शनिवार, 23 मई 2015

अकबर ने दी ऐसी चुनौती, तो भक्त ने मां ज्वाला को चढ़ा दिया शीश



मां ज्वाला देवी शक्ति का साक्षात स्वरूप हैं। हिमाचल प्रदेश के इस प्राचीन शक्तिपीठ में मां भगवती की पवित्र ज्योति स्वतः प्रज्वलित होती रहती है।

पढ़िए मां ज्वाला की संपूर्ण कथा- सतयुग तक जलेगी मां की यह ज्योति, खौलता पानी भी लगता है ठंडा

मां ज्वाला देवी के मंदिर में नारियल चढ़ाने का विशेष महत्व है। कहते हैं कि जिसने भी सच्चे मन से मां को यहां नारियल भेंट किया, उसकी मन्नत वे जरूर स्वीकार करती हैं।

मां ने अपने चमत्कारों से असंभव को भी संभव बनाया है। इस धाम की कई बातें विज्ञान की मान्यताओं को चुनौती देती हैं। ऐसी ही एक और कथा है जब मां ज्वाला देवी ने अपने भक्त की सत्यता और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए विधि का विधान बदल दिया।

यह बादशाह अकबर के जमाने की बात है। मां ज्वाला का एक भक्त जिसका नाम ध्यानू था, गांव-शहरों में मां की भक्ति के गीत गाया करता था। उसका पूरा जीवन मां को समर्पित था।

एक बार वह मां के दरबार में उनके दर्शन के लिए जा रहा था। मार्ग में बादशाह अकबर उसकी परीक्षा लेना चाहता था। उसने ध्यानू से पूछा, बताओ इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली कौन है?

ध्यानू ने जवाब दिया, इस दुनिया में सबसे ज्यादा शक्तिशाली मां ज्वाला हैं। वे ही मां शक्ति हैं और शक्ति ही शिव हैं। सबकुछ उनमें ही समाया है। इसलिए मां ही सर्वशक्तिमान हैं। वे सबकुछ कर सकती हैं।

यह सुनकर अकबर ने तलवार के वार से उसके घोड़े की गर्दन काट दी और बोला, तो अपनी मां से कहो कि वह इस घोड़े का सिर वापस जोड़ कर इसे जिंदा कर दें।

यह दृश्य देखकर ध्यानू काफी दुखी हुआ। उसे उम्मीद नहीं थी कि अकबर उसकी ऐसी परीक्षा लेगा। वह मंदिर में गया और मां से प्रार्थना करने लगा।

काफी देर बाद भी जब मां ने दर्शन नहीं दिए तो उसने अपना शीश काटकर मां को चढ़ा दिया। शीश भेंट करते ही मां ज्वाला प्रकट हो गईं। मां ने न केवल ध्यानू को पुनः जिंदा किया बल्कि उसके घोड़े का सिर जोड़कर उसमें भी प्राण फूंक दिए।

ध्यानू द्वारा स्वयं का शीश काटने से मां को दुख भी हुआ। उन्होंने ध्यानू को हिदायत दी कि किसी भी भक्त को ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो भी भक्त प्रेम सहित मुझे नारियल चढ़ाएगा, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी हो जाएगी।

मान्यता है कि इसके बाद ही मां ज्वाला को नारियल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई और यह आज तक जारी है। हर साल लाखों भक्त मां के दर्शन करते हैं, उन्हें नारियल-प्रसाद आदि भेंट करते हैं। मां भी उनकी मनोकामनाएं पूर्ण कर आशीर्वाद देती हैं।

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