गुरुवार, 20 नवंबर 2014

सतलोक आश्रम में बंद महिलाओं ने बताई आपबीती

हिसार। आश्रम से बाहर आई महिलाएं फफक पड़ीं। उनके चेहरों पर सूजन और चोटों के निशान देख साफ लग रहा था कि उन्हें किन हालात में बंधक बनाकर रोका गया था। बाहर आए लोगों को हरियाणा रोडवेज की बसों से हिसार रेलवे स्टेशन तक पहुंचाया गया।

महिलाओं-बच्चों को किया था अलग
हमसे कहा गया था कि आश्रम में सत्संग है। वहां परमात्मा के दर्शन होंगे और प्रसाद में पैसे मिलेंगे। हम परिवार के साथ आ गए। तीन दिन पहले हमारे बच्चों और महिलाओं को अलग कर दिया गया। सामान भी जमा करवा लिया।
(स्टेशन पर बिहार निवासी रामेहर, रामदीन, मुकदीराम और अर्जुन पांडे ने जैसा बताया)
satlok ashram women told their off

सारा पैसा ले लिया, किराया तक नहीं
हमारे पास अपने घर तक जाने के लिए फूटी कौड़ी भी नहीं है। दो-दो हजार रूपए लेकर आए थे। वो तो 5 नवंबर को आश्रम में प्रवेश के समय ही जमा करा लिए गए थे। सोने की अंगूठी, चेन और महिलाओं के जेवर भी जमा हैं।
(आश्रम से बाहर आए मप्र के अनिल जैन, विक्रम सिंह और राधारमन ने जैसा बताया)

प्रसाद खाया, फिर कुछ नहीं मालूम
हमें प्रसाद दिया था। उसे खाने के थोड़ी ही देर बाद नशा हो गया था। इसके बाद हमें कुछ नहीं मालूम कि हमारे साथ क्या किया जा रहा है। प्रसाद ऎसा होता है कि उससे दिमागी संतुलन ही बिगड़ जाता है।
(बीकानेर के चिरंजी, बिरमो, जयपुर की रोशनी व उदयपुर की राजबाला ने बताया)

बिजली-पानी बंद, डर में गुजारे दो दिन
पुलिस कार्रवाई शुरू होने के बाद आश्रम में बिजली-पानी बंद कर दिया। राशन भी कम होने लगा था। दो दिन डर-डर के गुजारे। पुलिस के इस ऎलान के बाद बाहर निकले कि हमें सुरक्षित पहुंचाया जाएगा।
(जैसा बुधवार को घर पहुंचे बाड़मेर जिले के राठौड़न निवासी काछबाराम ने बताया) -

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