बुधवार, 20 जुलाई 2016

उदयपुर/नई दिल्ली देश के रक्षक बन बॉर्डर पर तैनात हैं 'महाराणा प्रताप', दुश्मनों को चटाएंगे धूल



उदयपुर/नई दिल्ली देश के रक्षक बन बॉर्डर पर तैनात हैं 'महाराणा प्रताप', दुश्मनों को चटाएंगे धूलदेश के रक्षक बन बॉर्डर पर तैनात हैं 'महाराणा प्रताप', दुश्मनों को चटाएंगे धूल

अपनी जांबाजी -दिलेरी कभी हार ना मानने और विपरीत परिस्थितियों में भी दुश्मन को धूल चटाने के गुणों ने मेवाड़ के वीर शिरोमणि 'महाराणा प्रताप' को भारत के महानतम वीर योद्धा का दर्जा दिया था। अब 'महाराणा प्रताप' एक बार फिर दुश्मनों को धूल चटाने के लिए चीन बॉर्डर पर जा डटे हैं।


दरअसल, भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में चीन बॉर्डर पर जिन जंगी टैंकों को तैनात किया है, उसमें से एक 'महाराणा प्रताप' टैंक है। बॉर्डर के पास ही करीब 100 टैंक तैनात किए गए हैं और अभी कुछ और टैंक आने बाकी हैं। महाराणा प्रताप के साथ ही टीपू सुल्तान और औरंगजेब टैंक यूनिट भी यहां तैनात हैं। टैंकों का नाम महान योद्धाओं पर दिया गया है।

जानकारी के अनुसार, करीब आठ महीने पहले से इन टैंकों को चीन के साथ लगती भारत की काफी ऊंची सीमा पर तैनात किया गया है। साल 1962 में चीन के साथ लड़ाई में इस तरह को टैंकों का इस्तेमाल किया गया था। युद्ध के वक्त पांच टैंक तो हवाई जहाजों के जरिए उतारा गया था। युद्ध में चीन से हार के बाद भारत ने इन टैंकों को यहां से हटा लिया था। लेकिन, अब एक बार फिर इन टैंकों को यहां पहुंचाया गया है।

15 हजार फीट की ऊंचाई पर टैंकों को संभालना आसान नहीं है क्योंकि यहां मौसम काफी विपरीत होता है और ऑक्सीजन की समस्या भी बनी रहती है। यहां तापमान -45 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है जिसका असर टैंकों के प्रदर्शन में साफ देखने को मिलता है। इसलिए इन हालातों में टैंकों के लिए दूसरे तरह के ईंधन और लुब्रिकेंट का इस्तेमाल करना पड़ता है। यहीं नहीं, टैंक को गर्म रखने के लिए रात में दो बार उन्हें स्टार्ट करना होता है।

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