शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

बाड़मेर में जबरदस्त गड़बड़झाला, जुआ जिसमे हैं पुलिस की मौन स्वीकृति


बाड़मेर में जबरदस्त गड़बड़झाला, जुआ जिसमे हैं पुलिस की मौन स्वीकृति

दुर्गसिंह राजपुरोहित

बाड़मेर इन दिनों बाड़मेर जिले में लक्की ड्रॉ की आड़ में भोले भाले बाड़मेर के गरीब तबके के लोगो को लूटने का गौरखधंधा फलीभूत हो रहा है। जिले में दर्जनों संस्थाओं के माध्यम से लक्की ड्रॉ निकालने की होड़ सी मची है। जनता को लखपति बनाने के हसीन सपने दिखाकर लाखों रुपए वसूले जा रहे हैं। बिना रजिस्टर्ड व टीन नंबर की फर्में अपने ही स्तर पर लक्की ड्रॉ निकाल रही है। जबकि सरकार ने लक्की ड्रॉ पर रोक लगा रखी है। कायदे ताक पर रखकर करोड़ों के वारे न्यारे कर रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं। नतीजतन संस्थाएं कूपन काटकर पैसे वसूलने में जुटी हैं। लॉटरी प्रक्रिया के जरिए फर्जी कंपनी के मालिक लोगों से पैसे ऐंठकर इनाम देने का वादा कर रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि पुलिस की आंखों के सामने यह खेल पिछले कुछ महीनों से जारी है। बिना किसी रजिस्ट्रेशन और वित्त विभाग की बगैर अनुमति कई कंपनियां इस व्यापार में लिप्त है। वहीं लोगों को बड़े इनाम जैसे-फोरव्हीलर व्हीकल व टू-व्हीलर वाहन तथा सोने-चांदी सहित कई इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम खुलने का सपना दिखाकर लोगों से रुपए वसूले जा रहे हैं। संवाददाता ने शहर भर में जब इन कंपनियों की योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाई तो चौंकाने वाली बाते सामने आई। कायदों की कुर्बानी देकर विभिन्न फर्में लक्की ड्रॉ निकालने में जुटी है। गौरतलब है कि बीते दो माह से यह कारोबार दिन ब दिन बढ़ रहा है। मगर जिम्मेदारों ने मामले की हकीकत तक जानने की जहमत नहीं जुटाई हैं।




ड्रा की नहीं देते हैं जानकारी 

शहर में लंबे समय से चल रहा है कारोबार, जिम्मेदार नहीं गंभीर, फिर कैसे हो कार्रवाई
ना रजिस्ट्रेशन और ना ही टीन नंबर, लोग हो रहे हैं गुमराह कुछ माह पहले एक-दो कंपनियों ने इनामी लॉटरी शुरू की, लेकिन इसके बाद तो इनकी बाढ़ सी आ गई है। शहर के हर गली-मोहल्ले में इस तरह की दुकानें खुलती जा रही हैं। अलग-अलग योजना बताकर लोगों से राशि वसूली जा रही है। कोई संस्था एकमुश्त तो कोई मासिक किश्तें लेकर योजना चला रही है। वहीं इनके हिसाब-किताब के लिए कोई ऑडिट वगैरह नहीं हो रही है। एक ही योजना में निर्धारित कूपन संख्या खत्म होने के बाद आयोजक इसे और ज्यादा बढ़ाकर बिक्री जारी रखते है। 

लॉटरी पर है प्रतिबंध 

राजस्थान में लॉटरी प्रक्रिया पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है। ऐसे में इन दिनों शुरू हुई लॉटरी के जरिए इनामी योजनाओं पर सवाल उठने शुरू हो गए है। हाल ही में एक ग्रुप की ओर से निकाले गए ड्रा के बाद कई लोग असंतुष्ट हुए और इसका विरोध किया। तब आयोजकों ने नियमों में परिवर्तन की बात कहकर मामले से पल्ला झाड़ दिया। वहीं कुछ कंपनियों ने तो इनामी कूपन पर रजिस्ट्रेशन संख्या व टीन नंबर भी अंकित किए हैं। कूपन के पीछे आयोजक की ओर से शर्तें भी प्रकाशित होती है। इनमें से एक शर्त यह भी है कि ड्रा खोलने की जगह गोपनीय रहेगी। ऐसे में ग्राहक को यह पता नहीं रहता कि आखिर योजना में कुल कितने कूपन है और इनाम कैसे दिए जाएंगे। ड्रा निकालने के बाद ग्राहक को फोन के जरिए सूचना देने की भी बात लिखी जाती है। वहीं कुछ आयोजकों ने तो ड्रा खोलने से एनवक्त पहले अपनी शर्तें बदल ली।

जिम्मेदार बेखबर, धड़ल्ले से चल रहा है गौरखधंधा

लक्की ड्रॉ के नाम पर लोगों से पैसे वसूलने का धंधा तो लंबे अर्से से चल रहा है। गाडिय़ों, बाइक व इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम के सपने दिखाकर रसीदें कटवाई जा रही है। संस्थाएं आनन फानन में पैसे जुटाने में लगी है। जबकि जिम्मेदार अभी तक बेखबर हैं। ऐसे में बिना रजिस्टर्ड संस्थाओं से जुड़े लोग चांदी कूट रहे हैं।


ये एक मामला ही पर्याप्त हैं हकीक़त बयाँ करने को 

बाड़मेर के रामदेव नगर में पिछले दिनों एक ड्रा खोला गया जिसमे प्रथम पुरुस्कार के रूप में स्कोर्पियो गाडी थी और साथ में कई मोटरसाईकल, टीवी तथा अन्य इनाम थे लेकिन जिन लोगो ने इस ड्रा में हिस्सा लिया उनका यह आरोप हैं कि आयोजको ने ईनाम अपने परिचितों और रिश्तेदारों के लिए पूर्व में निर्धारित करके बांटे और ड्रा मात्र एक दिखावा था, बताया जा रहा हैं कि चालीस हजार रसीदे प्रति रसीद आठ सौ के हिसाब से बेचीं गई जिनका कुल योग तीन करोड़ बीस लाख रूपए होता हैं अगर चालीस लाख रूपए के ईनाम भी बांटे गए होंगे तो दो करोड़ अस्सी लाख रूपए कहाँ गए इसका जवाब कोई देने वाला नहीं हैं ।

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