शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2015

जयपुर 'चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें जवानÓ



जयपुर 'चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें जवानÓ


थलसेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने जवानों से कहा कि तेजी से बदलते सुरक्षा वातावरण में नई चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहते हुए श्रेष्ठता हासिल करें।

वे गुरुवार को मिलिट्री स्टेशन में गोरखा राइफल्स (फ्रंटियर फोर्स) की पांचवी बटालियन की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित प्लेटिनम जुबली समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बटालियन सेना की शानदार इन्फैन्ट्री यूनिटों में से एक है।

अफसरों और जवानों की वर्तमान पीढ़ी के लिए रेजिमेंट का गौरवपूर्ण इतिहास प्रेरणादायी है। जनरल दलबीर और अन्य सेवारत व सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों, जेसीओ व अन्य रैंक ने शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित किए। 5/5 जीआर की टुकड़ी ने सेनाध्यक्ष को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इस दौरान उन्होंने प्लेटिनम जुबली फस्र्ट डे कवर जारी किया।

सामरिक तैयारियों का लिया जायजा

थलसेनाध्यक्ष ने गुरुवार को यहां सेना के दक्षिण-पश्चिम कमान मुख्यालय का दौरा कर सामरिक तैयारियों व कमान के अधीन कार्यरत विभिन्न सैन्य इकाइयों के सतत प्रशिक्षण के लिए किए जा रहे उपायों का जायजा लिया। सेना प्रमुख शुक्रवार को दिल्ली लौटेंगे। जनरल दलबीर दो दिवसीय अधिकारी दौरे पर गुरुवार सुबह जयपुर पहुंचे थे।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने उनकी अगवानी की। कमान मुख्यालय के दौरे में थलसेनाध्यक्ष ने आर्मी कमाण्डर व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सामरिक तैयारियों पर चर्चा की। उन्होंने सैन्य इकाइयों के प्रशिक्षण के लिए कमान की ओर से किए जा रहे प्रयासों का जायजा लेते हुए इनकी सराहना की।

हर युद्ध में श्रेष्ठता साबित की है गोरखा राइफल ने

बटालियन की स्थापना 1 अक्टूबर 1940 को 3/6 गोरखा राइफल के रूप में हुई थी और 1 जनवरी 1948 को इसे 5/5 जीआर नाम दिया गया। बटालियन ने दूसरे विश्व युद्ध और स्वतंत्रता के बाद 1948, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों- में श्रेष्ठता साबित की। मातृभूमि की रक्षार्थ यूनिट के 213 जांबाजों की शहादत सेना के इतिहास में दर्ज है।

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