गुरुवार, 20 नवंबर 2014

गजब! सरकारी स्कूल के हैडमास्टर को इनाम में मिली कार -

सीकर। सरकारी कर्मचारियों को आलसी और कामचोर समझा जाता है लेकिन एक सरकारी स्कूल के हैडमास्टर ने काम करने की ऎसी शानदार मिसाल पेश की है जिसका कोई सानी नहीं है।

जयपुर बीकानेर नेशनल हाइवे नंबर 11 पर ढ़ाढ़ण गांव का यह सरकारी स्कूल हाल ही सुर्खियों में रहा।

ढांढ़ण गांव के निवासी इस हैडमास्टर के काम से इतना खुश हुए कि उन्होंने बाकायदा इनाम में उनको एक मारूति ऑल्टो कार भेंट की और 11 हजार रूपए के पुरस्कार से नवाजा। हैडमास्टर के साथ सरकारी स्कूल में कार्यरत अन्य शिक्षक भी स्कूल की इस उपलब्घि के लिए पुरस्कृत किए गए।
sikar district government school headmaster felicitated with car and prize money of 11k

स्कूल में स्टाफ की कमी के बावजूद भी इस वर्ष 12वीं का रिजल्ट सौ प्रतिशत रहा है। हैडमास्टर के नेतृत्व में स्कूल की इस छोटी सी टीम ने अपनी मेहनत से पूरे जिले में स्कूल का नाम रोशन कर दिया। गांव के एक मंदिर की विकास समिति की ओर से भी स्कूल को 21 हजार रूपए बतौर इनाम के दिए गए।

साइकिल तक नहीं खरीद सके
बेहद ही आम जिंदगी जीने वाले माहिचा पूरी जिंदगी साइकिल तक नहीं खरीद सके। जब गांव वालों ने मिलकर उन्हें आल्टो कार की चाबियां सौंपी तो वे भाव विह्वल हो उठे।

माहिचा पिछले 20 सालों से एक नियमित शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे। 1984 में ग्रेड तीन के शिक्षक से अपना कैरियर शुरू कर ने वाले माहिचा का हैडमास्टर बनने तक का सफर बेहद आम रहा।

कैसे हासिल किए असंभव लक्ष्य
माहिचा को अपने स्कूल के बच्चों को पढ़ाने की ऎसी धुन सवार थी कि इसके लिए उन्होंने रात दिन एक कर दिया।

वे स्कूल की नियमित घंटों की नौकरी के अलावा भी लगातार काम करते थे। सीमित स्टाफ के साथ हालांकि यह काफी मुश्किल था लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

उन्होंने रात की पारी में भी बच्चों के लिए कक्षाएं लगाई यहां तक कि गर्मियों की छुटि्टयों में भी वे बच्चों को पढ़ाते थे।

सरकारी स्कूल की उपलब्घियां

55 वर्षीय भागीरथ सिंह माहिचा नामक इस हैडमास्टर का कमाल देखिए कि ढ़ाढ़ण के इस सरकारी स्कूल ने 1995 से लेकर 1997 तक लगातार तीन साल तक "बेस्ट गवर्नमेंट स्कूल" का खिताब जीता।

2009 में जहां इस स्कूल में केवल 425 छात्र ही पढ़ते थे वहीं अब यह संख्या बढ़कर 1150 हो गई है। इस साल इस स्कूल ने 12वीं कक्षा में 100 प्रतिशत रिजल्ट दिया है।

स्कूल की कक्षा 10 में पढ़ने वाली कांता भास्कर जिले से मेरिट लिस्ट में आने वाली एकमात्र छात्रा है। कांता को राज्य सरकार ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए अपने खर्चे पर विदेश भेजेगी।

गांव के सरपंच के मुताबिक स्कूल में होने वाली अच्छी पढ़ाई की वजह से बच्चों को प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ाना पड़ा। इस कारण गांव वालों ने स्कूल फीस के पेटे में 2 करोड़ रूपए बचाए।

मालूम हो कि सरकारी स्कूल की सालाना फीस जहां केवल 450 रूपए ही है वहीं प्राइवेट स्कूल वाले प्रत्येक छात्र से सालाना 40 हजार रूपए चार्ज करते हैं। - 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें