शुक्रवार, 20 मई 2016

बाड़मेर, विकास योजनाआें में होगा सुदूर संवेदन एवं भू-सूचना प्रणाली का उपयोगःगोयल


बाड़मेर, विकास योजनाआें में होगा सुदूर संवेदन  एवं भू-सूचना प्रणाली का उपयोगःगोयल
बाड़मेर, 20 मई। बाड़मेर जिले में अंतरिक्ष-आधारित भूस्थानिक सूचना तंत्र द्वारा विकेन्द्रीकृत नियोजन पूर्ण की गई परियोजना के संबंध में केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान काजरी जोधपुर के तत्वावधान में राष्ट्रीय सूदूर संवेदन केन्द्र, अंतरिक्ष विभाग के सहयोग से पंचायतीराज संस्थाआें के सदस्यां के लिए एक दिवसीय क्षमता अभिवर्धन कार्यशाला आयोजित हुई। दो सत्रों में आयोजित सिवाना एवं बाड़मेर पंचायत समितियों के सरपंचां, ग्राम सेवकां एवं तकनीकी अधिकारियां ने भाग लिया। विकासोन्मुख विकेन्द्रीकृत नियोजन के लिए 1ः10,000 मापक पर भू-स्थानीक थिमेटिक परतों का निर्माण कार्टोसेट उपग्रह से प्राप्त आँकड़ों के उपयोग से किया गया हैं।

कार्यशाला में काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डा. आर.के. गोयल ने कहा कि अंतरिक्ष आधारित भू-स्थानिक सूचना-तंत्र के जरिए विकेन्द्रीकृत नियोजन का मुख्य उदद््ेश्य विकास योजनाओं को विकेन्द्रीकृत करते हुए पंचायत राज संस्थाओं को मजबूती प्रदान करना है। क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उच्च क्षमता के उपग्रह छायाचित्रों का उपयोग करते हुए खसरा स्तर पर अनेक प्रकार के विषय आधारित (थिमेटिक) नक्शों का निर्माण किया गया है, जिससे विकास योजनाओं का लाभ अंतिम छोर ,प्रत्येक गांव तक पहुंच सके।

अंतरिक्ष विभाग के महाप्रबंधक डा. एस.एस.राव ने भारतीय अंतरीक्ष कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में की गई प्रगति के कारण आज विश्व में भारत का नाम बड़े आदर एवं सम्मान के साथ लिया जाता हैं। उन्होने बताया कि इसरो विभिन्न राष्ट्रीय कार्यों के लिए अंतरीक्ष प्रोद्यौगिकी और उसके उपयोग का विकास करती हैं। इसरो ने दो अंतरीक्ष प्रणालीयां विकसित करके स्थापित कर दी हैं जिनका उपयोग संचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम विज्ञानीय सेवाओं के लिये और संसाणन मोनिटरिंग तथा प्रबंधन के लिए किया जाता है।

डा. महेश गौड़ ने काजरी द्वारा बाड़मेर जिले के लिए तैयार किए गए खसरा-स्तर के विभिन्न मानचित्रों के बारे में विस्तार से जानकारी देने के साथ विभिन्न पंचायतों में हो रहे भूमि उपयोग में परिवर्तनों के बारे में बताया। उन्होंने सिवाना और बाड़मेर पंचायतों में उपलब्ध जल संसाधनों और जल संभाव्यता, फलोत्पादन, जैसे अनार, खजूर और बेर के विकास की बयार के बारें में भी समझाया। उन्हांने काजरी द्वारा 1959 से मरू क्षेत्र के विकास के लिए किए गए कार्यों की जानकारी दी। काजरी ने क्षेत्र के विकास के लिए लगातार उन्नत तकनीकों का उपयोग करने के बारे में बताया। ताकि जन सामान्य और विशेषकर किसानों को अधिकाधिक लाभ मिल सके।

मुख्य अतिथि जिला प्रमुख श्रीमती प्रियंका मेघवाल ने कहा कि भूस्थानिक सूचना तंत्र के उपयोग द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण और विकासोन्मुख विकेन्द्रीकृत नियोजन के करने से कार्य आसान हो जाएंगे। इससे ग्राम पंचायतों को आवश्यक सूचना पोर्टल पर ही उपलब्ध मिल जाएगी। इससे विकास योजनाओं को जन हितार्थ बनाने और उनकी पहुॅंच समाज के वर्ग के सदस्य तक पहुँचा पाने में सफल हो सकेंगें। उन्हांने कहा कि सभी सरपंच और ग्राम सेवकों पर इसकी जिम्मेदारी हैं कि काजरी द्वारा इसरो के सहयोग से किए गए इस कार्य का इसका भरपूर लाभ उठाए। बाड़मेर में बदलाव तो आया है परन्तु इसका प्रभाव दृष्टिगत नहीं हो पा रहा हैं। उन्हांने कहा कि आप सभी इसका अपने क्षेत्र के विकास के लिए इसका उपयोग करके जन सामान्य के जीवन में बदलाव लाए।

अंतरीक्ष विभाग के वैज्ञानिक डा. ए.के. बेरा ने अंतरिक्ष-आधारित भूस्थानिक सूचना तंत्र के उद्देश्यों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसमें उच्च विभेदन क्षमता के उपग्रह छाया चित्रां से प्राप्त सूचनाआें का वैज्ञानिक तरीके से उपयोग, संधारण एवं क्षेत्र विशेष के विषय आधारित नक्शों का निर्माण किया जाता हैं।आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए 1ः10,000 पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्र में खसरा नक्शों का निर्माण एवं उस क्षेत्र का भू-उपयोग, भू-आच्छादन, सूचनाआें के अनुसार नक्शों का निर्माण करना हैं। पंचायत, ग्राम स्तर की सभी सूचनाओं को एक जगह एकत्रित कर डेटा बैंक बनाना तथा क्षेत्र की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अंतरिक्ष तकनीक एवं भू-सूचना प्रणाली का उपयोग क्षेत्र की विकास योजनाओं को बनाने में करने एवं इंटरनेट आधारित एक ऐसा वेब पोर्टल तैयार करना जहॉं क्षेत्र की सभी विकास योजनाओं का ब्यौरा उपलब्ध हो सके, जिससे आम आदमी वर्तमान समय में अपने क्षेत्र से संबंधित सभी सूचनायें कम्प्यूटर के एक क्लिक पर प्राप्त कर सके तथा सुदूर संवेदन की जानकारी एवं उपयोग संबंधी सूचनाओं को पंचायत स्तर तक पहुॅचाना एवं इस तकनीक के उपयोग द्वारा पंचायत संस्थाओं का सशक्तिकरण हैं। इसके परिणामरूवरुप प्रतिभागी 73वें और 74वें संविधान संशोधनों द्वारा पंचायती राज संस्थानों को सुदृढ़ करने और विकेन्द्रीकृत नियोजन की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में अग्रसर हो सकेंगें।

इस दौरान जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुरेश कुमार दाधीच ने कहा कि आज आपके पास भारत के बहुत ही बड़ी बड़ी ऐजेन्सियों के वैज्ञानिक बाड़मेर आए है। सभी प्रतिभागी इसका लाभ उठाएं। ऐसा न हो कि हम इसका लाभ उठाने में चूक जायें और पिछड़ जायें। सरकार की अनेकानेक योजनाऐं हैं जो ग्राम विकास के लिए केन्द्रित हैं। आपको दिखाये गयें आँकड़े बहुत ही महत्वपूर्ण हैं और ग्राम स्तर पर नियोजन के लिए बहुत ही कारगर हैं।

अंतरिक्ष विभाग के वैज्ञानिक डा. राकेश पालीवाल ने भुवन पंचायत पोर्टल व सेवाएॅं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इंटरनेट की बढती लोकप्रियता, सरकार की प्राथमिकताएॅं और देश के ग्रामीण क्षेत्र में मोबाईल के प्रवेश को देखते हुये एक वेब आधारित मंच भुवन पंचायत पोर्टल पंचायत स्तर पर योजनाओं को लागू करने और शासन के लिए तैयार किया गया है। भुवन पोर्टल इंटरनेट एवं वेब आधारित एकमात्र स्त्रोत है, जहॉं पर स्थान एवं उससे जुडें आंकडें जिनका उपयोग पंचायत स्तर पर किया जा सकता है, उपलब्ध हैं। भारत सरकार का मुख्य उद्देश्य देश की जनता को अंकीय दक्षता प्रदान करना है। जिससे समाज, प्रदेश एवं देश का समग्र विकास हो सके। पंचायत भारत में प्रजातंत्र का सबसे मजबूत स्तम्भ हैं। यह एक ऐसा तंत्र है जो ग्रामीण स्तर पर समाज के हित में विकास योजनाओं को लागू करता है। उपरोक्त तकनीक का उपयोग प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग एवं रख-रखाव की योजनाएॅं बनाने में, सामाजिक एवं आधारभूत संरचनाओं के विकास में, आपदा प्रबंधन में एवं अनेक क्षेत्रों में किया जा सकता है।

अंतरिक्ष विभाग के ही वैज्ञानिक आषीष जैन ने एप्लिकेशन के जरिए संपत्ति मानचित्रण के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि संपत्ति मानचित्रण एंड्रॉयड आधारित मोबाईल एप्लीकेशन के माध्यम से किया जा सकता है। उपयोगकर्ता को बिंदु, रेखा या क्षेत्र आधारित सुविधाओं के रूप में सम्पत्ति को मेप करने का प्रावधान दिया जाता है। मोबाईल एप्लीकेशन उपयोगकर्ता को डिवाइस पर ही मेप करने व सम्पत्ति डेटा को रक्षित करने की अनुमति देता है। बाद में, इंटरनेट कनेक्शन की उपलब्धत््ता होने पर रक्षित सम्पत्तियों को पोर्टल पर अपलोड किया जा सकता है। मोबाईल एप्लीकेशन के माध्यम से मानचित्रण की गई सम्पत्ति भी पहले से मानचित्रित अन्य सम्पत्तियों के साथ पोर्टल पर ऑनलाइन देखी जा सकती है। साथ ही प्रतिभागियों को इसके प्रयोग के बारे में प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राची गोयल, राकेश पालीवाल, बी.आई.एस.आर. जयपुर एवं एस.आर. सेक तथा जोधपुर के अन्य वैज्ञानिकों ने दिया। कार्यक्रम के अंत में काजरी के मुख्य तकनीकी अधिकारी जे.एस.चौहान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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