शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

झालावाड़ मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन के कार्यों का निरीक्षण किया



झालावाड़ मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन के कार्यों का निरीक्षण किया

झालावाड़ 22 सितम्बर। पंचायत समिति मनोहरथाना क्षेत्र में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के अन्तर्गत प्रथम चरण में हुए कार्यों का जनप्रतिनिधियों द्वारा निरीक्षण किया गया।

विकास अधिकारी के.सी. मीणा ने बताया कि जनप्रतिनिधियों द्वारा महात्मा गांधी नरेगा, सिंचाई विभाग, वाटरशेड व अन्य विभागों द्वारा किये गये कार्यों का निरीक्षण किया गया तथा तकनीकी कार्मिकों द्वारा मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत हुए कार्यों के बारे में जानकारी दी गई। निरीक्षण के दौरान उप प्रधान कमेलश लोधा, जनपद गोकुल लोधा, रामकैलाश तंवर व तकनीकी कार्मिक एवं एमजेएसए के द्वितीय चरण में शामिल ग्राम पंचायतों बड़बद, कामखेड़ा, जावर, बनेठ, चंदीपुर, शोरती तथा समरोल के जनपद, सरपंच, सचिव व वार्ड पंच आदि सम्मिलित थे।

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कृषक निर्वाचन हेतु मण्डी क्षेत्र का विभाजन

झालावाड़ 22 सितम्बर। कृषि उपज मण्डी समिति भवानीमण्डी का चुनाव राजस्थान कृषि उपज मण्डी अधिनियम 1961 एवं इसके अधीन बने राजस्थान कृषि उपज मण्डी नियम 1963 के अन्तर्गत कराये जायेंगे। कृषक प्रतिनिधियों के निर्वाचन क्षेत्र हेतु मण्डी क्षेत्र का विभाजन किया जाना है।

प्राधिकृत अधिकारी (निर्वाचन) कृषि उपज मण्डी समिति भवानीमण्डी कमल सिंह यादव ने बताया कि कृषि उपज मण्डी समिति भवानीमण्डी के क्षेत्र को 8 भागों में विभक्त किया जाना प्रस्तावित है इसमें भाग संख्या 1 में गुराडियाकलां, आवर, पगारिया, बिस्तुनिया ठिकरिया, सिंहपुर, करावन, खोखरियाकलां, सिलेगढ़, मिश्रोली, भाग संख्या 2 में सरोद, भैसानी, आंकखेड़ी, नाहरघट्टा, नारायण खेड़ा, कुण्डीखेड़ा, गुराड़िया जोगा, गुढ़ा, गुराड़िया माना, नगर पालिका क्षेत्र भवानीमण्डी, भाग संख्या 3 में सुलिया, मोगरा, आवंली, अलावा, घटोद, गरनावद, पिपलिया, छत्रपुरा, भीलवाड़ी, भाग संख्यां 4 में कनवाड़ी, चछलाव, गादिया, सोयला, सालरी, रायपुर, दिवलखेड़ा, दुबलिया, सलोतिया, भाग संख्या 5 में सेमलीखाम, सुनेल, सामरिया, कड़ोदिया, उन्हैल, सिरपोई, सेमला, कुण्डलाप्रताप, माथनिया, भाग संख्या 6 में सुवास, ढाबलाखींची, बोलिया बुर्जुग, पिताखेड़ी, ओसाव, काली तलाई, बानोर, फतहगढ़, हिम्मतगढ़, भाग संख्या 7 में खैराना, सांगरिया, गैलानी, गोविन्दपुरा, सिलोरी, डोला, ओरियाखेड़ी, धरोनिया, कोटड़ी एवं भाग संख्या 8 नोलाई, रमायदलपत, ढाबलाभोज, दांता, सेरपुर, रामपुरिया, सरखेड़ी, हरनावदा गजा, नगर पालिका क्षेत्र पिड़ावा प्रस्तावित हैं।

उक्त अधिनियम के अन्तर्गत कृषक प्रतिनिधियों का निर्वाचन मण्डी क्षेत्र की संस्थाओं, ग्राम पंचायतों (सरपंच सहित) पंचायत समिति एवं जिला परिषद के सदस्यों द्वारा किया जायेगा। उक्त विभाजन के संबंध में सभी संबंधित मतदाता यदि कोई आपत्ति हो तो 28 सितम्बर सायं 5 बजे तक जिला कलक्टर एवं प्राधिकृत अधिकारी (निर्वाचन) कृषि उपज मण्डी समिति भवानीमण्डी को प्रस्तुत कर सकते हैं। निर्धारित समयावधि के पश्चात् प्राप्त होने वाली आपत्ति पर विचार नहीं किया जायेगा। समयावधि में प्राप्त आपत्ति का समुचित निराकरण कर विभाजन को अन्तिम रूप दिया जायेगा जो अन्तिम होगा।

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संतरा की अच्छी फसल के लिए काली मक्खी काली मस्सी की रोकथाम
झालावाड़ 23 सितम्बर। जिले मे स्थापित संतरा बगीचों में कहीं-कहीं पर काली मक्खी के कारण काली फंफूद (सूटी मॉंल्ड) का प्रकोप दिखाई दे रहा है। ऐसे में कृषक अनुषंषित रसायनों का छिडकाव कर बगीचों को कीट-व्याधि से मुक्त रखा जा सकता है। काली मस्सी के प्रकोप से संतरा बगीचों को हटायंे व काटें नही, षिड्यूल अनुसार प्रतिवर्ष अप्रेल, जुलाई एवं दिसम्बर माह में कीटनाषक एवं फंफूदनाषक का छिडकाव कर इसका पूर्ण नियंत्रण किया जा सकता है।

कृषि विज्ञान केन्द्र के कीट रोग वैज्ञानिक डॉ. बी.एल. मीणा ने बताया कि काली मक्खी व काली मस्सी कीट का प्रकोप शुरु होते ही अर्थात कीट के प्रौढ़ जब नयी पत्तियों पर अण्डें दें और अण्डों से 50 प्रतिशत निम्फ बन जाये, यह स्थिति सामान्यतः जुलाई माह के दूसरे-तीसरे तथा दिसम्बर व अप्रेल माह के प्रथम सप्ताह में आती है। जुलाई माह के दूसरे-तीसरे सप्ताह मे प्रथम छिडकाव क्यूनॉलफॉस 1.25 मि.ली. (एम.एल.) या डायमिथोएट 2 मि.ली. (एम.एल.) या ट्राइजोफॉस 2 मिली. (एम.एल.) या प्रोपेनोफॉस 1.5 मिली. प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर शक्ति चालित स्प्रेयर की सहायता से इस प्रकार छिड़काव करें कि घोल पत्तियों की निचली सतह तक पहुॅच जाये। जुलाई के तीसरे-चौथे सप्ताह में कैप्नोडियम (काली फफूंद/कजली रोग) से बचाव के लिए 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम अथवा 2 ग्राम कॉपर ऑक्सी क्लोराइड प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिये। आवश्यकता होने पर नुकसान की अवस्थाआंे पर 15 दिन के अन्तराल पर कीटनाशी व फफॅूद नाशी बदल कर पुनः छिडकाव करें। वर्षा ऋतु में या इसके 15 दिन बाद में भी उपरोक्तानुसार कीटनाशी या नीम के तेल का 10 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिये।

उद्यान विभाग के सहायक निदेशक एन.बी. मालव ने बताया कि संतरा बगीचों की सघन बागवानी, पानी भराव तथा अधिक नत्रजन से बचना चाहिए तथा पीली मृदा संरचना में बगीचा स्थापित करने पर काली मस्सी का प्रकोप ज्यादा देखने मे आता है। किसानों से अनुरोध है कि सामूहिक रूप से नियंत्रण के प्रयास करे तथा पावर चलित स्प्रेयर का उपयोग (स्टीकर के साथ) कर समूल क्षेत्र से काली मस्सी का नियंत्रण आसानी से किया जा सकता है।

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