सोमवार, 4 मई 2015

नक्की झील पर बिखरा आदिवासी रंग



माउंट आबू (सिरोही)। नक्की झील पर सोमवार को आदिवासियों का पीपली पूनम मेला भरने से माउंट आबू चहक उठा। मेलार्थी चांदनी रात में वन्य क्षेत्र के विभिन्न पहाड़ी रास्तों से होते हुए ढोल-थाली व अपने वाद्य यंत्रों की थाप पर नाचते गाते नक्की झील पहुंचे।
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सगाई की, विवाह रचाए

यहां आदिवासियों ने इष्ट देव की पूजा-अर्चना की, भोग लगाया, प्रसाद वितरण कर मनौती मांगी। आभूषणों में सजे युवक-युवतियों ने सामाजिक परम्परानुसार सगाई व विवाह रचाए। झील के इर्द-गिर्द विभिन्न उद्यानों में आदिवासी लोगों की ओर से पंचायतें लगाकर वर्ष भर में होने वाले सामाजिक विवादों का निस्तारण किया। पुराने विवादित रिश्तों का समाधान कर नए रिश्ते कायम किए।

युवतियों को भगा ले गए युवक

मेले के दौरान आपसी सहमति पर परम्परानुसार युवक, युवती को भगा ले गए। जाते-जाते युवतियों ने अपने पिता व अन्य परिजनों को युवक के साथ जाने की जानकारी दी। इसके बाद दोनों परिवारों के बीच पंचायतों का सिलसिला आरंभ होगा। परम्परा के अनुसार युवक के परिजनों पर दापा (हर्जाना) तय कर लड़के वालों की ओर से हर्जाना चुकाए जाने पर शादी पक्की मान ली जाएगी।

श्रद्धापूर्वक किया पितृ तर्पण

आदिवासियों ने परम्परानुसार नक्की झील की परिक्रमा करने के बाद स्नान किया। अपने दिवंगत परिजनों की आत्माओं की शान्ति को श्रद्धापूर्वक पितृ तर्पण की रस्में अदा की।

नक्की के चारों ओर उमड़े मेलार्थी

चमकीले रंग-बिरंगे आदिवासी परिधानों में सजसंवर कर आए युवक-युवतियां नक्की झील के परिक्रमा पथ पर एकत्रित होकर अपने रीति रस्मों के अनुसार धार्मिक क्रियाकलापों को पूरा करने में व्यस्त रहे। पारम्परिक वाद्ययंत्रों व ढोल-थाली की थाप पर वालर नृत्य करते खुशियां मनाई।

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