सोमवार, 13 अप्रैल 2015

बालोतरा पहले हमें परखो, फिर कराओ दाखिला



बालोतरा

'सरकारी स्कूलों में कहां पढ़ाई होती हैÓ, आम लोगों का यह जुमला और उनकी इसी धारणा को बदलने की ठानी है इस स्कूल के शिक्षकों ने। धोरीमन्ना का यह सरकारी स्कूल निजी स्कूलों से टक्कर लेने को पूरी तरह तैयार है।

First we tested, then get admission

बिल्कुल उसी अंदाज में। इसके लिए बाकायदा वे स्कूल की खासियतों को हर एक व्यक्ति तक पहुंचा रहे हैं। पेम्फलेट बांट रहे हैं, गली-गली घूम अपनी उच्च शैक्षणिक योग्यताआें, स्कूल की गतिविधियों और बेहतर परिणाम का हवाला देकर अपने बच्चों को इस सरकारी स्कूल में दाखिला दिलवाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वे कह रहे हैं, पहले हमें परखो, फिर दिलाओ दाखिला।




जिले ही नहीं, पूरे प्रदेश के लिए इन दिनों उदाहरण बना है धोरीमन्ना का राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय। यहां की कार्यवाहक प्रधानाचार्य और सभी शिक्षकों ने निर्णय किया कि वे निजी विद्यालयों से प्रतिस्पद्र्धा करेंगे। छुट्टियों से पहले ही गांव में माहौल बनाने और अभिभावकों को प्रेरित करना प्रारंभ कर दिया है। बकौल जिला शिक्षा अधिकारी, पूरे जिले में यह मॉडल बन गया है। हमें इसे सभी स्कूलों में लागू करके बाड़मेर की सरकारी स्कूलों को पूरे प्रदेश में मॉडल बनाना है।




गिना रहे सरकारी स्कूलों की सुविधाएं

इसके लिए प्रचार-प्रसार सामग्री प्रकाशित करवाई है। इसमें उल्लेख किया है कि विद्यालय में बेटियों के आगे बढऩे और पढऩे के संपूर्ण अवसर है। यहां पर खेल, शैक्षणिक सह शैक्षणिक गतिविधियां और विद्यालय का परिणाम भी बेहतर है। साथ ही शिक्षकों की शैक्षणिक-सहशैक्षणिक योग्यता का उल्लेख किया है कि वे किसी भी मायने में कमतर नहीं है।




कई प्रतियोगी परीक्षाओं में अव्वल आकर वे शिक्षक बने हैं। सरकारी स्कूलों में गार्गी पुरस्कार, आपणी बेटी योजना, निशुल्क साइकिल, ट्रांसफर वाउचर और छात्रवृत्ति जैसी कई सुविधाएं हैं, जिससे बेटियों का भविष्य संवर सकता है। पेम्फलेट में विद्यालय की अव्वल छात्राओं का भी उल्लेख किया है।




सोशल मीडिया पर भी

विद्यालय में प्रवेश के लिए अभिभावकों को प्रेरित करने की इस सामग्री का सोशल मीडिया पर भी पूरा इस्तेमाल किया है। इसके जरिए अभिभावकों को प्रेरित किया जा रहा है।




धारणा बहुत कचोटती है

विद्यालय में मेहनत करके पढ़ाया जा रहा है। लोगों की धारणा सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होने की है। इसे हमें ही बदलना होगा। लोगों की यह धारणा हमें बहुत कचोटती है। जब जिम्मेदारीपूर्वक हम कहेंगे कि पढ़ाएंगे तो परिजन विश्वास से बेटियों को भेजेंगे। इसलिए यह पहल की है।

हेमलता चौधरी, कार्यवाहक प्रधानाचार्य, राबाउमाावि, धोरीमन्ना




जिले भर में माहौल बनाएंगे

सरकारी विद्यालयों में इस तरह की पहल सराहनीय है। मुझे जानकारी मिलने पर अन्य प्रधानाचार्यों को भी अनुकरण करने का लिखा है। अब टीम वर्क के साथ काम करना होगा। मैं भी इसके लिए धोरीमन्ना जाकर अभिभावकों को प्रेरित करूंगा।

प्रेमप्रकाश व्यास, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक)

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