शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

बाड़मेर ग्लोब्ज़ खरीद प्रकरण एक करोड़ का घोटाला पौने दो लाख की वसूली। मामले पर पर्दा

बाड़मेर ग्लोब्ज़ खरीद प्रकरण 

एक करोड़ का घोटाला पौने दो लाख की वसूली। मामले पर पर्दा 


    बाड़मेर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बाड़मेर में पिछले लंंबे अरसे से घोटालो का दौर चल रहा हैं ,इसी क्रम में विभाग में इन आर एच एम में वर्ष 2011 -2012 में तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी अज़मल हुसैन के समय   एक करोड़ के ग्लोब्ज़ खरीद में हुए भरष्टाचार की निदेशालय स्तर की जांच पर विभागीय अधिकारियो ने इस काण्ड से जुड़े कार्मिको को बचाने के चक्कर में मामले पर लीपा पोती कर महज एक लाख पंचानवे हज़ार की वसूली कर प्रकरण को खत्म करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाने के समाचार हैं जबकि पुरे मामले में दोषी रहे मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहित कई कार्मिको को सीधे सीधे बचाया जा रहा हैं 


लगभग दो वर्ष पूर्व विभाग द्वारा इन आर एच एम योजना के तहत एक करोड़ रुपये के हाथो के ग्लोब्ज़ खरीद की निविदाएं आमंत्रित की गयी थी ,जिसमे सफल निविदा करता द्वारा ग्लोब्ज़ आपूर्ति करने में असमर्थता जताने के बाद उसकी धरोहर राशि जब्त कर ली गयी ,इसके बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी को नियमानुसार दूसरे कम दर वाली फर्म को आपूर्ति के लिए अामंत्रित किया जाना था मगर कार्मिको की मिली भगत से मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने तीसरे नंबर की दर वाली फर्म से अनुबंध  कर उसे आपूर्ति का आदेश दे दिया ,इधर नियम विरुद्ध तीसरी फर्म को आदेश देने की शिकायत उच्च स्तर पर विभागीय अधिकारियो  गयी ,जिसल की करीब डेढ़ साल से जांच चल रही थी ,

कुछ रोज पर इस प्रकरण की जांच के लिए गठित कमिटी ने गोलबज़ खरीद में अनियमितता व् भरष्टाचार को मानते हुए तीसरे क्रम की फर्म से करीब एक लाख पिचनवे हज़ार रुपये की वसूली के आदेश दिए साथ ही तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी को नोटिस जारी करने का प्रस्ताव  राज्य सरकार को भेजा गया। 

दोषी कार्मिको का बचाव। . पुरे प्रकरण में शामिल कार्मिको को पूर्ण रूप से बचाया गया जबकि निविदा में शामिल कार्मिको और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को प्रक्रम में दोषी माना गया मगर दूसरे नंबर की फर्म और तीसरे नंबर की फर्म के बीच दरो  के अंतर को वसूली योग्य  वसूली के आदेश दिए ,यह  वसूली किससे की जानी थी इसे स्पष्ट नहीं किया गया ,तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने प्रकरण से बचने के लिए खुद ने यह राशि जमा करा दी। 

प्रश्न यह उठता हे की जांच में जब भरष्टाचार होना मान लिया और उसकी वसूली निकाल ली तो कार्मिको पर दोष तय क्यों नहीं किये ,इन कार्मिको की अनियमितता में  भागीदारी थी ,इसके बावजूद इन कार्मिको के खिलाफ कोई कार्यवाही प्रस्तावित नहीं कर तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी को नोटिस जारी करना प्रस्तावित किया ,एक करोड़ का घोटाले में महज एक लाख पिचनवे हज़ार रुपये की वसूली के प्रस्ताव से एक बार फिर मुख्य चिकित्सा विभाग और इन आर एच एम संदेह के घेरे में आ गया ,

उच्च स्तरीय जांच। । इस प्रकरण की पुनः जांच निदेशालय द्वारा  निष्पक्ष प्रशसनिक अधिकारी से कराई जानी चाहिए ताकि पुरे मामले का खुलासा होने के साथ दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही हो सके 

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