सोमवार, 18 मई 2015

जयपुर| किसानों के साथ खिलवाड़, बिना लाइसेंस खाद बीज और कीटनाशक बेच रही हैं सहकारी समितियां

जयपुर| किसानों के साथ खिलवाड़, बिना लाइसेंस खाद बीज और कीटनाशक बेच रही हैं सहकारी समितियां


— प्रदेश की कई केवीएसएस और जीएसएस के पास नहीं है लाइसेंस
— इतने साल बिना लाइसेंस चलता रहा कारोबार, सोया रहा सहकारिता विभाग
— कृषि मंत्री ने लिखा सहकारिता मंत्री को पत्र
— कृषि मंत्री ने पत्र में कहा, जीएसएस और केवीएसएस बिना लाइसेंस कर रही हैं कारोबार
— किसानों को गुणवत्ता का खाद—बीज मिलने पर उठे सवाल
— कृषि मंत्री के पत्र के बाद हरकत में आया सहकारिता विभाग
— सभी केवीएसएस और जीएसएस को दिए तत्काल लाइसेंस लेने के निर्देश



जयपुर| राजस्थान के किसानों को मिल रहे खाद बीज और कीटनाशक असली है या नकली इसकी कोई गारंटी ही नहीं है। सहकारिता विभाग के अंडर में चल रही प्रदेश की क्रय विक्रय सहकारी समितियां—केवीएसएस और ग्राम सेवा सहकारी समितिया—जीएसएस— बिना किसी लाइसेंस के खाद बीज और कीटनाशक बेच रही हैं। इसके चलते इनके द्वारा बेचे जा रहे खाद बीज की गुणवत्ता सवालों के घेरे में है, लाइसेंस नहीं होने से यह पुख्ता तौर पर कह पाना मुश्किल है कि इनके द्वारा बेचा जा रहा खाद बीज, कीटनाशक असली है या नकली।

cooperatives-are-selling-seeds-fertilizer-and-pesticides-without-license-24684

सहकारी समितियों के पास खाद बीज और कीटनाशक बेचने के लाइसेंस नहीं होने का खुलासा खुद कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने किया है। कृषि मंत्री ने बाकायदा सहकारिता मंत्री को चिट्ठी लिखकर इसकी जानकारी दी है। कृषि मंत्री ने बिना लइसेंस खाद बीज बेचने पर गंभीर आपत्ति जताई। कृषि मंत्री की चिट्ठी के बाद सहकारिता विभाग की नींद टूटी। सहकारिता रजिस्ट्रार ने अब सभी जिलों के अफसरों को चिट्ठी लिखकर अगले दो माह के भीतर, खाद, बीज और कीटनाशक का कारोबार करने का लाइसेंस लेने के निर्देश दिए हैं।



सहकारिता विभाग की हालत देखिए, जिन केवीएसएस और जीएसएस पर किसान आंख मूंदकर भरोसा करता है, वहां से वह बिना शक किए खाद बीज कीटनाशक खरीदता रहा। वहां ऐसी पोल कई साल से चलती रहे, यह सहकारिता विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खडे करता है। विभाग तो अब भी नहीं चेतता, लेकिन विधानसभा में मामला उठने के बाद कृषि मंत्री ने जालौर जिले में जांच करवाई तो पोल खुल गई, वहां केवल एक जीएसएस के पास लाइसेंस पाया गया। जिस विभाग में इस तरह की अंधेरगर्दी हो, वहां इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसानों को इतने साल तक घटिया खाद बीज बेचा जाता रहा हो, क्योंकि सहकारिता विभाग को तो खुद तो इसकी सुध ही नहीं आई।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें