मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

बाड़मेर स्वभाव सरल तो स्वर्ग मुट्ठी में - डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर



स्वभाव सरल तो स्वर्ग मुट्ठी में - डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर
हाथों में मेहंदी नहीं, मेहनत का रंग लगाएँ - संत ललितप्रभ


सभी छात्राओं ने हाथ खड़े कर लिया गुस्सा न करने का संकल्प

कुशल वाटिका स्थित एमवीसी पब्लिक स्कूल में बुधवार को होंगे संतों के कार्यक्रम


बाड़मेर, 10 फरवरी। युवा मनीषी डॉ. मुनि शांतिप्रियसागर महाराज ने कहा कि सावधान, एक पल का गुस्सा आपके लम्बे-चैड़े भविष्य को चैपट कर सकता है। राहू, केतू, मंगल और शनि की साढे साती से ज्यादा दुखदायी है गुस्सा। जो व्यक्ति केवल एक साल तक गुस्सा न करने का संकल्प ले लेता है उनके नौ के नौ ग्रह अनुकूल हो जाते हैं और शनि की साढे साती भी मात्र सात महिनों में दूर हो जाती है। चुटकी लेते हुए मुनिप्रवर ने कहा कि अगर व्यक्ति स्वर्गीय हुए बिना स्वर्ग पाना चाहता है तो पहले अपने स्वभाव को सरल बनाएं। जिसका स्वभाव सरल है स्वर्ग उसकी मुट्ठी में है। सरल स्वभाव से दुश्मन भी दोस्त बन जाता है और कड़वे स्वभाव से दोस्त भी दुश्मन बन जाता है। अगर आप शांत हैं तो पड़ोसी भी आपको पसंद करेंगे नहीं तो घरवाले भी आपसे दूर रहना चाहेंगे। गुस्सैल लोगों पर व्यंग्य करते हुए मुनिश्री ने कहा कि गुस्सैल व्यक्ति की पत्नी सुबह के समय घड़ी देखती है कि कब समय हो और ये जाए ताकि घर में शांति हो और शांत व्यक्ति की पत्नी शाम के समय घड़ी देखती है कि कब ये आए और घर में आनंद छा जाए। अगर हमारे घर के अंदर आने पर घरवाले खुश होते हैं तो हमारी जीवन सार्थक हैं अन्यथा स्वभाव को सुधारने की जरूरत है।

मुनि शांतिप्रियसागर मंगलवार को माल गोदाम रोड़, मोचियों का वास स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में छात्राओं एवं श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सुखी जीवन का सीधा-सरल मंत्र है जो जवान हैं वे गुस्से को मंद करें और जो बूढ़े हैं वे गुस्से को बंद करें। उन्होंने वृद्ध लोगों से कहा कि जब आप दादा बन जाए तो दादागिरी करना छोड़ देना और परदादा बन जाए तो दुनियादारी करना छोड़ देना इसी में आपकी भलाई है। गुस्से को जीतने के उपाय बताते हुए मुनिश्री ने कहा कि मुहुर्त देखकर गुस्सा करें। जब भी गुस्सा आए तो करने से पहले एक बार चैघडिया देखें। अगर हम अमृतसिद्धियोग में भी गुस्सा करेंगे तो वह कालसर्पयोग बन जाएगा और कालसर्पयोग में भी शांत रहेंगे तो वह अमृतसिद्धियोग बन जाएगा। दूसरे टिप्स में मुस्कान बढ़ाने की प्रेरणा देते कहा कि कोई भी व्यक्ति मुस्कुराते हुए गुस्सा नहीं कर सकता। मुस्कुराते हुए दिया गया जवाब भी लाजवाब होता है। जब भी गुस्से का माहौल बने तब-तब मुस्कुराते हुए बात को पेश करने की कोशिश करें। याद रखें, जो काम रूमाल से हो जाए उसके लिए रिवाल्वर निकालना बेबकूफी है और जिस बात को प्रेम से कहा जा सकता है उसे तैश में आकर कहना नासमझी है। अंतिम टिप्स में संतप्रवर ने सप्ताह में एक दिन क्रोध का उपवास करने की प्रेरणा दी तो सभी छात्राओं ने एक साथ सप्ताह में एक दिन क्रोध न करने का संकल्प लिया।

हारें भले ही, पर हार न मानें - इस अवसर पर राष्ट्र-संत महोपाध्याय ललितप्रभ सागर महाराज ने छात्राओं से कहा कि हारना गुनाह नहीं है, पर स्वयं को हारा हुआ मान लेना अवश्य गुनाह है। याद रखें, कोई भी व्यक्ति जन्म से नहीं, कर्म से महान बनता है। हम कामयाबी की बजाय काबिलियत पर गौर करें। किस्मत से कागज हवा में तो उड़ सकता है, पर आसमान जैसी ऊँचाइयों को छूने के लिए पतंग जैसी काबिलियत चाहिए। उन्होंने कहा कि बचपन में हमें सिखाया गया कि गाय दूध देती है, पर दुनिया की क ोई भी गाय दूध देती नहीं, वरन् बूंद-दर-बूंद निकालना पड़ता है ठीक वैसे ही जीवन में आगे बढने के लिए भी पुरुषार्थ करना पड़ता है।

मेहंदी का नहीं, मेहनत का रंग लगाएँ रू छात्राओं को आगे बढने की प्रेरणा देते हुए संतश्री ने कहा कि छात्राएँ हाथों पर मेहंदी का नहीं, मेहनत का रंग लगाएँ। मेहंदी का रंग तो सात दिनों में उतर जाएगा, पर मेहनत का रंग जिंदगी भर बना रहेगा। संतश्री ने अभिभावकों से निवेदन किया कि वे बच्चियों को धन का नहीं, ज्ञान का दहेज दें। उन्हें पढ़ा लिखाकर पाँवों पर खड़ा करें ताकि कल उन्हें किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े। संतश्रीने कहा कि जिंदगी एक चुनौती है जो इसे स्वीकार करेगा वही आगे बढ़ेगा। याद रखें, खाली बोरी कभी खड़ी नहीं होती, उसे खड़ा करने के लिए उसमें कुछ-न-कुछ भरना पड़ता है।

भजन सुनकर जोश से भरी छात्राएँ-जब संतप्रवर ने जोश जगाएं, होश बढ़ाएं आसमान को छूँ लें हम, नई सफलताओं के सपने इन आँखों में भर लें हम भजन सुनाया तो सभी छात्राओं का आत्मविश्वास बढ़ गया।

संतों ने प्रधानाध्यापिका को दिया साहित्य-इस अवसर पर संत ललितप्रभ और संघ अध्यक्ष रतनलाल संखलेचा ने प्रधानाध्यापिका स्नेहलता अग्रवाल, व्याख्याता किरण चैधरी, शांति बोहरा और कांता चैधरी को साहित्य उपहार में दिया। श्रीमती सीमा दफ्तरी ने गुरुभक्ति गीत गाया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

कुशल वाटिका, एन एस 15 स्थित एम बी सी पब्लिक स्कूल में बुधवार को होंगे कार्यक्रम- संतों के बुधवार को सुबह 9.15 बजे कुशल वाटिका, एन एस 15 स्थित एम बी सी पब्लिक स्कूल में प्रवचन कार्यक्रम आयोजित होंगे।

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