शुक्रवार, 22 मई 2015

जोधपुर भ्रष्टाचार का आरोपित नहीं होगा निलंबित



जोधपुर भ्रष्टाचार का आरोपित नहीं होगा निलंबित 


हाईकोर्ट ने अहम फैसले में भ्रष्टाचार व आपराधिक मामलों में आरोपित लोक सेवकों को अनिवार्य रूप से निलम्बित करने की बाध्यता खत्म करते हुए इस आशय का राज्य सरकार का परिपत्र रद्द कर दिया है।

न्यायाधीश संदीप मेहता ने बांसवाड़ा के ओमप्रकाश पंड्या की याचिका पर यह आदेश दिया। कार्मिक विभाग ने 10 अगस्त, 2001 को परिपत्र जारी कर सभी विभागाध्यक्षों को अधीनस्थ सेवा, मंत्रालयिक सेवा व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, सेवा संवर्ग कर्मचारियों के निलंबन के संबंध में निर्देश दिए थे।

इसमें एसीबी द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार करने या भ्रष्टाचार मामलों में अभियोजन स्वीकृति, हत्या, दुष्कर्म जैसे अपराध व नैतिक अक्षमता संबंधित केसों में न्यायालय में चालान किए जाने की स्थिति में संबंधित लोक सेवक को तुरंत निलम्बित किए जाने को अनिवार्य बताया गया था।

परिपत्र में निर्देश थे कि लोक सेवक तब तक बहाल नहीं होगा, जब तक वह कोर्ट से दोषमुक्त नहीं हो जाता। माही प्रोजेक्ट मे असिस्टेंट इंजीनियर बांसवाड़ा निवासी ओमप्रकाश को 2001 में निलंबित किया गया था। अधिवक्ता अंकुर माथुर ने इस परिपत्र को अविधिक व अनुचित बताते हुए कहा कि राज्य कर्मचारी को अनिवार्य रूप से निलम्बित करने के निर्देश दिया जाना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

सुनवाई के बाद न्यायाधीश संदीप मेहता ने याचिका मंजूर करते हुए उक्त परिपत्र को निरस्त करने का आदेश दिया। परिपत्र को निरस्त किए जाने से अब विभागाध्यक्षों के लिए कर्मचारियों को निलम्बित किया जाना अनिवार्य नहीं रहेगा। वह मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के अनुसार निलम्बित किए जाने अथवा नहीं किए जाने का निर्णय ले सकेंगे।

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