गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

अलवर.राजस्थानी छात्रों ने बनाया 'एंटी थिप्ट डिवाइस', जो चोरियां रोकेगा, चोरों को भ्रमित कर पुलिस को भी इन्फोर्म करेगा



अलवर.राजस्थानी छात्रों ने बनाया 'एंटी थिप्ट डिवाइस', जो चोरियां रोकेगा, चोरों को भ्रमित कर पुलिस को भी इन्फोर्म करेगा
राजस्थानी छात्रों ने बनाया 'एंटी थिप्ट डिवाइस', जो चोरियां रोकेगा, चोरों को भ्रमित कर पुलिस को भी इन्फोर्म करेगा

जरूरी नहीं कि जो पेरेंट्स चाहें वही पढ़ाई करें या वही काम करें, जरूरी ये है कि जो आप चाहते हैं और सोचते हैं उसी पर आगे बढें। हंसते-हंसाते जुटेंगे तो कामयाब होंगे। जो आपका जी नहीं चाहे उसके लिए हार्ड वर्क भी न करें, बस तय कर लें कि जो पसंद है उसी में अपना करियर है।




लेकिन ऐसा भी नहीं कि आपको किसी गलत काम में मजा आता है, तो वो करें। नहीं, सोच अच्छी हो। रास्ते वहीं हैं जिनके लिए आप किसी के कहने से नहीं बल्कि खुद चलने की सोचकर आगे बढ़ते हों।'




कुछ इसी अंदाज में राजस्थान में ग्रामीण अंचल के तीन छात्रों ने अपना भविष्य तो बनाया ही, दूसरों के लिए भी प्रेरणा बने। खुद तपकर दूसरों के लिए रोशनी फैला रहे हैं। अलवर में बहरोड़ के रहने वाले ये तीन युवा हैं राहुल यादव, साहिल और देवेंद्र। उम्र कोई 19-22 साल। जिनके पग 'मेक इन इंडिया' व डिजिटल एजुकेशन को बढ़ावा देते हुए दौड़ रहे हैं।




2014 में तीनों ने विज्ञान वर्ग से 12वीं पास की, घरवाले आगे पढ़ाना चाहते थे। लेकिन लीक से हटकर करने के हौंसले से इन्होंने पढ़ाई थामकर प्रेक्टिकल्स की दुनिया में कदम रखा। शुरु में एक्सप्लोसिव डिवाइस व अन्य टेक्नीक्स के प्रयोग किए, फिर जीपीएस चैटिंग एप तैयार किया। इसके बनने के बाद तीनों ने सोचा कि वे स्टूडेंट्स को महंगी पढ़ाई, कोचिंग्स व रिवीजन पीरियड से इतर एप्स के जरिए तैयारी करने की सुविधा देंगे। बेहद कम समय में 100 से ज्यादा फ्री एजुकेशन एप्स का लोकार्पण किया। इनमें कई राज्यों के बोर्ड पाठयक्रम, जिले व तहसीलों से जुड़ी जानकारियां, एसएसी-बी-एड, आरएसएस व अन्य करियर-कोर्स शामिल हैं।




इस उपलब्धि के साथ ही उन्हें न सिर्फ अलवर, राजस्थान बल्कि देशभर में 'टीन इंडियंस' के तौर पर पहचान मिली। कई जगह कई कार्यक्रमों में उन्हें हस्तियों द्वारा सम्मानित किया गया। धीरे-धीरे टीमवर्क तैयार हुआ और वे एप्स डेवलपिंग से भी आगे बढ़कर और डिवाइसेस तैयार करने लगे।




राहुल कहते हैं कि समय के साथ-साथ अपराध करने वालों के तरीके भी बदल रहे हैं, इसलिए हमने उनसे निपटने के लिए हाइ-सेफ्टी डिवाइस लोगों को मुहैया कराने का सपना देखा है। यह डिवाइस अगले वर्ष में मार्केट में आ जाएगा। इसकी खासियत यह होगी कि इसके जरिए चोर की उक्त एरिया में हर मूवमेंट पता चल सकेगी और यह उनके लिए विशेष 'डिजिटल लॉक' जैसा हानिकारक भी साबित होगा। इसके अलावा एयरमेसेंजर, मनी ट्रांसफर एवं विद्युत बनाने जैसे डिवाइस के लिए भी कई कंपनियों से करार हुआ है।




ऐसा है 'एंटी थिप्ट डिवाइस'

कई विशेष फीचर्स से लैस इस डिवाइस को 'चोरी रोधक यंत्र' नाम दिया गया है। इसके जरिए लोग अपने घर और व्यापारिक संस्थान जैसे दुकान, ऑफिस, बैंक, एटीएम, यावर्कशॉप को पूरी तरह सुरक्षित रख सकते हैं।




- जिस भवन में ये डिवाइस लगा होगा, अगर कोई उसमें प्रवेश करने की कोशिश करे तो ये तुरंत सर्वर को सूचित करेगा। जैसे ही वह व्यक्ति दरवाजे ये शटर को छूता है, यह यंत्र एक बहुत ही तीव्र अलार्म देगा। जिससे आस-पड़ोस में रहने वाले सभी लोगों को पता चल जाता है की वहां कुछ गड़बड़ है।

- चूंकि, यह 24 घंटे सर्वर से कनेक्ट रहेगा। अत: किसी भी तकनिकी समस्या की स्थिति में मालिक को कुछ ही मिनटों में खबर मिल जाती है। इसे बंद करना या नियंत्रित करना भवन के मालिक के अतिरिक्त और किसी के बस की बात नहीं है।




- यूजर इसे चाहे तो अपने मोबाइल फोन से भी नियंत्रित कर सकते हैं तथा स्टार्ट या बंद भी कर सकते हैं। यह डिवाइस पॉवर बैंक के साथ आता है जिससे ये बिनाबिजली के भी आसानी से काम करता रहता है।




- व्हाइट फॉग एक्सप्लोशन के साथ ही यह डिवाइस भवन के मालिक को सूचना देदेता है ताकि वह जल्दी से जल्दी वहा पहुच सके। साथ ही साथ यह सूचना नजदीकी पुलिस थाने में भी पहुंचा दी जाती है ताकि पुलिस जल्दी से जल्दी मौके पर पहुँच कर उस चोर को रंगे हाथों पकड़ सके।

- और भी कई खासियतें हैं जिनसे चोरों के हौसले पस्त हो जाएंगे।




उन्हें कई बड़े मीडिया हाउस व कंपनीज में नौकरी का ऑफर भी मिला, लेकिन वह यह सब पैसे के लिए नहीं बल्कि समाज हित व डिजिटल इंडिया में योगदान देने हेतु कर रहे हैं। आज हजारों बच्चे-व्यस्क लोग उनके एप्स और मेहनत के दीवाने हैं।




इमरान से ज्यादा स्ट्रगल, टेक टेस्ट्स

राजस्थान में उनसे पहले एक शिक्षक इमरान खान, जिन्होंने कई एप्स तैयार किए। मोबाइल से पढ़ाई का सपना पूरा कराने की जिद से कई कोर्सेस के टॉस्क भी एप्स में प्रोवाइड कराए। पीएम मोदी ने लंदन में उनका जिक्र किया और राजस्थान सरकार की ओर से उन्हें मदद मिली। लेकिन, इन तीन होनहारों की संघर्षयात्रा कहीं ज्यादा लंबी है। बिना किसी बाहरी मदद खुद के दम पर रात-दिन लगे रहते हैं और कहते हैं कि हमने हार्डवर्क नहीं किया... !




RDS को गूगल ने दिया रेस्पॉन्स

प्ले स्टोर पर उनके एप्स तो हैं ही, तीनों के नाम के अनुरूप आरडीएस (राहुल, देवेंद्र, साहिल) कंपनी भी लोगों के बीच पॉपुलर है। गूगल पर आरडीएस एजुकेशन टॉप ट्रेंड में बने रहता है।

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