बुधवार, 20 मई 2015

हनुमानगढ़ मोहब्बत बन रही गले का फंदा



हनुमानगढ़ मोहब्बत बन रही गले का फंदा


मोहब्बत, साढ़े चार अक्षरों का यह लफ्ज सुनने में जरूर मीठा लगता है। मगर आशिकी का शौक पालने वालों के लिए बड़ा कड़वा साबित हो रहा है। जिले में जिल्लत के डर से प्रेमी जोड़ों के कत्ल की बढ़ती घटनाएं, इसका प्रमाण है।

पिछले पांच वर्षों में ऐसे एक दर्जन के लगभग मामले सामने आ चुके हैं। हकीकत यह भी है कि समाज की मौन सहमति के चलते ऑनर किलिंग की ज्यादातर घटनाएं तो दबा दी जाती हैं। मतलब, इज्जत बचाने के नाम पर हत्या की असली तस्वीर इससे अधिक भयावह है। विचारों के बजाय व्यवहार में बढ़ते खुलेपन के चलते पनप रहे प्रेम-प्रसंगों पर (विशेषकर कच्ची उम्र के) समाज कड़ा रुख अपना रहा है। इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट :

समाज व परिवार के खिलाफ जाकर बांधी गई प्यार के रिश्तों की डोर युगलों के लिए फंदा बन रही है। इसकी घुटन प्रेमी युगल ही नहीं उनके परिवार भी पूरी जिंदगी महसूस करते हैं। इसके बावजूद न प्रेमियों की कमी है और न उन्हें प्रताडि़त या कत्ल करने वालों की। सवाल यह है कि जोर-जबरदस्ती के बजाय यदि समझाइश व पारिवारिक मूल्य व संस्कार नई पीढ़ी को दिए जाए तो इस पेचीदा मसले को अच्छे ढंग से सुलझाया जा सकता है। फिर भी अगर आशिकी शादी के रिश्ते में बंध जाए या बांधने का प्रयास किया जाए तो प्रताडऩा व हत्या सरीखे कृत्यों से बचा जा सकता है।

दुर्घटना है या हत्या

गांव चनाण में सोमवार को किशोरी की संदिग्ध परिस्थितियों में जहर से मौत व पुलिस को सूचना दिए बगैर संस्कार कराना, अपने आप में कई साल पैदा करता है। 15 मई को गांव निरवाल में भी ऐसा ही हुआ था। लड़की के परिजनों ने जहर से उसकी मौत बता संस्कार कर दिया। पुलिस को खबर तक नहीं की गई। महत्वपूर्ण यह है कि यदि किशोरी आत्महत्या करती है तो भी किसी न किसी के खिलाफ तो दुष्प्रेरण का मामला बनता है। दुष्प्रेरण ही तो घटना का कारण है। अगर आत्महत्या नहीं तो फिर हत्या है। लेकिन ऐसे मामले सामने आने पर उनको दुर्घटना का जामा पहनाने का प्रयास किया जाता है।

नहीं लेते सिरदर्द

प्रेमी युगल के शव मिलने के जो मामले सामने आते हैं, उनमें से अधिकतर को पुलिस आत्महत्या मानकर जांच निपटा देती है। इसकी वजह है कि मृतक जोड़े में से दोनों या एक का परिवार जांच में बिलकुल रूचि नहीं दिखाता। ऐसे में पुलिस भी ज्यादा सिरदर्द मोल नहीं लेती।

इसके मायने क्या

राज्य सरकार ने अन्तरजातीय विवाह को प्रोत्साहन देने की योजना आरंभ कर रखी है। इसके तहत युगल में से एक स्वर्ण तथा एक अनुसूचित जाति का होना जरूरी है। पहले सरकार विवाह करने पर युगल को 50 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि देती थी और इसे दस गुणा बढ़ाकर पांच लाख रुपए कर दिया।

जरूरी प्रोटेक्शन सैल

जानकारों के अनुसार युवक-युवतियों के परिजनों की सहमति के बिना घर से भाग कर पे्रम विवाह करने के मामले बढ़ रहे हैं। इससे कई तरह की परेशानियां सामने आ रही हैं। ऐसे मुद्दों के समाधान के लिए प्रोटेक्शन सैल होनी चाहिए ताकि वार्ता के जरिए समाधान निकाला जा सके।

परिजन ही बने खाप

हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि में खाप पंचायतों के फरमान पर जिस तरह पे्रमी जोड़ों की हत्या होती है, जिला भी उससे अछूता नहीं है। अंतर बस इतना है कि यहां खाप पंचायतों की भूमिका प्रेमी युगल के परिजन व रिश्तेदार ही निभा रहे हैं। जिले में ऐसी घटनाओं के शिकार अधिकांश प्रेमी युगल अंतरजातीय थे।

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