बुधवार, 18 मार्च 2015

जैसलमेर भारत आए छह हजार पाक नागरिक नहीं लौटे



जैसलमेर
जैसलमेर जिले के पाक सीमा से सटे गांवों में बिजली की लाइन या तो बिछाने ही नहीं दी जाती या फिर चुरा ली जाती है, क्योंकि अंधेरा तस्करों को अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए अनुकूल लगता है।


इसके अलावा एक रोचक बात यह भी है कि यहां पशुपालन, कृषि या मजदूरी कार्य से जुड़े कई लोगों बारे में पक्के तौर पर किसी को नहीं पता कि इनमें कौन कहां से आया है? और कब तक यहां रहेगा। बिना रोक-टोक के रोज सैकड़ों की संख्या में लोग प्रतिबंधित इलाकों में आ-जा रहे हैं।


ताकि नापाक मंसूबे हो कामयाब
खुफिया सूत्रों के मुताबिक इन क्षेत्रों को अपनी शरणगाह बनाने वाले असामाजिक व राष्ट्रविरोधी तत्व ये चाहते ही नहीं कि इन इलाकों में बिजली जैसी मूलभूत सुविधा हो, तभी वे अपने नापाक इरादों को अंजाम तक पहुंचा सकते हैं।


उधर, खुफिया एजेंसिया ऐसे पाक नागरिकों को भी तलाश कर रही है, जो वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी जैसलमेर व आसपास के सरदही क्षेत्रों में बैठे हैं।


चिंता का बड़ा कारण यह भी है कि अब ऐसे लोगों की कोई खैर खबर भी नहीं है कि कौन कहां है? यही नहीं ऐसे लोगों ने पाकिस्तान जाने के लिए किसी तरह का न तो आवेदन किया है और न ही उनके पास पाकिस्तान वापस नहीं जाने के लिए कोई विशेष कारण है।


क्यों नहीं लौटे अपने वतन
पुलिस सूत्र बताते हैं कि वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी कई ऐसे लोग संदिग्ध हंै, जो वापिस पाकिस्तान नहीं लौटे हैं। पुलिस फिलहाल खुफिया तंत्र व सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर ऐसे संदिग्ध तत्वों की धरपकड़ के लिए तलाश में जुटी हुई है।


सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि विगत वर्षो में करीब 6 हजार पाकिस्तानी नागरिक अलग-अलग कारणों से भारत तो आए, लेकिन पाकिस्तान लौटे ही नहीं।


इनमें बड़ी संख्या में लोग जैसलमेर जिले में डेरा जमाए हुए हंै। उधर, सीसुब से जुड़े अधिकारी व सुरक्षा एजेंसियों व पुलिस का मानना है कि संदिग्ध गतिविधियों पर उनकी नजर है और इंटेलीजेंस एक्टिव है। सरहद में बसे संदिग्ध लोग उनकी निगाह में है, किसी भी अवांछनीय गतिविधियों को रोकने के लिए सुरक्षा पहरा मजबूत है।


प्रतिबंधों की परवाह नहीं
क्रिमिनल संशोधन एक्ट 1996 के तहत अधिसूचित थाना क्षेत्रों में किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश के लिए अनुमति लेना अनिवार्य है।


जैसमलेर में 2008 में बार्डर को बेचने के मामले के बाद इस कानून को सख्त किया गया है।


बिना अनुमति आए व्यक्ति के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर सकती है। हकीकत यह भी है कि इन क्षेत्रों में बाहर से संदिग्ध लोग बेरोकटोक आते हैं और रह भी रहे हैं। कानून व प्रतिबंधों से बेपरवाह कई लोगों ने तो यहां आने आवास तक बना लिए हैं।


इन गांवों में अनुमति जरुरी
प्रतिबंधित क्षेत्र में जैसलमेर जिले के आठ थाना क्षेत्रों के करीब साढ़े तीन सौ गांव आते हैं। जिसमें झिझनियाली क्षेत्र के 40 गांव, खुहड़ी क्षेत्र के 65 गांव, सम क्षेत्र के 35 गांव, शाहगढ़ क्षेत्र के 68 गांव, रामगढ़ क्षेत्र के 32 गांव, मोहनगढ़ क्षेत्र के 48 गांव, नाचना क्षेत्र के 22 गांव व नोख क्षेत्र के 29 गांव शामिल हंै।


एसडीएम, संबंधित थाना, पुलिस अधीक्षक व तहसीलदार से सत्यापन होने के बाद उस शख्स को प्रतिबंधित थाना क्षेत्र में जाने की अनुमति मिलती है, जो अधिकतम 15 दिन तक के लिए होती है। अवधि बढ़ाने पर फिर अनुमति लेनी पड़ती है।

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