गुरुवार, 13 नवंबर 2014

पोकरण। रूकमणि विवाह पर झूम उठे श्रद्धालु

पोकरण। रूकमणि विवाह पर झूम उठे श्रद्धालु



पोकरण। स्थानीयछंगाणियों की बगेची में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के छठे दिन बुधवार को कथा वाचक कृष्ण मुरारी ने भागवत के दौरान रासलीला, महारास लीला, मथुरा गमन, कंस वध, उद्धव चरित्र, रूकमणि विवाह पर विस्तार पूर्वक प्रवचन दिए। संयमित जीवन जीने वाले व्यक्ति को मिलता है मोक्ष कथा सप्ताह में कृष्ण मुरारी ने कहा कि गृहस्थाश्रम में रहकर भी नियमों का पालन कर जीवन जीने वाले लोगों का मोक्ष होता है। उन्होंने कहा कि हालांकि समाज में संत सबके लिए पूजनीय एवं श्रद्धा का केन्द्र होते हैं मगर गृहस्थ जीवन जीने वाला व्यक्ति यदि महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलकर गृहस्थ धर्म का पालन करता है तो वह संत से भी महान है। उन्होंने भागवत महापुराण को विश्व का अद्वितीय ग्रंथ बताते हुए कहा कि भागवत के 18 हजार श्लोक है इनमें से प्रत्येक श्लोक के एक एक शब्द को समझने के लिए समय की आवश्यकता है। पर सेवा में रत रहने वाले व्यक्ति पर होती है ईश्वर की कृपा होती है। कृष्ण मुरारी ने कहा कि जो व्यक्ति संस्कार युक्त जीवन जीता है वह जीवन में कभी कष्ट नहीं पा सकता। व्यक्ति के दैनिक दिनचर्या के संबंध में उन्होंने कहा कि ब्रह्म मुहूर्त में उठना दैनिक कार्यों से निवृत होकर यज्ञ करना, तर्पण करना, प्रतिदिन गाय एवं कुत्तों को रोटी देने के बाद स्वयं भोजन करने वाले व्यक्ति पर ईश्वर सदैव प्रसन्न रहता है। 


पोकरण. श्रीमद् भागवत कथा के दौरान रूकमणी विवाह की सजी झांकी।

श्रोताओं से खचाखच भरे पण्डाल को सं‍बोधित करते हुए कृष्ण मुरारी ने कहा कि अतिथि भगवान के स्वरूप के समान होता है। इसलिए उसे ईश्वर तुल्य मानकर सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के पाश्चात्य युग में जहां संयुक्त परिवार प्रथा लुप्त प्राय हो रही है ऐसे में घर में अतिथि को बोझ के समान माना जाता है। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं से अतिथि का सम्मान करने की अपील की। महाराज ने कहा कि इस घर पर पितरों एवं अतिथि की कृपा हो जाए उस घर में प्रसन्नता एवं संपन्नता हर समय विद्यमान रहती है।





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