शनिवार, 16 मई 2015

सिरोही नस्ल की बकरी बनाएगी देश में पहचान

सिरोही नस्ल की बकरी बनाएगी देश में पहचान


पाली पाली. सिरोही की बकरी अब देशभर में अपनी पहचान बनाएगी। इसके लिए जल्द ही चितौडग़ढ़ के बोजून्दा में बकरी फार्म स्थापित किया जाएगा। इस नस्ल की मांग देश के दूसरे राज्यों में भी काफी है। बकरी को गरीब की गाय भी कहा जाता है।
राज्य सरकार ने राजस्थान कृषि प्रतिस्पद्र्धात्मक परियोजना के तहत राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर को 10 करोड़ रुपए की परियोजना मंजूर की है। यह ग्रांट विश्व बैंक ने दी है। परियोजना से लाभान्वित होने वाले बकरी पालकों को नस्ल सुधार के लिए श्रेष्ठ नस्ल के बकरे-बकरियां उपलब्ध कराए जाएंगे।
120 हैक्टेयर में बनेगा फार्म
पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशुधन अनुसंधान केन्द्र बोजून्द्रा, चितौडग़ढ़ में सिरोही नस्ल का फार्म स्थापित किया जाएगा। यह फार्म 120 हैक्टेयर में होगा। राजस्थान कृषि प्रतिस्पद्र्धात्मक परियोजना के तहत विश्व बैंक के दिशा निर्देशानुसार एक हजार सिरोही बकरियों और 35 बकरों से फार्म की शुरुआत की जाएगी। जानकारों के अनुसार यह कार्य जुलाई से शुरू हो जाएगा।
ये है विशेषता
- सिरोही नस्ल की बकरी हर मौसम के अनुकूल है और इनमें बीमारी कम होती है।
- मीट और दूध दोनों अन्य नस्लों से ज्यादा मिलता है और डेढ़ साल में दो बार ब्यावण होती है।
- 50 से 60 प्रतिशत बकरियां जुड़वां बच्चे पैदा करती हैं और ये सिरोही, परबतसरी और देवगढ़ी भी कहलाती हैं।
- जबड़े के नीचे दो वैटल होते हैं जो इनकी पहचान होती है।
परियोजना मंजूर
सिरोही नस्ल के फार्म के लिए वेटेनरी विश्वविद्यालय को परियोजना मंजूर हुई है। इससे नस्ल सुधार कर बकरी पालकों को नि:शुुल्क बकरे-बकरियां उपलब्ध कराई जाएंगी।
प्रो.ए.के.गहलोत, कुलपति, पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर
प्रशिक्षण भी
सिरोही नस्ल के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। बोजून्दा में इसके लिए फार्म बनाया जा रहा है। अनुसंधान केन्द्र में पशुपालकों को बकरी पालन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
डॉ.राजेन्द्र कुमार नागदा, परियोजना अधिकारी, पशु अनुसंधान केन्द्र बोजून्दा, चित्तौडग़ढ़

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