शनिवार, 6 दिसंबर 2014

बेटे ने किए देश के लिए प्राण न्यौछावर, पिता सिस्टम से हारा


बेटे ने किए देश के लिए प्राण न्यौछावर, पिता सिस्टम से हारा


जयपुर/अलवर। देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले शहीद शमशेर सिंह यादव के पिता बलबीर सिंह को सामान्य चिकित्सा सुविधा के अभाव में दम तोड़ना पड़ा। शमशेर के अंतिम संस्कार को अभी 24 घण्टे भी नहीं बीते थे। दम तोड़ने वाले पिता की तबीयत शहीद सपूत की अर्थी को कंधा देते हुए बिगड़ी थी। मोक्षधाम पहुंचते-पहुंचते सांस फूलने लगी थी। इस पर पिता को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां अस्पताल में नेे बुलाइजर मशीन नहीं होने से उसका इलाज नहीं हो सका। डॉक्टरों के मुताबिक मशीन चोरी हो गई। सरकार मेडिकल सुविधाओं में हर साल करोड़ों रूपया खर्च करने का दावा करती है, लेकिन शहीद के पिता के गले में जरा सा बलगम समय पर नहीं निकाला जा सका और एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई।

Martyr shamsher singh father died

बेटे की अंत्येष्टि के समय से ही बेसुध थे पिता

झारखंड के नक्सली हमले में शहीद हुए शमशेर सिंह को शुक्रवार दोपहर शाहजहांपुरा स्थित बावड़ी गांव में उनके पैतृक आवास पर राजकीय सम्मान के साथ ही अंत्येष्टि की गई थी। अपने सामने ही बेटे की चिता को जलता देख पिता बलवीर सिंह इस कदर आहत हुए कि गला भर आया। तभी से परेशान चल रहे थे। देर शाम होने तक जब सगे-संबधी और अन्य लोग पिता को छोड़कर जाने लगे तो उन्हें अकेलापन सताने लगा। रात जैसे-तैसे नम आंखों में काटी। आज सवेरे सांस लेने की समस्या के बाद परिजन उन्हें अस्पताल लेकर गए।




दौड़ते रहे अस्पताल दर अस्पताल

बलवीर सिंह को शनिवार सवेरे गले में बलगम फंसने के बाद सांस लेने में परेशानी शुरू हुई। परिजन तुरंत शाहजहापुर स्थित सरकारी अस्पताल पहुंचे। वहां डॉक्टरों ने बलवीर सिंह को संभाला लेकिन अस्पताल में नेेबुलाइजर मशीन (भाप देने वाली मशीन) ही नदारद थी। जो मशीन सरकार से इलाज के लिए मिली थी वह मशीन तो चोरी हो गई। अस्पताल में मौजूद डॉक्टर अर्चना ने अपनी पर्सनल मशीन काम में ली, लेकिन वह भी खराब ही निकली। इसके बाद अस्पताल में रखी एक अन्य मशीन भी निकाली गई, लेकिन उसमें भी खराबी निकली। बाद में डॉक्टर ने बलवीर सिंह को बहरोड स्थित दूसरे सरकारी अस्पताल भेज दिया, लेकिन बलवीर सिंह ने एम्बुलेंस में ही दम तोड़ दिया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें