शुक्रवार, 15 मई 2015

बाड़मेर/बालोतरा टेक्सटाइल उद्योग की समस्त गतिविधियां संचालित करने पर एनजीटी की रोक



बाड़मेर/बालोतरा  टेक्सटाइल उद्योग की समस्त गतिविधियां संचालित करने पर एनजीटी की रोक


नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) ने बाड़मेर जिले के बालोतरा, बिठूजा तथा जसोल में 9 जुलाई तक टेक्सटाइल उद्योग की समस्त गतिविधियां संचालित करने पर रोक लगा दी। तीनों औद्योगिक क्षेत्रों में संचालित कॉमन इल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) की संयुक्त निरीक्षण में कई कमियां नजर आने पर कड़ा रुख अपनाते हुए एनजीटी ने यह आदेश पारित किया।

एनजीटी ने बाड़मेर जिला कलक्टर को इन ट्रीटमेंट प्लांट्स में पर्यावरणीय नियमों की कड़ाई से पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश से बालोतरा क्षेत्र की करीब 700 से ज्यादा फैक्ट्रियां प्रभावित होंगी।

ट्रिब्यूनल के न्यायिक सदस्य यूडी साल्वी तथा विशेषज्ञ सदस्य डॉ. डी.के. अग्रवाल की खंडपीठ ने दिग्विजयसिंह जसोल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इससे पहले 19 मार्च को ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल तथा राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल को बालोतरा, बिठूजा तथा जसोल स्थिति कॉमन इल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) का संयुक्त निरीक्षण करने के आदेश दिए थे।

शुक्रवार को राज्य मंडल ने यह निरीक्षण रिपोर्ट ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रस्तुत की, जिसके बताया गया है कि सीईटीपी पर्यावरणीय मानकों तथा वायु एवं जल एक्ट में दी गई संचालन समिति की शर्तों की पूर्णतया पालना नहीं कर रहे।

ट्रिब्यूनल ने बाड़मेर जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित प्रबोधन कमेटी को प्रदूषण की रोकथाम के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए हैं। साथ ही केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को ट्रस्ट द्वारा दिए गए वित्तीय मदद के आवेदन पत्र पर भी विचार करने को कहा है। यह आवेदन पत्र रिवर्स

खारे पानी का हो रहा उपयोग

निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार फैक्ट्रियां 10 हजार से 15 हजार टीडीएस का खारा पानी उपयोग में ले रही हैं, जिसके कारण प्रदूषित पानी और स्लज की मात्रा में हैवी टीडीएस रहता है। इसका उपचारण करने के बावजूद उपचारित पानी भी इतना खारा है कि उसका उपयोग प्लांटेशन में नहीं किया जा सकता।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फैक्ट्रियों में प्री ट्रीटमेंट फेसिलिटी स्थापित नहीं की गई है। इस कारण भी सीईटीपी तक आने वाले पानी में स्लज की मात्रा ज्यादा रहती है और उसका व्यवस्थित निस्तारण नहीं हो पा रहा।

फैक्ट्रियां टैंकरों से पानी मंगवाती हैं और प्रदूषित पानी भी ट्रीटमेंट के लिए सीईटीपी तक टैंकरों से ही भिजवाया जाता है। प्रदूषित पानी को सीईटीपी तक पहुंचाने के लिए पाइपलाइन नहीं बिछाई गई है। इससे भी टैंकर संचालक इधर-उधर प्रदूषित पानी गिरा देते हैं।

9 जुलाई तक मांगी पालना रिपोर्ट

इसे गंभीरता से लेते हुए एनजीटी ने बाड़मेर जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित प्रबोधन समिति को सभी ट्रीटमेंट प्लांट्स की मॉनिटरिंग करने तथा पर्यावरणीय नियमों की पालना पूर्णतया सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं।

याचिकाकर्ता दिग्विजयसिंह जसोल ने बताया कि जिला कलक्टर को यह आदेश भी दिए गए हैं कि वे सेंट्रल ग्राउंड वाटर ऑथोरिटी से परामर्श करने के बाद स्टेटस रिपोर्ट एनजीटी के सामने पेश करेंगे कि तीनों औद्योगिक क्षेत्रों की डार्कजोन की फैक्ट्रियां नोटिफाइड एरिया का ग्राउंड वाटर तो इस्तेमाल नहीं कर रही। जिला कलक्टर तथा प्रदूषण मंडल अगली सुनवाई पर 9 जुलाई को अपनी पालना रिपोर्ट पेश करेंगे।

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