बुधवार, 12 नवंबर 2014

एक गठजोड़ ऐसा भी..इनसे मिलिये, ये है तृप्ति सिंह दोढ़सर।



एक गठजोड़ ऐसा भी..इनसे मिलिये, ये है तृप्ति सिंह दोढ़सर। 



लड़की कितना पढ़ी लिखी है, कहां से पढ़ी है, नौकरी करती है क्या, सुंदर है क्या, पिता क्या करते है, कहां के रहने वाले है, कौन से राजपूत है...ये सभी सवालो का तो वे बड़ी शिद्दत औऱ धैर्य से जवाब देती है पर उनका पारा आसमान पर पहुंच जाता है जब सवाल ये होता है कि लड़की वाले टीका कितना देगें।

इनसे मिलिये, ये है तृप्ति सिंह दोढ़सर। बीकानेर की बेटी है औऱ ससुराल जोधपुर में है। हमेशा से अपने लोगो के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति के साथ उन्होने एक ऐसा रास्ता चुना जो किसी नये तरह के सामाजिक आंदोलन से कम नही है। तृप्ति सिंह ने सोशल मिड़िया के मंंच को एक नया आयाम देते हुए फेसबुक पर जोड़िया बनाने का काम सितम्बर 2012 मेशुरु किया। तब वे अपने पति के साथ अमेरिका के ओहायो प्रांत के कोलंम्बस शहर में रहा करती थी। देश से दूर अपने के ख्याल ने तृप्ति को प्रेरित किया और उन्होने गठजोर नाम का एक फेसबुक पेज बनाया। ये मंच राजपूत समाज के युवाओं की जोड़िया बनाने के लिए दिन रात जुटा रहा है औऱ खास बात ये कि तृप्ति ने इसे केवल समाज सेवा के माध्यम तक ही सिमित रखा है।

“बढ़ती दूरियों औऱ सही चुनाव नही मिल पाने से राजपूत समाज में इस तरह के मंच की जरुरत थी, जिससे ना केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश औऱ विदेशों में रहने वाले समाज बंधुओं को अपने बच्चों के लिए सही चुनाव करने के लिए मंच मिल पाये। गठजोर को समाज ने पूरी तरह अपनाया है औऱ आज हमने कई अच्छे जोड़े बनाने में सफलता प्राप्त की है।“ तुप्ति सिंह ने बताया।

तृप्ति पिछले साल अमेरिका से गुड़गांव आ कर बस गयी औऱ भारत वापस आने के बाद गठजोर का नेटवर्क ना केवल राजस्थान वरन् हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात तक फैल गया है। खास बात ये कि गठजोर, अपने फेसबुक पेज पर अपने सदस्यो से सूचना का आदान प्रदान बिल्कुल गोपनीय रखता है औऱ केवल उन्ही लोगो के साथ सूचना का आदान प्रदान किया जाता है जहां कद, स्तर औऱ योग्यता का मेल सही बैठता है।

“हम समाज की सेवा कर रहे है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि हम परिवारों की निजता का पूरा ख्याल रखे। इसके साथ ही हम ऐसे किसी परिवार के साथ काम नही करते जो किसी भी प्रकार से टीका या दहेज की मांग रखते है।“ तृप्ति सिंह ने कहा।

तृप्ति सिंह का काम वाकई उल्लेखनीय है और राजपूत समाज में सराहा जा रहा है। पर इससे भी बढ़कर ये ..कि तृप्ति सिंह द्वारा पेश किया गया उदाहरण अन्य समाजों द्वारा भी अपनाया जा सकता है।

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