शनिवार, 8 नवंबर 2014

हड़ताल की जिद दे गई महीनों का दर्द

जयपुर । रेजीडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल का दूसरा दिन मरीजों पर कहर बनकर टूटा। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध एसएमएस, जेके लोन, जनाना, महिला, गणगौरी, श्वांस रोग, मनोरोग अस्पतालों में करीब 250 निर्घारित ऑपरेशन टाल दिए गए।
given pain for months from insistence of strike

अब मरीजों को सात दिन से एक महीने तक का इंतजार करना पड़ेगा। यही नहीं पहले से चल रही ऑपरेशन की सूची में संख्या का और इजाफा तय है। ऎसे में वार्ता, आश्वासन और सुलह से हड़ताल भले समाप्त हो जाए, लेकिन प्रभावित मरीजों और परिजनों को महीनों तक दर्द सहना ही पड़ेगा। उधर, हड़ताल से ओपीडी सेवाओं पर भी बुरा असर पड़ा। सुबह 10 बजे वरिष्ठ चिकित्सकों के आने के बाद ही मरीजों को देखा गया।

ऑपरेशन में रेजीडेंट की भूमिका महत्वपूर्ण
अस्पताल सूत्रों के मुताबिक सभी विभागों में किए जाने वाले ऑपरेशनों में रेजीडेंट डॉक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ऑपरेशन से पहले एवं बाद में मरीज की देखभाल एवं आवश्यक तैयारी इनके जिम्मे होती है। वरिष्ठ डॉक्टरों का योगदान मुख्य ऑपरेशन के समय ही होता है।

सरकारी में सन्नाटा, निजी की मौज
एसएमएस के ओपीडी पंजीकरण काउंटरों पर आम दिनों में दोपहर तक मरीजों और परिजनों की लंबी कतार होती है। लेकिन शुक्रवार दोपहर एक बजे यहां के सभी काउंटर खाली थे।

पंजीकरण परिसर में सन्नाटा पसरा था। लोगों ने बताया कि सुबह अस्पताल खुलते ही यहां भारी भीड़ थी, लेकिन अधिकांश ओपीडी में डॉक्टर नहीं होने के कारण मरीज निजी अस्पतालों और क्लिनिकों में चले गए। इससे उनकी मौज हो गई और उनके आउटडोर में 20 से 50 फीसदी का इजाफा हो गया।

वार्ड और आईसीयू में अधिक असर
हड़ताल का सर्वाधिक असर इमरजेंसी सहित वार्ड और आईसीयू में नजर आया। एसएमएस अस्पताल प्रशासन ने इसके लिए 50 अतिरिक्त डॉक्टर लगाने का दावा किया, लेकिन प्रमुख स्थानों पर मरीज परेशान दिखे।

भर्ती मरीजों को उपचार और दवा की पर्चियां लिखवाने में ज्यादा दिक्कतें हुई। कई जगह नर्सिगकर्मियों के भरोसे उपचार चलता रहा।

व्यवस्था सम्भालने को अतिरिक्त डॉक्टर लगाए

जनस्वास्थ्य निदेशक बी आर मीणा ने बताया 102 अतिरिक्त डॉक्टर लगाए हैं। इनमें शामिल हैं।

एसएमएस कॉलेज जयपुर --45
उदयपुर --20
कोटा --15
अजमेर --10

इमरजेंसी में तैनात हों वरिष्ठ चिकित्सक
रेजीडेंट्स ने इमरजेंसी वार्ड में सुरक्षा फोर्स के साथ वरिष्ठ चिकित्सकों के लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक मारपीट की घटनाएं इमरजेंसी में होती हैं, जबकि वहां कोई सीनियर डॉक्टर नहीं होता।

हालांकि राज्य सरकार ने इमरजेंसी मेडिसिन विभाग हर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शुरू करने की घोष्ाणा पहले ही कर दी है। इसके तहत सीनियर डॉक्टरों सहित पूरी यूनिट तैनात होगी। सूत्रों के मुताबिक विभाग के दिसम्बर तक अस्तित्व में आने की तैयारी है।

फेकल्टी मेम्बर मिलेंगे

एसएमएस के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. अजीत सिंह के अनुसार सभी विभागों में फैकल्टी मेंबर्स, चिकित्सा अधिकारियों, एवं सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर्स ने इमरजेंसी विभाग, आउटडोर और आईसीयू में सेवाएं दी। चिकित्सा विभाग की ओर से भेजे गए 30 चिकित्सक भी विभिन्न स्थानों पर नियुक्त रहे। शुक्रवार को ओपीडी में 8742 मरीज आए।

अलग-अलग होंगे डॉक्टर
इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के तहत इमरजेंसी में सीनियर डॉक्टरों की यूनिट में एक मेडिसिन, एक अस्थि रोग, एक निश्चेतना एवं एक अन्य विशेष्ाज्ञता का डॉक्टर होगा। इस तरह का एक प्रस्ताव मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया गया है। इसके 13 दिसम्बर से लागू होने की संभावना है।

सुरक्षा फोर्स में नियुक्तियों पर गतिरोध
प्रदेश भर से आए रेजीडेंट डॉक्टर्स प्रतिनिधियों की शुक्रवार को सचिवालय में चिकित्सा शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के साथ वार्ता हुई। इसमें तीन प्रमुख मांगों पर चर्चा हुई, जिसमें कोटा के आरोपियों की गिरफ्तारी होने एवं इमरजेंसी में सीनियर डॉक्टरों की नियुक्ति 13 दिसम्बर तक करने के आश्वासन को रेजीडेंट्स ने माना।

तीसरी मांग अस्पतालों में सुरक्षा फोर्स के गठन की थी। इसमें सरकार की ओर से बताया कि 17 पुलिस चौकियों की स्थापना को मंजूरी मिल चुकी है। ये चौकियां पूर्व में चल रही चौकियों से अलग होंगी। इनमें स्टाफ नियुक्तियां शीघ्र गृह विभाग की ओर से की जाएंगी।

प्रदेश का हाल
कोटा : शहर के तीनों अस्पतालों में 35 ऑपरेशन टले और 25 ऑपरेशन हुए।

उदयपुर : वरिष्ठ चिकित्सकों की छुटि्टयां रद्द कर काम पर बुलाया। गुरूवार दोपहर से शुक्रवार रात तक करीब 20 रोगियों की मौत हो गई। इनमें से कुछ बुखार पीडित और अन्य स्थानों से रैफर किए गए थे। परिजनों का आरोप समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिली। 30-35 ऑपरेशन टले।

अजमेर:
जवाहर लाल नेहरू एवं जनाना अस्पताल में इमरजेंसी ऑपरेशन ही हुए लेकिन इनकी संख्या भी बहुत कम रही। रूटीन के ऑपरेशन फिलहाल रोक दिए गए हैं।

जोधपुर : डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज से संबद्ध चिकित्सालयों में 23 ऑपरेशन टाले गए तथा 20 ऑपरेशन किए गए।

बीकानेर :
प्रसव केस सहित करीब 67 माइनर ऑपरेशन हुए। -

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