भरतपुर। एम्बुलेंस ड्राईवर ने सरकारी अस्पताल को दान किए स्ट्रैचर
भरतपुर।कहते है कि यदि दिल में कुछ करने की तमन्ना हो तो सब कुछ आसान हो जाता है यहाँ तक की गरीबी भी उसके आड़े नहीं आती है। भरतपुर के राजकीय राजबहादुर मैमोरियल हॉस्पिटल में एक एम्बुलेंस ड्राइवर के द्वारा को दो स्ट्रेचर दान में दिए गए जिसके उपलक्ष में अस्पताल प्रशासन द्वारा एम्बुलेंस ड्राइवर का स्वागत सम्मान भी किया गया ।
सरकारी अस्पताल की हालत देख मिली प्रेरणा
शहर के गोपालगढ़ मोहल्ला निवासी निजी एम्बुलेंस ड्राइवर खजान सिंह ने जिला आरबीएम अस्पताल को दो स्ट्रेचर दान में दिए। खजान सिंह ने बताया की वह एक बार सोरोजी गंगा घाट से एम्बुलेंस लेकर वापस लौट रहा था तभी उसके सामने रारह गांव के पास एक सड़क दुर्घटना घटित हुई जिसमे लगभग 8 लोग घायल हुए थे। उन सभी को खजान सिंह ने अपनी एम्बुलेंस में लेकर इलाज के लिए आरबीएम अस्पताल लाया था तभी उसने देखा की मरीजों को गाड़ी से उतारने वाला कोई नहीं था और ना ही उन्हें वार्ड तक पहुंचाने के लिए स्ट्रेचर थे जिसको देखकर खजान सिंह ने अपने मन में ठान ली की किसी दिन अस्पताल प्रशासन को स्ट्रेचर दान करुंगा ।
महीने की तन्ख्वाह से पैसे बचाए
खजान सिंह ने बताया की स्ट्रेचर दान करने की सोच के चलते उसने अपनी हर माह की सेलरी से पैसे बचाकर एकत्रित किये और दो स्ट्रेचर अस्पताल प्रशासन को दान में दे दिए। अस्पताल प्रशासन के द्वारा उसकी सोच को सम्मानित करते हुए उसका माला पहनाकर स्वागत भी किया गया ।
भरतपुर।कहते है कि यदि दिल में कुछ करने की तमन्ना हो तो सब कुछ आसान हो जाता है यहाँ तक की गरीबी भी उसके आड़े नहीं आती है। भरतपुर के राजकीय राजबहादुर मैमोरियल हॉस्पिटल में एक एम्बुलेंस ड्राइवर के द्वारा को दो स्ट्रेचर दान में दिए गए जिसके उपलक्ष में अस्पताल प्रशासन द्वारा एम्बुलेंस ड्राइवर का स्वागत सम्मान भी किया गया ।
सरकारी अस्पताल की हालत देख मिली प्रेरणा
शहर के गोपालगढ़ मोहल्ला निवासी निजी एम्बुलेंस ड्राइवर खजान सिंह ने जिला आरबीएम अस्पताल को दो स्ट्रेचर दान में दिए। खजान सिंह ने बताया की वह एक बार सोरोजी गंगा घाट से एम्बुलेंस लेकर वापस लौट रहा था तभी उसके सामने रारह गांव के पास एक सड़क दुर्घटना घटित हुई जिसमे लगभग 8 लोग घायल हुए थे। उन सभी को खजान सिंह ने अपनी एम्बुलेंस में लेकर इलाज के लिए आरबीएम अस्पताल लाया था तभी उसने देखा की मरीजों को गाड़ी से उतारने वाला कोई नहीं था और ना ही उन्हें वार्ड तक पहुंचाने के लिए स्ट्रेचर थे जिसको देखकर खजान सिंह ने अपने मन में ठान ली की किसी दिन अस्पताल प्रशासन को स्ट्रेचर दान करुंगा ।
महीने की तन्ख्वाह से पैसे बचाए
खजान सिंह ने बताया की स्ट्रेचर दान करने की सोच के चलते उसने अपनी हर माह की सेलरी से पैसे बचाकर एकत्रित किये और दो स्ट्रेचर अस्पताल प्रशासन को दान में दे दिए। अस्पताल प्रशासन के द्वारा उसकी सोच को सम्मानित करते हुए उसका माला पहनाकर स्वागत भी किया गया ।
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