गुरुवार, 30 जून 2016

जयपुर दर्द पर भारी शौक, रेप पीड़िता संग राजस्थान महिला आयोग की सदस्य ने खींची सेल्फी



जयपुर दर्द पर भारी शौक, रेप पीड़िता संग राजस्थान महिला आयोग की सदस्य ने खींची सेल्फी
दर्द पर भारी शौक, रेप पीड़िता संग राजस्थान महिला आयोग की सदस्य ने खींची सेल्फी

यूं तो महिला आयोग का काम पीडि़त महिलाओं के दुख-दर्द को जानकर उन पर मरहम लगाना है, लेकिन राजस्थान महिला आयोग की एक सदस्य पर सेल्फी का शौक इस कदर चढ़ा कि उन्होंने जख्मों पर मरहखम करने की जगह पीडि़ता की पहचान जगजाहिर कर दी।


ये तस्वीर जरा गौर से देखिए, इसमें आपको भाजपा नेता और राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा नजर आ रही हैं। उन्हीं के साथ सेल्फी लेते हुए दिख रही हैं उनकी सहयोगी महिला आयोग सदस्य सौम्या गुर्जर। सुमन और सौम्या जिस महिला के साथ सेल्फी ले रही हैं वो महिला अमानवीय व्यवहार की शिकार हुई है। महिला अभी अपनों के दिए जख्मों को भूल भी नहीं पाई थी कि महिला आयोग उसका दुख दर्द जानने के लिए पहुंचा। ये घटना 28 जून की है, जब आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा और सदस्य सौम्या गुर्जर पीडि़ता से मिलने पहुंची।

तब उन्होंने पीडि़ता के हालचाल जानने के साथ ही सेल्फी खींचना शुरू कर दिया। आपको बता दें कि जयपुर के आमेर में एक महिला के घरवालों ने उसके माथे पर 'मेरा बाप चोर है' लिख दिया था। यह मामला सामने आने के बाद महिला आयोग की सदस्य उससे मिलने के लिए पहुंची थीं। उसी दौरान महिला आयोग सदस्यों ने पीडि़ता दर्द जानने की बजाय उसके साथ सेल्फी खींचकर प्रचार पाने की जुगत लगा ली।













सेल्फी लेते समय महिला आयोग के जिम्मेदार पदाधिकारी ये भूल गई कि पीडि़ता की पहचान उजागर नहीं की जाती है। जिन नियम कायदों की पालना महिला आयोग को करनी होती है, उन्हीं की धज्जियां खुद अध्यक्ष और आयोग सदस्य ने उडा दी। अब देखना ये है कि क्या राज्य सरकार या राष्ट्रीय महिला आयोग इस पर कोई संज्ञान लेगा?







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पीडि़तों का हंसना मुस्कुराना क्या अपराध है

मामले पर सौम्या गुर्जर ने फेसबुक पोस्ट पर जवाब देते हुए कहा कि हम वहां मामले की जांच कर रहे थे और जांच मे पूछताछ के दौरान और सबूत के कुछ कागजों के हमने कुछ फोटों खींची उसी बीच पीडि़ता जिज्ञासावस फोटो देखने की इच्छुक हुई और उसको समझाने के लिए मैंने उसको दिखने के लिए उसके साथ सेल्फी खींची । ये सब मैंने उसकी मानसिक हालात को ध्यान मैं रखते हुए किया। क्या पीडि़त को दर्द से उभरने के लिए उसका हंसना मुस्कुराना गलत है। कोई कैसे इसको अमानवीय बता सकता है, जबकि पीडि़ता हमारे साथ जांच के दौरान दिलासा देने के बाद हमारे व्यवहार से खुश हुई थी।

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