शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

PAK सीनेट ने पास किया ऐतिहासिक हिंदू मैरिज बिल, हिंदुओं को मिलेंगे ये अधिकार



PAK सीनेट ने पास किया ऐतिहासिक हिंदू मैरिज बिल, हिंदुओं को मिलेंगे ये अधिकार

पाकिस्तान सिनेट ने चार महीने की चर्चा के बाद पास किया हिंदू मैरिज बिल




पाकिस्तान की सीनेट ने बहुप्रतिक्षित हिंदू मैरिज बिल को पारित कर दिया है. कानून मंत्री जाहिद हमीद ने शनिवार को यह बिल सीनेट के समक्ष रखा, जिस पर किसी ने विरोध दर्ज नहीं कराया और यह बिल पास हो गया.




नेशनल असेंबली करीब चार महीने पहले इस बिल को पास कर चुका है और अब सीनेट की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून अमल में आ जाएगा. इसके बाद पाकिस्तान के पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वां प्रांत में देश के अल्पसंख्यक हिंदुओं को अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कराने का अधिकार मिल जाएगा. यहां सिंध प्रांत में हिंदुओं को पहले ही विवाह पंजीकरण का अधिकार हासिल है.




पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस विधेयक में हिंदुओं की शादी, परिवार, मां और बच्चे को सुरक्षा प्रदान करने की बात की गई है. विधेयक में हिंदुओं की शादी के लिए लड़के और लड़की की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है. वहीं अन्य धर्मों के नागरिकों के लिए न्यूनतम विवाह उम्र पुरुषों के मामले में 18 साल और लड़कियों के मामले में 16 साल है. इस कानून का उल्लंघन करने पर छह महीने की जेल और 5,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है.




इस विधयक में यह भी प्रावधान है कि विवाहित दंपति में से कोई एक अगर धर्म परिवर्तन कर लेता है, तो दूसरे साथी कोर्ट में तलाक की अर्जी दे सकता है. वहीं तलाकशुदा हिंदुओं को फिर से शादी करने की भी इजाजत मिलेगी.




इस कानून के लागू होने के बाद हिंदू समुदाय के सदस्य शादी को पंजीकृत कराने के अलावा शादी टूटने के मामलों में अदालत में अपील कर सकेंगे. इसके मुताबिक मुसलमानों कि निकाहनामा की तरह ही हिंदुओं को भी अपने शादी के प्रमाण का दस्तावेज मिलेगा, जिसे 'शादीपरात' कहा जाएगा.




पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को यह हक दिलाने के लिए काम कर रहे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि विवाह का सबूत हिंदू महिलाओं को अधिक सुरक्षा मुहैया करेगा. शादी का रजिस्ट्रेशन होने पर कम से कम उनके कुछ खास अधिकार सुनिश्चित होंगे. गौरतलब है कि पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी करीब 20 लाख है और वहां नैशनल असेंबली ने 10 महीने की चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित किया था.







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