रविवार, 1 मार्च 2015

बाड़मेर फाग की मस्ती छाई हैं थार मरुस्थल में,चंग बजने लगे


बाड़मेर फाग की मस्ती छाई हैं थार मरुस्थल में,चंग बजने लगे
चन्दन सिंह भाटी
बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले में मदोत्सव एवं रंगोत्सव की मस्ती छाई हुई हैं।आधुनिकता की दौड़ के बावजूद थार मरुस्थल में लोक कला और संस्कृति से जुड़ी परम्पराओं का निर्वाह किया जारहा हैं।ग्रामीण अंचलों में होली की धूम मची हैं।ग्रामीण अंचलों में रंगोत्सव की मदमस्ती बरकरारहैं।ग्रामीण चौपालों पर सूरज लते ही ग्रामीण चंग की थाप पर फाग गाते नजर आते हैं।वहीं फागुनी लूर गाती महिलाओं के दल फागोत्सव के प्रति दीवानगी का एहसास कराती हैं।सीमावर्ती बाड़मेर जिले की लोक परम्पराओं का निर्वहन ग्रामीण क्षैत्रों में आज भी हो रहा हैं।रंग और मद के इस त्यौहार के प्रति ग्रामीण अंचलों में दीवानगी बरकरार हैं।ग्रामीण चौपालों पर गा्रमीणों के दल सामुहिक रुप से चंग की थाप पर फाग गीत गाते नजर आते हैं।जिले में लगातार

पड़ रहे अकाल का प्रभाव अधिक नजर नहीं आ रहा ।अलबता होली के धमाल के लिए प्रसिद्धसनावड़ा गांव के बुर्जुग माधो सिंह दांता ने बताया कि अकाल के कारण गांव के युवा रोजगार के लिएगुजरात गए हुए हैं। के आभाव हमारे गॉव में होली का रंग फीका नही। पडता।होली सेतीन चार रोज पूर्व रोजगार के लिए बाहर गए युवा पर्व मनाने पहफॅच जाएगे।गांव की परम्परा हैंजो हम अपने बुजुर्गों के समय से देखते आ रहे हैं।इसकी पालना होती हैं।होली से 15 दिन पूर्व गांव में होली का आलम शुरु होता हैं।चोपाल पर शाम होते होते गांव के बडे बुे जवान बच्चे सभी एकत्रित हो जाते हैं।चंग बजाने वालो की थाप पर गा्रमिण सामुहिक रुप से फाग गाते हैं।वहीं गांव की महिलाए रात्री में एक जगह एकत्रित हो कर बारी बारी से घरों के आगे फाग गाती हैं।जो महिलाऐं इस दल में नहीं आती उस महिला के घर के आगे जाकर महिला दल अश्लील फाग गाती हैं,जिसे सुनकर अन्दर बैठी महिला शर्माकर दल मे शामिल हो जाती हैं।महिलाओं द्घारा दो दल बनाकर लूर फाग गाती हैं।लूर में दोनों महिला दल आपस में गीतों के माध्यम से सवालजवाब करती हैं।लूर थार की परम्परा हैं।लुप्त हो रही लूर परम्परा सनावडा तथा सिवाना क्षैत्र के ग्रामीण अंचलों तक सिमट कर रह गई हेैं।फाग गीतों के साथ साथ डाण्डिया गेर नृत्य का भी आयोजन होता हैं।भारी भरकम घुंघरु पांवों में बांध कर हाथें में आठ आठ मीटर लम्बे डाण्डियेंल े कर ोल की थाप और थाली िी टंकार पर जब गेरिऐं नृत्य करते हैं तों लोक संगीत की छटा माटी की सौंधी में घुल जाती हैं। सनावडा में होली के दूसरे दिन बडे स्तर पर गेर नृत्यो का आयोजन होता हैं।जिसमें आसपास के गांवों के कई दल हिस्सा लेते हैं।ग्रामीण क्षैत्रों में होली का रंग जमने लगा हैं।शहरी क्षैत्र में भी गेरियों के दल इस बार नजर आ रहे हैं।जो शहर की गलियों में चंग की थाप पर फाग गाते नजर आते हैं।

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