मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

पाकिस्तान सिंध के ख्याति प्राप्त राजस्थानी मांगणियार लोक कलाकार

पाकिस्तानी लोक गायक सफी फ़क़ीर के साथ बाड़मेर के सूफी गायक फकीरा खान 

पाकिस्तान सिंध के ख्याति प्राप्त राजस्थानी मांगणियार लोक कलाकार

पाकिस्तान में मांगणियार जाति के लोक कलाकारों ने अपनी गायकी से अलग पहचान बना रखी हैं।पाक के सिन्ध प्रान्त के मिटठी,रोहड़ी,गढरा,थारपारकर,उमरकोट,खिंपरो,सांगड़ आदि जिलों में मांगणियार जाति के लोग निवास करते हैं।पाक में रह रहे मांगणियार मूलतःबाड़मेर-जैसलमेर जिलों के हैं,जो भारत-पाक युद्ध 1965 और 1971 में पलायन कर पाक चले गए।थार संस्कृति और परम्परा को लोक गीतों के माध्यम से अपनी छटा बिखेरने वाले मांगणियार कलाकारों की पाक में सम्मान जनक स्थिति नहीं थी।पाक के मांगणियार भी राजपूत जाति के यॅहा यजमानी कर अपना पालन पोषण करते थे।सोढा राजपूतों का सिन्ध में बाहुल्य हैं।सोढा राजपूतों की सिन्ध में जागीरदारी होने के कारण कई मांगणियार परिवार भारत-पाक विभाजन के दौरान पाक में रह गए तो कई परिवार युद्ध के दौरान पाक चले गए।बाड़मेर से गये एक परिवार में सन1961 में संगीत के कोहिनूर ने जन्म लिया।इस कोहिनूर जिसे पाकिस्तान और विदेशों में उस्ताद सफी मोहम्मद फकीर के नाम से जाना जाता हैं,ने मोगणियार गायकी को पाक में अलग पहचान और ख्याति दिलाई।उनके अलावा अनाब खान,शोकत खान,हयात खान,मोहम्मद रफीक,सच्चु खान,सगीर खान ढोली, ने मांगणियार संस्कृति को पाक में नई पहचान दी हैं।इसके अलावा बाड़मेर-जैसलमेर सीमा पर स्थित देवीकोट के मूल निवासी फिरोज गुल ने पाक में लुप्त हो चुके हारमोनियम कला को पुर्नजीवित कर काफी नाम कमाया,पाक में आज फिरोज गुल का हारमोनियम बजाने में कोई सानी नहीं हैं।पाक की मशहूर लोक गायिका आबदा परवीन के दल के साथ फिरोज देश-विदेशों में ख्याति अर्जित कर रहे हैं।पाक में मारवाड़ी लोक गीतों की जबरदस्त मांग को मांगणियार लोक कलाकार पूरा कर रहे हैं।वहीं पाक में मांगणियार गायकी को नया आयाम प्रदान किया तथा मारवाड़ी लोक गीत संगीत को पाक में मान-सम्मान दिलाया।इसके अलावा पाक में कृष्ण भील,सुमार भीलमोहन भगत,जरीना,माई नूरी,माईडडोली,माई सोहनी,सबीरा सुल्तान,दिलबर खान,फरमान अली,आमिर अली असलम खान,लाॅग खान सुमार खानमोहम्मद इकबाल जैसे मांगणियार लोक गीत संगीत के पहरुओं ने राजस्थान की लोक कला ,गीत संगीत,संस्कृति और परम्परा को पाक में जिन्दा रखा तथा मान सम्मान दिला रहे हैं।सिन्ध और थार की लोक संस्कृति ,परम्पराओं गीत संगीत ,कला में महज देश का फर्क हैं।मांगणियार लोक गायकों ने लोक गीत संगीत के जरिए दोनों देशों की सीमाऐं तोड़ दी।इसके अलावा ख्यातनाम गायिका रेशमा राजस्थान के बीकानेर की पैदाईश हैं।रेशमा ने पाक की लोक गायिकी को नई पहचान दी।ंजेसलमेर के हाजी भुटिका पाक की जेल में सरहद पार के जुम्र में सजायाप्ता था।हाजी भुटिका की सुरीली आवाज सुन कर हाजी की सजा पाक प्रशासक ने माफ कर नया जीवन दिया था।दी।पाकिस्तान गए भारतीय मांगणियार परिवारों नें थार शैली के लोक गीत-संगीत कों पाकिस्तान में ना केवल जिन्दा रखा अपितु उसे देनिया भर में नई उॅचाईयाॅ दी।पाकिस्तान में एक वक्त हारमेानियम समाप्त सा हो गया था।ऐसे में फिरोज मांगणियार नें हारमोनियम को नया जन्म देकर पाकिस्तान में हारमोनियम को लोकप्रियता के षिखर पर पहुॅचाया।फिरोज मांगणियार आज पाकिस्तान की मषहूर लोक गायिका आबिदा परवीन कें दल में ष्षामिल हो कर नयें आयाम छू रहे हैं।पाकिस्तान की मषहूर लोक गायिका रेषमा जिन्होंने देष विदेषों में अपनी अलग गायन ष्षैली सें अपना अलग मुकाम बनाया।रेषमा मूलतः राजस्थान के बीकानेर क्षैत्र की निवासी थी,रेषमा का परिवार विभाजन के दौरान पाकिस्तान चला गया।बिना लिखी पढी रेषमा नें विष्व भरमेंअपनी खास पहचान बनाई।दोनों देषों की सरहदें लोक गीत संगीत की सौंधी महक को बांट नहीं सकी।लोक गीत संगीत कें माध्यम सें दोनो देषों की अवाम अपने रिष्ते कायम रखे हुए हैं। श्



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