गुरुवार, 22 जनवरी 2015

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का विवादों से श्रीगणेश, राष्ट्रगान का हुआ अपमान


जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का विवादों से श्रीगणेश, राष्ट्रगान का हुआ अपमान

— 1 मिनट से ज्यादा गाया गया राष्ट्रगान, राष्ट्रगान गाने की शैली भी बदली
— जेएलफ के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रगान पर विवाद
— राष्ट्रगान की अवधि 52 सैकंड से ज्यादा नहीं हो सकती
— गृह मंत्रालय के हैं इसके बारे में स्पष्ट निर्देश
— राष्ट्रगान की अवधि, सुर, लय और ताल से छेडदाड करना आता है राष्टठगान के अपमान की श्रेणी में
— ध्वज विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता ज्ञान प्रकाश कामरा ने घटना को बताया राष्ट्रगान का अपमान


जयपुर| पांच दिन तक चलने वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आज सीएम वसुंधरा राजे ने उद्घाटन किया। जेएलएफ के उद्घाटन सत्र से ही विवाद शुरू हो गए हैं। उद्घाटन सत्र में सीएम की मौजूदगी में राष्ट्रगान के अपमान का मामला सामने आया है। उद्घाटन सत्र में राष्ट्रगान गाने में 1 मिनट से ज्यादा का वक्त लगा दिया गया, साथ ही राष्ट्रगान गाने की शैली भी बदली हुई थी।



राष्ट्रगान के समय और गाने की शैली को लेकर विवाद हो गया है। राष्ट्रगान को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय के स्पष्ट दिशा निर्देश हैं। जेएलएफ उद्घाटन सत्र में राष्ट्रगान को लेकर जारी इन दिशा ​निर्देशों की खुले तौर पर अवहेलना की गई है। विवाद इसी बात पर हो रहा है कि 52 सैकंड से ज्यादा अवधि में राष्ट्रगान गाना और बदली हुई शैली में गाना दोनों ही ध्वज संहिता और राष्ट्रगान को लेकर जारी निर्देशों का साफ उल्लंघन है।



इस विवाद पर जेएलएफ के संयोजक संजोय रॉय से जब मीडिया ने पूछा तो उन्होंने राष्ट्रगान के अपमान की बात को सिरे से नकारते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने तो राष्ट्रगान की तारीफ की है।
52 सैंकड से ज्यादा अवधि में गाया है तो राष्ट्रगान का अपमान है : कामरा

राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान के सम्मान को लेकर काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता और ध्वज विशेषज्ञ ज्ञानप्रकाश कामरा ने इस घटना को राष्ट्रगान का अपमान बताया है। कामरा ने फर्स्ट इंडिया से बातचीत में कहा, गृह मंत्रालय के दिशा निर्देशों के अनुसार राष्ट्रगान गाने की निर्धारित अवधि 52 सैकंड है, जो कि एक सुर व ताल में गाया जाएगी। राष्ट्रगान का सुर व ताल, शब्दों और लय से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। राष्ट्रगान के शब्दों, धुन, लय से छेड़छाड़ करना गृह मंत्रालय के निर्देशों का तो उल्लंघन है ही यह राष्ट्रगान का खुला अपमान भी है। जेएलएफ के उद्घाटन सत्र में जो हुआ है वह राष्ट्रगान का अपमान है।
जेएलएफ का हमेशा से ही रहा है विवादों से नाता :


जेएलएफ में विवाद कोई नई बात नहीं है। हर बार किसी न किसी मामले को लेकर विवाद हुए हैं। 2012 में सलमान रश्दी की प्रति​बंधित किताब सैटेनिक वर्सेस के अंश पढ़ने पर विवाद हुए था, उस समय रश्दी की किताब के अंश पढ़ने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। मुस्लिम संगठनों ने भी इस पर खूब प्रदर्शन किए थे। इसके बाद समाजशास्त्री आशीष नंदी ने एक सेशन के दौरान विवादित टिप्पणी करते हुए एससी एसटी समूुदाय के नेताओं और लोगों को ज्यादा भ्रष्ट बता दिया था। यह मामला तो कोर्ट तक पहुंचा।

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