रविवार, 17 मई 2015

यहां दरगाह में मनाते हैं जन्माष्टमी, कभी बरसती थी शक्कर!



राजस्थान के शेखावाटी में शक्कर बार बाबा की दरगाह कौमी एकता की जीवंत मिसाल है। यहां सभी धर्मों के लोगों को अपनी पद्धति से पूजा अर्चना करने का अधिकार है।

कौमी एकता के प्रतीक के रूप में यहां प्राचीन काल से कृष्ण जन्माष्टमी के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से हिंदुओं के साथ मुसलमान भी पूरी श्रद्धा से शामिल होते हैं।

झुंझुनूं जिले के नरहड स्थित इस दरगाह के बारे में कहा जाता है कि किसी समय इसके गुंबद से शक्कर बरसती थी। इसी कारण यह दरगाह शक्कर बार बाबा के नाम से जानी जाती है।

शक्कर बार शाह अजमेर के सूफी संत वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के समकालीन थे तथा उन्हीं की तरह सिद्ध पुरुष थे। शक्कर बार शाह ने ख्वाजा साहब के 7 वर्ष बाद देह त्यागी थी।

यहां जायरीन मजार पर चादर, वस्त्र, नारियल, मिठाइयां आदि चढ़ाते हैं। लोगों के मुताबिक इस मेले की रस्म 700 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी है। लोग पीढ़ी दर पीढ़ी इसे इसे निभा रहे हैं।

1947 में जब भारत-पाक विभाजन के दौरान पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव था, तब भी नरहड़ में शांति का माहौल रहा और लोग इस मेले में शरीक हुए।

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