवाइजर उपस्थित थी।




आंगनबाड़ी केन्द्रों का किया औचक निरीक्षण

जारी किए गए नोटिस


अजमेर, 28 अप्रेल। समेकित बाल विकास सेवाएं के निदेशक एवं विशिष्ट शासन सचिव डाॅ. समित शर्मा ने अजमेर जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों का शुक्रवार को औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कमी पाए जाने पर संबंधित के विरूद्ध नोटिस जारी किए गए।

आंगनबाड़ी केन्द्रों के निरीक्षण के लिए विभागीय अधिकारियों की चार टीमे गठित की जिनके द्वारा जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों का आकस्मिक निरीक्षण किया गया।निदेशक डाॅं.समित शर्मा महिला एवं बाल विकास विभाग की उप निदेशक डाॅं अनुपमा टेलर ने सर्वप्रथम प्रातः 07ः30 बजे से ही संयुंक्त रूप से बाल विकास परियेाजना, अजमेर शहर के फरीदाबाग, गौतम नगर, साधूबस्ती, उसरी गेट, कुम्हार पाड़ा, चटाई मोहल्ला, पड़ाव, आशांगज का निरीक्षण किया गया । फरीदाबाग केन्द्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के प्रशिक्षण में बाहर होने के बावजूद भी केन्द्र को सुव्यवस्थित रूप से सहायिका एवं आशा-सहयोगिनी द्वारा संचालित किया जाना पाया गया । इस पर निदेशक ने केन्द्र की सहायिका श्रीमती मीना नाथ को प्रशस्ति पत्रा दिये जाने के निर्देश प्रदान किये ।

निदेशक डाॅ. शर्मा ने विभिन्न आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पायी गई कमियों में सुधार की आवश्यकता पर बल देते हुये मौके पर ही केन्द्र पर उपस्थित कार्यकर्ता, सहायिका, आशा-सहयोगिनी को निर्देशित किया कि राज्य सरकार द्वारा अंागनबाड़ी केन्द्रों को आंगनबाड़ी पाठशाला केन्द्र के रूप में विकसित किये जाने पर सभी की जिम्मेदारी समाज एवं बच्चों के प्रति अब बढ़ गयी है । अतः केन्द्र की व्यवस्थाओं को उत्तरोत्तर ओर अधिक प्रभावी बनाया जाए।

बाल विकास परियोजना अधिकारी श्री नितेश यादव के द्वारा भोपों का बाड़ा, कुन्दननगर, पलटन बाजार, कालू की ढ़ाणी, इन्द्राकाॅलोनी, घूघरा घाटी का निरीक्षण किया। इन केन्द्रो पर केन्द्र के संचालन में पायी गयी कमियों को दुरूस्त करवाये जाने के मौके पर ही निर्देश दिये गये।

केन्द्र निरीक्षण के तृतीय दल बाल विकास परियोजना अधिकारी श्रीमती सरस्वती बुन्देल ने उनके परियेाजना परिक्षेत्रा के केन्द्र बोराज के तीन आंगनबाड़ी केन्द्रों का आकस्मिक निरीक्षण किया। केन्द्र निरीक्षण के चतुर्थ देल में सीडीपीओ श्रीमती अनुराधा सेठने किशनगढ़ तथा अजमेर शहर के भोपो का बाड़ा व लोहाखान केन्द्रों का निरीक्षण किया ।

डाॅ.समित शर्मा ने केन्द्रों के निरीक्षण किये जाने पर समीक्षा उपरान्त परियेाजना अजमेर शहर के 08 आंगनबाड़ी केन्द्रो के 20 मानदेय कर्मियों को मानदेय सेवा से पृथक करने से पूर्व एक बार सुनवाई का अवसर प्रदान करने के निर्देश दिए। साथ ही चार महिला पर्यवेक्षकों को भी कारण बताओं नोटिस जारी कर केन्द्र की व्यवस्था में सुधारने के निर्देश जारी किए गए। इनके द्वारा केन्द्रों की व्यवस्था सुधारने की समीक्षा आगामी एक माह या विडियोकान्फे्रसिंग के माध्यम से की जाएगी । इससे पूर्व 26, अप्रैल 2017 को निदेशालय की गुप्त टीम द्वारा किशनगढ़ परियोजना में सलेमाबाद ग्राम पंचायत के तीन केन्द्रों का औचक निरीक्षण करवाया गया। संबंधित महिला पर्यवेक्षकों को भी कारण बताओं नोटिस जारी कर व्यवस्था सुचारू करने के निर्देश दिये गये । कार्य में कौताही बरतने पर 2 लिपिकों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किए गए है।

डाॅ. शर्मा द्वारा पीपीटी के माध्यम से विभागीय समीक्षा के बैठक के दौरान विभाग के नवाचार के तहत व्हाट्सएप आधारित मोनिटरिंग व ओडीके कलैक्ट एप्प की समीक्षा करते हुऐ श्रीमती सरस्वती बुन्देंल, की प्रशंसा की व प्रात 8.15 तक निरीक्षण की रिपोर्ट नहीं डालने वालों के लिये उपनिदेशक श्रीमती अनुपमा टेलर को संबंधित से समय पर पालना सुनिश्चित करने के निर्देश प्रदान किए। निरीक्षण के दौरान प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा, मानदेय कर्मियों की उपस्थिति, गरम पोषाहार की उपलब्धता, बच्चों की उपस्थिति के संबंध में समीक्षा करते हुए गम्भीरता के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।

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