बुधवार, 31 दिसंबर 2014

काली सूची में डाले गए टाट्रा ट्रकों की खरीद को सरकार ने दी हरी झंडी -



रक्षा मंत्रालय ने रक्षा साजो-समान की खरीद नीति में व्यापक बदलाव के संकेत दिए हैं। इसके तहत जहां काली सूची में डाली गई कंपनियों की समीक्षा की तैयारी की जा रही है। इसी कड़ी में टाट्रा ट्रकों की खरीद शुरू की जा रही है। वहीं, विदेशी रक्षा कंपनियों को भारत में कानूनी तौर पर एजेंट रखने की छूट देने पर भी विचार किया जा रहा है। हालांकि कंपनियों को एजेंट पहले से घोषित करने होंगे तथा उनकी फीस तय करनी होगी।
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रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नई रक्षा खरीद नीति तैयारी की जारी रही है। इसे अगले डेढ़-दो महीने में जारी कर दिया जाएगा। इस नीति में काली सूची में डाली गई रक्षा कंपनियों की गुण-दोष के आधार पर समीक्षा की बात कही गई है। दरअसल, अभी गड़बड़ी करने वाली कंपनियों को काली सूची में डाला जाता है और उससे सरकार कोई खरीद नहीं करती है। इसका नुकसान रक्षा मंत्रालय को यह है कि दोबारा जब खरीद होती है तो प्रतिस्पर्धी बोली लगाने वाली कंपनियां कम हो जाती हैं।




पार्रिकर ने कहा कि यदि किसी कंपनी से कोई सामान खरीदा जाना है तो यह फैसला सामान के गुण-दोष के आधार पर तय होना चाहिए। गुण दोष या आवश्यकता के हिसाब से सरकार उचित पड़ताल के बाद काली सूची वाली कंपनियों से प्रतिबंध हटाने या एक उचित स्तर तक की रोक रखने पर विचार कर सकती है।




रक्षा मंत्री ने कहा कि टाट्रा ट्रक बनाने वाली मूल कंपनी से सरकार ने तकनीकी व कलपुर्जों की खरीद के लिए लगाया प्रतिबंध हटा दिया है। लेकिन इस कंपनी का उन लोगों के साथ कोई लेना देना नहीं होना चाहिए जिन्हें ब्लैकलिस्ट किया गया है। पार्रिकर ने कहा कि किसी को सिर्फ टाट्रा नाम नहीं देखना चाहिए। तीन-चार कंपनियां इसे बनाती हैं। जिस कंपनी को प्रतिबंधित किया गया था वह टाट्रा यूके की है। जबकि सरकार ने बीईएमएलडी को मूल कंपनी से खरीद की अनुमति दी है। जिसका प्रबंधन दूसरा है। बीईएमएल को एक अंकुश वाला अनापत्ति प्रमाणपत्र दिया गया है, क्योंकि हमें रक्षा उद्देश्यों के लिए टाट्रा के वाहन चाहिए। कुछ कामों के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है।




टाट्रा पर मार्च, 2012 में प्रतिबंध लगाया गया था। उस समय तत्कालीन सेना प्रमुख वी के सिंह ने आरोप लगाया था कि कंपनी द्वारा भारतीय सेना को कम गुणवत्ता वाले ट्रकों की आपूर्ति के लिए उन्हें रिश्वत की पेशकश की गई थी। पार्रिकर ने कहा कि बदली नीति का मसौदा तैयार है। अंतिम मसौदा भी आठ-दस दिन में तैयार हो जाएगा। कुछ और प्रक्रियाओं के इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।




एजेंट रख सकेंगी कंपनियां-पार्रिकर ने कहा कि विदेशी कंपनियों को नई नीति में एजेंट रखने की अनुमति दी जा सकती है। लेकिन ये रक्षा सौदे में खरीद पर कमीशन नहीं खा सकेंगी। कंपनियों को इन्हें घोषित करना होगा तथा उनकी फीस तय करनी होगी। इससे रक्षा सौदों में अनावश्यक कमीशनखोरी को रोका जा सकेगा।



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