शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

मंदिर का अनोखा रिवाज, यहां पति-पत्नी एकसाथ नहीं कर सकते दर्शन



देश-दुनिया में ऐसे विभिन्न धार्मिक स्थल हैं जो अपने इतिहास के साथ ही कुछ अनोखी परंपराओं की वजह से भी जाने जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर हिमाचल प्रदेश में है।

आमतौर पर हिंदू परंपराओं और यज्ञ-पूजन में पति-पत्नी का एकसाथ शामिल होना मंगलकारी माना जाता है, लेकिन यहां एक ऐसा रिवाज है जिसके कारण पति-पत्नी एकसाथ दर्शन-पूजा नहीं करते।

शास्त्रों में भी ऐसी कई कथाएं आती हैं जब किसी ने आध्यात्मिक व शुभ कार्य किया तो उसका जीवनसाथी भी उसमें शामिल हुआ। परंतु हिमाचल प्रदेश का ये मंदिर इस मामले में अनोखा कहा जा सकता है।
in shrai koti temple couples cant worship
कहा जाता है कि जो पति-पत्नी एकसाथ इस मंदिर में दर्शन कर लेते हैं, उनके जीवन में अनेक कष्ट आते हैं और उन्हें अलग तक होना पड़ सकता है। यह मंदिर शिमला के रामपुर नामक स्थान पर स्थित है।

यहां दूर-दूर से लोग श्राई कोटि माता के दर्शन करने आते है। हालांकि जब पति-पत्नी यहां दर्शन करने आते हैं तो वे अलग-अलग ही माता के दर्शन करते हैं।

क्या कहती है प्राचीन कथा

मंदिर के साथ एक प्राचीन कथा भी जुड़ी हुई है। कहते हैं कि इसका संबंध भगवान शिव के परिवार से है। एक बार भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेयजी को ब्रह्मांड का चक्कर लगाने को कहा तो कार्तिकेयजी ब्रह्मांड का चक्कर लगाने चले गए और गणेशजी ने अपने माता-पिता को ही ब्रह्मांड मानकर उनकी परिक्रमा कर ली।

कार्तिकेयजी को ब्रह्मांड का चक्कर लगाने में समय लगा। जब वे आए तो गणेशजी का विवाह हो गया था। इससे कार्तिकेयजी क्रोधित हो गए। उन्होंने प्रतिज्ञा कर ली कि वे कभी विवाह नहीं करेंगे।

जब मां पार्वती को कार्तिकेयजी की इस प्रतिज्ञा के बारे में मालूम हुआ तो वे भी नाराज हुईं। उन्होंने कहा कि जो भी पति-पत्नी एकसाथ इस मंदिर में दर्शन करेंगे उन्हें भविष्य में एकदूसरे से अलग होना पड़ेगा। यही कारण है कि आज भी यहां दंपत्ति एकसाथ पूजा नहीं करते।

लोगों की मान्यता है कि जो भी भक्त यहां मंदिर की इस परंपरा का पालन करते हुए दर्शन करता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं मां भगवती जरूर पूर्ण करती हैं। इस मंदिर के पास कुदरत का बेहद खूबसूरत नजारा है।

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