सोमवार, 5 जनवरी 2015

बाड़मेर रूपयों की इतनी देखभाल, 41 साल से 1.4 रूपये की रखवाली



बाड़मेर बरसों पहले घूस के मामलों में पकड़ी गई मामूली रकम की रखवाली में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को पसीने आ रहे हैं। कई मामलों के बंद होने के बाद से यह रकम मालखाने में सुरक्षित तो है लेकिन रजिस्टर नहीं मिलने से यह पता नहीं चल रहा कि रकम दी किसने थी। गल रहे 10, 20 और 50 के नोट संभालना गलफांस बन गया है।
ACB taking care of RS 1.40 spent hundreds to dispose matter


वर्ष 1973 में 103 नंबर की एफआईआर में एसीबी ने एक सरकारी कर्मचारी को 1 रूपए 4 पैसे रिश्वत लेते पकड़ा था। मामला बंद हो गया और तब से यह राशि एसीबी के मालखाने में है। अधिकारी-कर्मचारियों तक को यह भी पता नहीं कि रिश्वत दी किसने थी। बावजूद इसके इसे कब-कौन लेने आ जाए, इसे संभाले हुए हैं।




नहीं मिला हफीज

1982 में एसीबी ने 86 नंबर की एफआईआर दर्ज कर रिश्वत के 20 रूपए जब्त किए। इसमें नगर परिषद, जयपुर के सत्यनारायण शर्मा को आरोपित बनाया था। यह रिश्वत झुंझुनूं में यूनानी दवाखाना चलाने वाले एम.ए. हफीज ने एक प्रमाण-पत्र बनाने के एवज में दी थी। मामले में एफआर वर्ष 1983 में लग गई। लेकिन एसीबी आज तक हफीज को नहीं तलाश सकी। एसीबी सूत्रों के अनुसार करीब डेढ़ सौ ऎसे प्र करण हैं, जबकि काफी संख्या में खराब सामान मालखाने में पड़ा हुआ है।




नवजात की तरह संभाल रहे नोट

मालखाने में नोट के अलावा पर्स, पेन, बीड़ी के बंडल व अन्य सामान रखा है। पर्स व ऎसे कई सामान हैं, जिन्हें दीमक से बचाने के लिए साल में एक बार तो एल्ड्रीन से साफ किया जाता है जब्त नोट गलने लगे हैं। कर्मचारी इन नोटों को नवजात शिशु की तरहसंभाल रहे हैं। दर्ज मुकदमे में नोट का नंबर लिखा होने की वजह से उन्हें बदल भी नहीं सकते। हाल ही में रिजर्व बैंक के वर्ष 2005 से पहले के पुराने नोट बाजार में नहीं चलने के निर्देश से भी इन पुराने नोटों पर सवाल उठ रहे हैं।




50 रूपए के लिए जयपुर दौड़

एसीबी ने 1986 में बाड़मेर के ग्राम सेवक को 50 रूपए की रिश्वत लेते पकड़ा था। परिवादी अली खां की एफआईआर पर जांच में मामला झूठा निकला। वर्ष 2007 में खां चल बसे। कुछ दिन पहले एसीबी कर्मचारी बाड़मेर में उसके घर पहुंचे। पता चला कि उसके चार बेटे हैं। अब बेटे 50 रूपए लेने के लिए एसीबी को शपथ पत्र देने जयपुर आते हैं तो ही खर्च बहुत हो जाता।




बरसों से रखे हैं

कई सालों से मालखाने में सामान रखा है। उसके निस्तारण के आदेश दिए हैं। सालों से रखे नोटों के बारे में विचार-विमर्श किया जा रहा है।

मनोज भट्ट, डीजी एसीबी -  

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