शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

नागौर। भारी बारिश की चपेट में नागौर,परिषद बना मूक दर्शक

 नागौर। भारी बारिश की चपेट में नागौर,परिषद बना मूक दर्शक


नागौर। नागौर मे मानसून के दौरान नगर परिषद एवं प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाएं नजर नहीं आई। ऐसे में शहर के निचले इलाकों में गुरुवार को हुई दिनभर बारिश से जल भराव हो गया वहीं आमजन परेशान होते रहे और लोगों के घरों में पानी चला गया।



लेकिन इन सब के बावजूद नगर परिषद कहीं नजर नहीं आई। बारिश के कारण शहर के एक दर्जन से ज्यादा क्षेत्रों में पानी भर गया। हालात यह हो गए हैं कि पानी की निकासी नहीं हो रही थी। ऐसे में लगातार 14 घंटे तक आसमान से पानी बरसता रहा और परिषद मूक दर्शक बना रहा।



शहर के भीतरी इलाकों के लोग बुधवार देर रात से परेशान होते रहे। दोपहर बाद तो हालात ये हो गए कि निचले इलाकों में चार से पांच फीट तक पानी भर गया। लोगों को घरों से निकलना भी मुश्किल हो गया। लोगों को घरों में ही कैद होने पर मजबूर होना पड़ा। परिषद प्रशासन के इंतजाम नाकाम साबित रहे।



शहर के गाजी खाड़ा, शिव बाड़ी, नकास गेट, किले की ढाल, पीर जदों का मोहल्ला, तथा बी.रोड, माही दरवाजा, लोहारपुरा, करणी कॉलोनी सहित अनेक क्षेत्रों में गुरुवार को तेज बारिश के कारण पानी भर गये है । इन इलाकों में हालात ऐसे हो गए कि पानी का स्तर चार से पांच फीट तक भर गया। बी रोड की दुकाने व आम रास्‍ता बंद है पानी के निकासी के लिए पम्‍प सैट 2 लगाऐ गए बारिश के बाद शहर के हालात सामने आ गए।

एक ओर आसमान से लगातार पानी बरसता रहा दूसरी ओर पानी की निकासी नहीं होने के कारण जल स्तर बढ़ता गया। ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जबकि नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि प्री-मानसून की तैयारी के लिए अलग से तो कोई बजट नहीं आता है। परिषद अपने स्तर पर ही तैयारी करती है। दूसरी ओर आपदा प्रबंधन भी मानसून को लेकर कुछ खास तैयारी नहीं करती। ऐसे में शहर के निचले इलाकों में जल भराव की समस्या का भुगतान आखिर आमजन को ही करना पड़ता है।



आपको बता दें कि शहर नागौर में 2 बार बाढ़ आई और उससे जनता को काफी नुकसान हुआ। पहली बार 1975 में और दूसरी बार 1996 में। यहां 75 की बाढ़ का तो कुछ लोगों को पता है मगर 96 की बाढ़ यहां हर किसी के जहन में है। 1996 की बाढ़ सीधे तौर पर प्रशासनिक राजनीतिक उदासीनता का नतीजा रही और आज भी यहां वही हालात हैं।

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