शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

बाड़मेर बाड़मेर के रास्ते थार एक्सप्रेस से आये कांगो फीवर से दो की मौत ,जैसलमेर निवासी अधेड़ की मौत

बाड़मेर बाड़मेर के रास्ते थार एक्सप्रेस से आये कांगो फीवर से दो की मौत ,जैसलमेर निवासी अधेड़ की मौत 
The cause of death Congo fever
बाड़मेर पाकिस्तान से बाड़मेर के  थार  जोधपुर पहुंचे कांगो फीवर से आज एक और मौत ने दशहत पैदा कर दी ,जोधपुर के ही  में जैसलमेर के पोकरण क्षेत्र के रतन की बस्ती  अधेड़ छाबर सिंह की कांगो फीवर से मौत ,  जोधपुर के गोयल  अस्पताल में चल रहा था ,जहा एक  कल हुई थी ,


कांगो फीवर से मौत  के बाद बाड़मेर जिले में  थार  भविष्य पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं , तक दो मौत की पुष्टि हो चुकी हैं 

गोयल अस्पताल के नर्सिगकर्मियों श्रवण कडेला और दिनेश चौहान की मौत कांगो बुखार से हुई थी। पुणे स्थित वायरोलॉजी प्रयोगशाला से दोनों के रक्त नमूनों की जांच में क्रीमिन कॉन्गो हेमेरेजिक फीवर (सीसीएचएफ) की पुष्टि हुई है।




दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में दम तोड़ने वाले श्रवण के रक्त नमूनों को एम्स ने भी पुणे भेजा था। इसमें भी कांगो बुखार की पुष्टि हुई। चिकित्सकों के अनुसार प्रदेश में कॉन्गो बुखार का यह पहला मामला है। इधर, दो नर्सिगकर्मियों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की रेपिड रेस्पोंस टीम (आरआरटी) ने गुरूवार को जोधपुर पहुंचकर पूरे मामले की गहनता से जानकारी ली।




टीम ने एसएन मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की टीम के अब तक जुटाए रिकॉर्ड की जांच की। टीम ने डॉ. आनंद गोयल से भी पूछताछ की। अस्पताल की उस इमारत पर भी ताला लगा दिया, जहां आईसीयू है। अस्पताल के आस-पास के 500 घरों के सर्वे के बाद मरीजों के घर, उनके मकान व पाली में संदिग्ध मरीज के घर का सर्वे कराया।




विशेष सूट पहनकर दफनाया

परिजन तड़के 5 बजे विशेष एम्बुलेंस से शव लेकर माणकलाव पहुंचे। दिल्ली एम्स से दिए विशेष सूट को पहनकर मथानिया में नर्सिगकर्मी श्रवण के शव को परिजनों ने दफनाया। बाद में विशेष सूट को जलाकर नष्ट कर दिया। अंतिम संस्कार में सिर्फ वही परिजन शामिल हुए जो शव के साथ आए थे। गमगीन परिवार के अन्य परिजन संक्रमण के डर से दूर रहे। इस दौरान ग्रामीणों ने भी चौकसी बरती और वे भी शामिल नहीं हुए।




यह है कॉन्गो बुखार

यह घरेलू जानवरों के शरीर पर चिपके परजीवी कीड़े से फैलता है। कीड़े के काटने, पशुओं के स्त्राव और टिश्यू के संपर्क में आने से इंसानों में यह रोग आ जाता है। पीडित मरीजों के खून और अन्य स्त्राव के संपर्क में आने से बीमारी एक से दूसरे में फैल जाती है। तेज बुखार के साथ बार-बार उल्टी होती है। पूरे शरीर में दर्द के बाद विभिन्न अंगों से रक्तस्त्राव और अंदरूनी ब्लीडिंग भी होती है। लीवर तक क्षतिग्रस्त हो सकता है। -


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