सोमवार, 8 सितंबर 2014

केयर्न इंडिया द्वारा सरकारी ख़ज़ाने में 35 हज़ार करोड़ रूपये का योगदान

राजस्थान के तेल भंडारों ने उत्पादन के पांच साल पूर्ण किये
केयर्न इंडिया द्वारा सरकारी ख़ज़ाने में 35 हज़ार करोड़ रूपये का योगदान 

केयर्न इंडिया द्वारा संचालित बाड़मेर के तेल भंडारों ने उत्पादन के पांच वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। इस अवधि में यहाँ से उत्पादित हाइड्रोकार्बन उत्पादों पर टैक्स और प्रॉफिट पेट्रोलियम के रूप में सरकार को 35 हज़ार करोड़ का योगदान मिला है।
केयर्न ने बाड़मेर में स्थित भारत के सबसे बड़े ज़मीनी तेल भंडार मंगला से 29 अगस्त 2009 को पेट्रोलियम उत्पादन शुरू किया और गत पांच वर्षो से यहाँ अनवरत उत्पादन जारी रहा। जानकारी के मुताबिक इस अवधि के दौरान मंगला तथा बाड़मेर बेसिन के अन्य तेल क्षेत्रों ने सरकारी ख़ज़ाने में लगभग पैंतीस हज़ार करोड़ रुपए का योगदान दिया है जो कि विभिन्न करों तथा प्रॉफिट पेट्रोलियम के रूप में हुआ है।
यहाँ से हुए तेल उत्पादन ने गत वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक भारत के तेल आयत बिल में एक लाख उन्नीस हज़ार करोड़ (लगभग 22 अरब डॉलर) की कटौती की है। भारत जैसे देश के लिए, जहाँ हम अपनी तेल ज़रूरतों का 80 प्रतिशत आयातित तेल से पूरा करते हैं, बाड़मेर के तेल भंडार घरेलू तेल उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत उत्पादित कर महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
राष्ट्र के राजस्व में योगदान के अलावा मंगला की खोज और उत्पादन ने इस क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य को भी बदल डाला है। काम वर्षा और अकाल से प्रभावित फसलों के क्षेत्र में आज आर्थिक विकास और बदलाव सहज ही महसूस किया जा सकता है। स्थानीय समुदाय ने भी उद्यमिता के सहज स्वभाव के चलते इसमें अपना योगदान दिया है। सन 2003 तक दो छोटे होटल वाला बाड़मेर शहर आज छोटे बड़े 18 होटल सहित स्वागत को तैयार है।
2009 में शुरुआत से अब तक राजस्थान के थार रेगिस्तान में स्थित इन विश्वस्तरीय तेल भंडारों से कुल 24 करोड़ बैरल तेल उत्पादित किया जा चुका है। जानकारी के मुताबिक इस ब्लॉक में हुयी 36 तेल खोजों के साथ ही उल्लेखनीय गैस भंडारों की उपस्थिति भी ज्ञात हुयी है। एक आंकलन के अनुसार इस ब्लॉक में एक से तीन खरब घन फ़ीट गैस उपस्थित है जिसमें से आधी से अधिक उत्पादित की जा सकती है।
वर्तमान में केयर्न रागेश्वरी डीप गैस फील्ड से लगभग 80 से 90 लाख घन फ़ीट गैस प्रतिदिन उत्पादित कर रहा है। इसे वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंत तक दुगुने से अधिक बढ़ाते हुए लगभग 2.2 करोड़ घन फ़ीट प्रतिदिन करने और वित्तीय वर्ष 2016 तक इसको 9 करोड़ घन फ़ीट प्रतिदिन के स्तर पर ले जाने की योजना है।

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