हनुमानजी ऐसे देवता हैं जिनके नाम मात्र से रावण की राक्षस सेना में भय का संचार हो जाता था। क्या आपने ऐसे राक्षसों के बारे में सुना है जिनकी पूजा हनुमानजी के साथ की जाती है?
झांसी के पंचकुइयां इलाके में हनुमानजी का चिंताहरण मंदिर है। यहां हनुमानजी के साथ दो राक्षसों की भी पूजा की जाती है। इन राक्षसों के नाम हैं - अहिरावण और महिरावण। मंदिर का संबंध हनुमानजी द्वारा इन दोनों राक्षसों के वध की कथा से है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये मंदिर 300 वर्ष पुराना है।
मंदिर में हनुमानजी की लगभग 5 फुट ऊंची प्रतिमा है। उन्होंने अपने कंधों पर भगवान राम और उनके भ्राता लक्ष्मणजी को बैठा रखा है। वहीं, पैरों से अहिरावण-महिरावण की तांत्रिक देवी को कुचला हुआ है। ये दोनों राक्षस इस देवी को लोगों की बलि चढ़ाते थे।
पास ही अहिरावण और महिरावण की मूर्तियां हैं। दाईं ओर हनुमानजी के पुत्र मकरध्वज भी विराजमान हैं। मंदिर में मंगलवार को काफी भीड़ होती है और लोग दूर-दूर से यहां आकर हनुमानजी का आशीर्वाद लेते हैं। यहां आटे का दीपक जलाकर श्रद्धालु हनुमानजी से मन्नत मांगते हैं।
कहा जाता है कि इस मंदिर में 5 मंगलवार तक आटे का दीपक जलाने से हनुमानजी उसकी विनती जरूर सुन लेते हैं। हनुमानजी के साथ इन दोनों राक्षसों की प्रतिमा और तांत्रिक देवी द्वारा बजरंग बली को नमन करने का मतलब है कि वे भक्तों को नकारात्मक प्रवृत्तियों पर विजय दिलाते हैं। जहां हनुमान हैं वहां लक्ष्मणजी और उनके भ्राता श्रीराम भी हैं।
अहिरावण-महिरावण तांत्रिक देवी के सामने श्रीराम-लक्ष्मण की बलि देना चाहते थे लेकिन हनुमानजी ने अपने सूझबूझ और पराक्रम से इन दोनों का वध कर दिया था। यह मंदिर हनुमानजी की उसी विजय को समर्पित है।
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