सोमवार, 13 अप्रैल 2015

धोरीमन्ना उपखण्ड में कब होगा इन समस्याओं का समाधान



धोरीमन्ना उपखण्ड में कब होगा इन समस्याओं का समाधान
श्रीराम ढाका / प्रकाशचंद बिश्नोई।।
धोरीमन्ना टैग लाइन। बढ़ रहा है अतिक्रमण धोरीमन्ना कस्बे की सड़कों के दोनों ओर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। मेन रोड़ पर एक तरफ दुकानदारों ने पहले ही दुकानें बढ़ा कर लगाना शुरू कर दिया था। अब दूसरी तरफ वाहनों का जमावड़ा लगने लगा है। ऐसे में यहां से वाहनों के निकलने की बात दूर, बाजार और कालोनियों में आने-जाने वालों को पैदल चलने में भी मुश्किलें आ रही हैं। फिर जन प्रतिनिधियों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। जिस कारण सड़कों के दोनों ओर की सड़क कम होती जा रही है। वाहन चालकों और आम आदमी को सड़कों से गुजरते हुए कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ जगहों पर तो अतिक्रमण की हालत यह हो गई है कि दुकानदारो ने सड़क पर अतिक्रमण करते हुए अपनी अपनी दुकानों को आगे बढ़ा लिया है। बाजार के मुख्य मार्ग में ऐसा होते देखा जा सकता है। पर हैरानी की बात यह है कि अब तक ऐसा करने वालों पर स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। मुख्य सड़कों की चौड़ाई दिनों दिन कम होती जा रही है। जो कि धोरीमन्ना शहर के विकास के लिहाज से चिंता का विषय है। वाहनों के बढ़ते दबाव के आगे सड़कों का चौड़ीकरण आज की आवश्यकता है, पर प्रशासन की निष्क्रियता और लोगों की हठधर्मिता के कारण पूरे शहर की सड़के गली में तब्दील होती जा रही हैं। इस पूरे मामले में अगर स्थानीय प्रशासन कुछ कर पाने में असमर्थ है। तो इस स्थिति में जिला प्रशासन को सामने आने की आवश्यकता है। बड़े शहरों में अवैध कब्जा हटाने अभियान चलाया जाता है। धोरीमन्ना में पूर्व इस तरह का अभियान चलाया गया था पर नए सिरे से हो रहे अतिक्रमण पर रोक नहीं लगाने के कारण अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं।




सीएलजी की बैठक रह गई कागजी खानापूर्ति




कुछ दिन पूर्व स्थानीय थाना परिसर में कस्बे के व्यापारियों बस एवं टेक्सी यूनियनों की सीएलजी बैठक आयोजित हुई थी जिसमे व्यापारी बस एवं टेक्सी ऑपरेटर्स एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित हुए बैठक में एसडीएम मणिलाल तीरगर ने सभी को कहा की बाजार की व्यवस्था बनाने में सभी सहयोग करे बाजार अतिक्रमण हटाने मुख्य बाजार में बड़े वाहनो के प्रवेश की रोक पार्किग व् बस डिपो की उचित जगह के संबंध में ग्रामीणो से राय लेकर चर्चा की गई उचित जगह पर टेक्सी स्टेण्ड निर्धारित करने बाजार में चोकीदार लगाने सब्जीमण्डी को सही जगह पर लगाने की बाजार में यातायात व्यवस्था एक तरफ़ा करने तथा बाजार में सुबह 10 से शाम 6 बजे तक भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया बैठक में व्यापारियो को दुकानों के आगे अतिक्रमण नहीं करने की अपील की लेकिन उस बैठक को हुए कई दिन बीत गए पर बैठक में लिए गए निर्णय उस बैठक तक ही सिमित रहे उसको लागु करने की जहमियत किसी ने नहीं उठाई।




सड़कों पर फैली है गंदगी




धोरीमन्ना मेन बाजार में लंबे समय से कूड़ेदान की व्यवस्था नहीं की गई है। जिस कारण बाजार में गंदगी बढ़ती जा रही है इस वजह से सड़क पर कई जगह कूड़े के ढेर बन गए हैं सड़क के किनारे भी गंदगी का अंबार लगा हुआ है। सरकार सफाई अभियान के लाख दावे करें लेकिन वास्तविक स्थिति इसके विपरीत है। यहां परआवारा पशु भी घूमते रहते हैं। जिस कारण सड़कों से गुजरने में स्वयं की सुरक्षा की चिंता बनी रहती है। लेकिन अभी तक समस्याओं को नहीं सुलझाया जा सका है। जिसका खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है।




नहीं हैं सब्जी मंडी की सुविधा




धोरीमन्ना स्थानीय सबसे बड़ी सब्जीमंडी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रही है। सब्जी मंडी मुख्य बाजार में होने के कारण आवारा पशुओ का अंबार लगा हुआ है सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। शहरवासियों का कहना है कि जब यहां पर लोग सब्जी लेने के लिए आते हैं तो आवारा घूम रहे पशुओ से बच कर रहना पड़ता है। पुरानी गली-सड़ी सब्जियां यहां के दुकानदार कहीं पर फेंक देते है। यहां पर कोई सफाई कर्मचारी दस्तक नहीं देता है।




बिजली की आँख मिचौनी




गर्मी के मौसम में बिजली की खपत बढ़ जाती है। बिजली की खपत कम करने के लिए अलग-अलग क्षेत्र में कई घण्टों तक बिजली कटौती कर रही है। कटौती का कोई समय भी निर्धारित नहीं है। यह कटौती टुकड़ों में की जा रही है। दिन में कई बार बिजली बंद होने से गर्मी के कारण लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।




कालाबाजारी पर अंकुश लगे




धोरीमन्ना उपखण्ड में घरेलू गैस की कालाबाजारी पर रोक नहीं लग रही है। गैस एजेंसियों की मिलीभगत से ऐसे लोगों को गैस आसानी से मिल जाती है जबकि दूसरे लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। उन्हें एक सिलिंडर के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा हैं। वाहनों में घरेलू सिलेंडरों का प्रयोग होने से सिलेंडरों की कालाबाजारी भी बढ़ गई है। बावजूद इसके लोगों को सिलिंडर कब मिलेगा, इसकी जानकारी भी उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाती है। एजेंसी की मिलीभगत के चलते व्यावासायिक प्रतिष्ठानों पर घरेलू सिलैंडर खुलेआम प्रयोग किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं उपभोक्ताओं के साथ गैस एजैंसी कारिंदे अभद्रता करने से भी गुरेज नहीं करते। अगर कोई परेशान उपभोक्ता एजैंसी के विरुद्ध कार्रवाई करता भी है तो उसे भी विभाग के अधिकारी दबा देते हैं। जिसकी वजह से एजैंसी पर कार्य करने वाले कारिंदों व संचालक के हौसले बुलंद हैं।




पानी सप्लाई का समय निर्धारित नहीं




धोरीमन्ना क्षेत्र में पानी की सप्लाई का कोई समय निर्धारित नहीं है। पानी कब आता है कब जाता है, इसका कोई पता नहीं रहता है। टाइम निर्धारित नहीं होने से लोगों को क्षेत्र में पानी की सप्लाई के बारे में भी पता ही नहीं लग पाता है। इसलिए लोगों को रात में या दिन भी पानी भरकर रखना पड़ता है ताकि पानी न मिलने की वजह से घरेलू कार्य प्रभावित न हो। क्षेत्र में पानी की सप्लाई का समय निर्धारित करना चाहिए जिससे लोगों को इसका फायदा मिले। लोगों को पीने के पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, वहीं लोग टेंकरों से पानी मंगवा कर पी रहे है। गरीबों की दशा तो ओर भी खराब है। ग्रामीण इलाको में दस वर्षो से जलदाय विभाग की बानी पानी की टंकिया सुखी पड़ी है पशुओ को भी पानी के लिया भटकना पड़ रहा है




लाखों ख़र्च पर नहीं रुकी रोडवेज




धोरीमन्ना पुलिस थाने के पीछे ग्रामीणों की सुविधा के लिए रोडवेज बस स्टेण्ड बनाया गया था। पर वहा तक रोडवेज नहीं जा रही है ग्रामीणो द्वारा कई बार उच्चाधिकारियों को इस और अवगत करवाया लेकिन रोडवेज प्रशासन की नींद ही नहीं खुल रही है पूर्व में इस बारे में पत्रिका द्वारा भी मुद्दा उठाया गया लेकिन बसें वहां नहीं रुकतीं। जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।




कही पर भी नहीं पेशाबघर एवं शौचालय की सुविधा




धोरीमन्ना बाजार एवं सार्वजनिक स्थान पर आमजन के लिए कही पर भी पेशाबघर एवं शौचालय की सुविधा नही है शौचालय न होने से लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।लोगों को मजबूरी में खुले में ही शौच जाना पड़ता है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत सरकार बड़े-बड़े दावे करने के साथ घर-घर शौचालय निर्माण को लेकर प्रोत्साहन कर रही है। मगर धोरीमन्ना उपखण्ड पर शौचालय नहीं होना समझ से परे है।




धोरीमन्ना में दमकल की दरकार




धोरीमन्ना क्षेत्र में दीपक और चूल्हे की चिनगारी से भड़कने वाली आग से हर साल सैकड़ों आशियाने जलकर राख हो जाते हैं, वहीं इनमें बसने वालो के पास खुले आसमान का साया और धरती की गोद के अलावा कोई सहारा ही नहीं बचता। पलक झपकते ही सब कुछ स्वाह होने के बाद तात्कालिक सहायता के लिए पड़ोसी के अलावा कोई नहीं दिखता घासफूस के आशियानों में बसने वाला अस्सी फीसदी से अधिक तबका गरीब श्रेणी का होता है, अपने पसीने की गाढ़ी कमाई से नसीब होने वाली छत को एक ही पल में गंवा देने के बाद तो मानों उस पर आसमान ही टूट पड़ता है। इसके बावजूद धोरीमन्ना उपखण्ड पर इस तरह की भीषण त्रासदियों पर नियंत्रण पाने का कोई जरिया नहीं है, कोई चारा नहीं है। धोरीमन्ना में दमकल की व्यवस्था को लेकर कई बार मांग उठती रही, लेकिन नतीजा विफल रहा है।

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