मंगलवार, 19 मई 2015

नई दिल्ली इसरो ने बनाया एस्ट्रोसेट, साल के उत्तरार्ध में होगा प्रक्षेपण



नई दिल्ली इसरो ने बनाया एस्ट्रोसेट, साल के उत्तरार्ध में होगा प्रक्षेपण


आकाशीय पिंडों का अध्ययन करने के लिए बनाए गए देश के पहले खगोलीय मिशन 'एस्ट्रोसेट' को तैयार कर लिया गया है और इसकी सभी प्रणालियों का परीक्षण शुरू हो चुका है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को एक बयान में यह जानकारी दी।

एस्ट्रोसेट मिशन एक साथ पराबैंगनी, ऑप्टिकल, निम्न और उच्च ऊर्जा एक्सरे वेवबैंड पर काम करने में सक्षम है। इस उपग्रह को इस साल के उत्तरार्ध में पीएसएलवी सी-34 राकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाना है और इसे 650 किमी की ऊंचाई पर भूमध्यरेखीय कक्षा के करीब स्थापित किया जाएगा।

एस्ट्रोसेट इसरो की पहली अंतरिक्ष वेधशाला है। सभी उपकरणों और सहायक प्रणालियों को उपग्रह से जोड़ दिया गया है। उपग्रह की सभी प्रणालियां सही ढंग से काम कर रही हैं। आने वाले दिनों में इसके प्रक्षेपण से संबंधित परीक्षण किए जाएंगे।

एस्ट्रोसेट पर चार एक्सरे मशीनें, एक पराबैंगनी दूरबीन और एक चार्ज पार्टिकल मॉनीटर लगे हैं। इस पर लगे उपकरणों का विकास इसरो के अलावा चार अन्य भारतीय संस्थानों टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स और रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने किया है। दो उपकरणों को कनाडा अंतरिक्ष संस्थान और ब्रिटेन के लीसेस्टर विश्वविद्यालय के सहयोग से तैयार किया गया है।

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