मंगलवार, 14 मार्च 2017

PALI : पढ़ाई के दबाव से परेशान चौथी कक्षा के छात्र ने रची खुद के अपहरण की कहानी

PALI : पढ़ाई के दबाव से परेशान चौथी कक्षा के छात्र ने रची खुद के अपहरण की कहानी

PALI : पढ़ाई के दबाव से परेशान चौथी कक्षा के छात्र ने रची खुद के अपहरण की कहानी
पाली. पढ़ाई के दबाव से चौथी कक्षा का छात्र दीपक (कोई आहत ना हो, इसलिए नाम बदला गया है) इतना परेशान हो गया कि उसने टीवी सीरियल देखकर खुद के अपहरण की झूठी कहानी रच ली। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने गहनता से पड़ताल की तो इसका खुलासा हुआ। पुलिस ने परिजनों को बालक का ख्याल रखने के साथ ही पढ़ाई के लिए अत्यधिक दबाव नहीं डालने की हिदायत दी है।

रामदेव रोड चौकी प्रभारी प्रेमप्रकाश ने बताया कि शहर निवासी एक व्यक्ति ने नौ मार्च को अपने भतीजे के अपहरण का मामला दर्ज करवाया। इस पर पुलिस ने जांच शुरू की। बालक ने जो रास्ता बताया, उस रास्ते में आने वाले सारे सीसीटीवी फुटेज खंगाले। लोगों से पूछताछ की लेकिन, अपहरणकर्ता फुटेज में नजर नहीं आए। आखिरकार बालक से अकेले में प्यार से पूछताछ की तो उसने बताया कि परीक्षा चल रही थी। परिजन पढ़ाई के लिए परेशान न करें, इसलिए वह सात मार्च को घर से अकेला निकल गया और चादर वाले बालाजी पाल से होते हुए मिलगेट आबकारी विभाग के कार्यालय तक पहुंच गया। कुछ देर वहां बैठने के बाद वापस घर आया और चाचा को स्वयं के अपहरण की झूठी कहानी बता दी।

क्राइम सीरियल देख की हरकत

बालक ने पूछताछ में बताया कि टीवी पर आने वाले एक क्राइम सीरियल को देखने के बाद उसके मन में खुद के अपहरण की झूठी कहानी रचने का ख्याल आया।

पहले यह बताई थी कहानी

सात मार्च को बालक ने अपने चाचा को बताया कि टोपी पहने तीन युवक बाइक पर आए। किसी के मकान के बारे में जानकारी मांगी। उसने मना किया तो जबरदस्ती बाइक पर बिठाया। चिल्लाने पर जान से मारने की धमकी दी। चादर वाले बालाजी मार्ग से होते हुए उसे रेलवे स्टेशन की ओर ले जाने लगे। आबकारी भवन के निकट पेशाब करने का बहाना कर उन बदमाशों के चंगुल से भाग आने की बात बताई थी।

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एक्सपर्ट कमेंट

- बच्चों को डांटे नहीं, प्यार से समझाएं

गत माह हाउसिंग बोर्ड निवासी एक होनहार स्कूली छात्रा ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। अब महज दस वर्षीय बालक ने अपने अपहरण की झूठी कहानी रची। जो साफ दर्शाता है कि परीक्षा में नम्बर कम आने पर परिजनों से मिलने वाली डांट से बचने के लिए उसने यह सब किया। बच्चे से ज्यादा इस मामले में परिजनों की गलती मानता हूं। जो अपने बच्चे की दिल की बात समझने में नाकाम रहे। परिजनों को समझना चाहिए कि हर बच्चे की क्षमता अलग-अलग होती है। बच्चों को पढ़ाई के लिए प्यार से समझाना चाहिए कि अभी पढ़ाई पर ध्यान दोगे तो भविष्य सुखद रहेगा। दबाव डाला जाएगा तो बच्चे डिप्रेशन में आएंगे और अपने दिल की बात बताने से डरेंगे और गलत कदम उठाएंगे। इसलिए जरूरी है कि बच्चों की क्षमताओं को समझा जाए। उनसे प्यार से पेश आए न कि छोटी-छोटी बातों पर उन्हें डांटा जाए।

- डॉ. दलजीतसिंह, मनोरोग चिकित्सक, बांगड़ अस्पताल, पाली

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