शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

"मोबाइल जेब में रखा तो हो जाएगा कैंसर"



मोबाइल फोन और टावर से निकलने वाले रेडिएशन इतने खतरनाक हैं कि आपकी जेब में रखा मोबाइल कैंसर देने वाली एक मशीन की तरह काम करता है।
beware mobile can give cancer


यह कहना है रेडिएशन के खतरों पर शोध कर नोबल पुरस्कार जीतने वाली डॉ. डेवेरा डेविस का।




अमरीका से जयपुर आई डेवेरा ने गुरूवार को संतोकबा दुर्लभजी मेमोरियल अस्पताल में राजस्थान पत्रिका के मीडिया एक्शन ग्रुप की ओर से "सेल टावर रेडिएशन अंडरस्टेंडिंग थ्रेट्स एंड फाइंडिंग सोल्यूशन" विषय पर हुई सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में यह बात कही।




मोबाइल से कैंसर होता है

डेवेरा ने कहा कि दुनियाभर में मोबाइल को अपने सीने से चिपकाकर रखने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर तेजी से फैल रहा है, वहीं जो पुरूष अपनी पेंट की जेब में मोबाइल रखते हैं उनमें नपुंसकता, शुक्राणुओं में कमी और कैंसर जैसे रोग पनप रहे हैं।




उन्होंने शर्ट की जेब में रखे मोबाइल को भी दिल के लिए घातक बताया।




डेवेरा ने कहा कि मोबाइल टावर से कुछ ही मीटर दूरी पर रहने वाले लोगों में कैंसर का खतरा अन्य लोगों के मुकाबले काफी ज्यादा होता है।




मोबाइल के घातक प्रभाव

बच्चों और गर्भवती महिलाओं को मोबाइल के इस्तेमाल से अन्य लोगों के मुकाबले ज्यादा खतरा है। डेवेरा ने अमरीका, फ्रांस, बेल्जियम, टर्की, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में चल रहे विभिन्न शोधकार्यो की मिसाल देकर बताया कि चूहों के प्रजनन तंत्र पर रेडिएशन का खतरनाक असर हुआ है।




इसी तरह रेडिएशन जोन में पशु-पक्षी तक रास्ता भूल जाते हैं, यहां तक कि वे प्रशिक्षित और भूखे होने पर भी अपना तय रास्ता याद नहीं रख पाते हैं।




ब्रेन कैंसर के अतिरिक्त याददाश्त में कमी, बहरापन और चिड़चिड़ापन मनुष्यों के लिए बेहद खतरनाक बन रहे हैं। इस अवसर पर शहर के कई चिकित्सकों ने भी डेवेरा से सवाल किए। खुद चिकित्सक भी मोबाइल फोन से जुड़े तथ्यों को सुनकर आश्चर्यचकित हुए बिना न रहे।




कार्यक्रम में अतिथि

कार्यक्रम में जवाहरात व्यवसायी व सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर कासलीवाल, मोबाइल टावरों के खिलाफ देशभर में मुहिम चला रहे सामाजिक कार्यकर्ता पी.आर. मुंशी (मुम्बई), दुलर्भजी ट्रस्ट के सचिव योगेन्द्र दुर्लभजी सहित शहर के कई प्रोफेसर, डॉक्टर, विधिवेत्ता आदि भी मौजूद थे।




डेवेरा ने इस अवसर पर अस्पताल में संचालित रिहेबलिटेशन सेन्टर का दौरा कर वहां जयपुर फुट पर संचालित शोधकार्यो को देखा और उनकी तकनीक की तारीफ भी की।




कार्यक्रम में सेन्टर के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल जैन ने आभार व्यक्त किया।

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