रविवार, 10 मई 2015

उदयपुर.मोहब्बत ने बनया कातिल

उदयपुर.मोहब्बत ने बनया कातिल


Step sister murder

उदयपुर. बड़ी बहन के सौतेले भाई के साथ अवैध संबंधों की जानकारी होने की कीमत उसे जान देकर चुकानी पड़ी। भांडा फूटने के डर से दोनों ने जहर पिलाकर छोटी बहन की हत्या कर दी।
जिले के साकरोदा गांव में 43 दिन पूर्व विषाक्त खाने से मरी युवती की मौत के मामले में पुलिस पड़ताल में यह सच सामने आया है। पुलिस ने आरोपित बड़ी बहन और सौतेले भाई को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस अधीक्षक अजयपाल लाम्बा ने बताया कि गत 23 मार्च को साकरोदा निवासी नारायण वागरिया ने पुलिस को सूचना दी कि उसकी सौतेली बहन डाली बाई (19) की विषाक्त सेवन से मौत हो गई।
पोस्टमार्टम में भी जहर खाने की पुष्टि हुई, जिस पर पुलिस ने मृग दर्ज कर शव परिजन को सौंप दिया। कुछ दिन बाद मृतका के पिता उदा वागरिया ने परिवाद पेश कर पुत्री की हत्या होने की आशंका जताई।
ये सामने आई कहानी
सीआई चन्द्र पुरोहित ने बताया कि मृतका डाली के पिता उदा के तीन पत्नियां थी। पहली पत्नी भूरी से रिश्ता टूटने पर वह दाखीबाई को नाते लाया था। तब दाखी अपने पुत्र नारायण को साथ लाई थी।
इसके बाद उदा ने दाखूबाई से विवाह किया। उससे दो पुत्रियां गणेशी व डाली हुई। नारायण शहर में कैटरिंग का काम करता था और कभी-कभार अपने घर साकरोदा आता-जाता था।
इसी दौरान वह गणेशी के निकट आया। गणेशी अपनी छोटी बहन डाली के मोबाइल फोन से नारायण से बातचीत करने लगी और दोनों के बीच अवैध सम्बन्ध बन गए।
डाली को इसका पता चल गया तो दोनों परेशान हो उठे। दोनों ने उससे माफी मांगी लेकिन डर बना रहा कि कहीं डाली उनका भांडा न फोड़ दे।
आरोपितों ने पुलिस को बताया कि 26 मार्च को उन्होंने षडय़ंत्र पूर्वक डाली को पड़ोस में वैवाहिक कार्यक्रम में नाचने के लिए बुलाया। रात भर उसे वहीं रोके रखा।
सुबह नारायण व गणेशी ने कनेरिया के बीज पीसकर डाली को चाय में मिलाकर पिला दिया। डाली ने कहा कि चाय कड़वी है तो दोनों ने नई पत्ती का हवाला दे अनसुना कर दिया। भूखे पेट कनेरिया के बीज खाने से डाली के शरीर में जहर फैल गया।
ताकि निकल जाए प्राण
आरोपितों ने पुलिस को बताया कि जहर फैलने तक नारायण एक-डेढ़ घंटे के लिए बाहर चला गया। डाली बेहोश हो गई तो दोनों ने चीखना-चिल्लाना शुरू कर दिया।
लोग एकत्र हुए तो दोनों उसे लेकर अस्पताल के लिए रवाना हुए लेकिन तुरन्त अस्पताल पहुंचने की बजाय नारायण धीरे-धीरे गाड़ी चलाता रहा।
गाड़ी यहां-वहां घुमाता हुआ डाली को अस्पताल ले गया ताकि तब तक वह मर जाए। अस्पताल में चिकित्सकों ने जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद नारायण खुद पुलिस के पास पहुंचा और रिपोर्ट दी कि जंगल में बकरियां चराते वक्त कोई विषाक्त खा लेने से डाली की मौत हो गई।
फोन की रिकॉर्डिंग से सामने आया सच
आरोपितों ने हत्या के बाद डाली का मोबाइल फोन उसके कपड़ों में छिपा दिया था। यह मोबाइल अलमारी संभालते समय डाली के पिता उदा के हाथ लग गया।
उसकी रिकार्डिंग से उदा को नारायण व गणेशी के बीच अवैध सम्बन्ध होने का पता चला। इस पर उदा ने पुलिस को मोबाइल देकर डाली की हत्या होने की आशंका जताई।
पूछताछ में भी दोनों पुलिस को गुमराह करते रहे। नारायण ने पुलिस को दी रिपोर्ट में जंगल में बकरियां चराते वक्त विषाक्त खाने से डाली की मौत होना बताया था।
लेकिन पुलिस को जांच में पता चला कि उसके परिवार में तो बकरियां ही नहीं थी। इस पर कड़ाई से पूछताछ की तो दोनों ने हत्या करना कबूल लिया।

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