मंगलवार, 12 अगस्त 2014

न्यूयार्क, लंदन।अब कभी बंद नहीं होगी आपके दिल की धड़कन!

न्यूयार्क, लंदन। शोधकर्ताओं ने उस अणु की खोज कर ली है जो ह्वदयाघात के लिए जिम्मेदार प्रोटीन की गतिविधियों पर लगाम लगाता है। Now heart will keep beating forever
हाल में खोजा गया "मायहार्ट" नामक यह नॉन कोडिंग आरएनए दिल में मौजूद बीआरजी1 नामक उस प्रोटीन की गतिविधियों पर लगाम लगाता है जो तनाव के समय सक्रिय होता है।

इससे दिल की धड़कन टूटने से रोकने का प्रभावी इलाज जल्द ही अस्तित्व में आ सकता है।

पत्रिका नेचर में ऑनलाइन प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, अमरीका में इंडियाना युनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर चिंग-पीन चांग ने कहा, मुझे लगता है, मायहार्ट (मायोसिन हेवी-चेन-एसोसिएटेडआरएनए ट्रांसक्रिप्ट) बीआरजी1 प्रोटीन बनाने वाले डीएनए को निष्क्रिय कर देता है।
इससे दिल की कार्यशैली प्रभावित करने वाला प्रोटीन (बीआरजी1) नहीं बन पाता और दिल को कोई नुकसान नहीं होता।

क्या है कारण

जब किसी वयस्क मनुष्य के ह्वदय में तनाव उत्पन्न होता है, जैसे उच्च रक्त चाप या ह्वदयाघात से हुआ नुकसान, तो बीआरजी1 प्रोटीन सक्रिय हो जाता है और दिल की कार्यशैली को प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप ह्वदय गति रूक जाती है।

उन्होंने कहा, हार्ट फेल होने से रोकने के लिए मायहार्ट अणु के स्तर को बनाए रखना होगा, ताकि बीआरजी1 को सक्रिय होने से रोका जा सके।

इस जीन से दिल की बीमारी छूमंतर

वैज्ञानिकों ने उस जीन को खोज लिया है, जो मानव शरीर में रक्त नलियों के निर्माण के लिए जिम्मेदार है।

इससे कैंसर और ह्वदय रोगों के नियंत्रण में चिकित्सकों को सहायता मिलने की उम्मीद है।

ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के प्रोफेसर डेविड बीच ने कहा, "शरीर में रक्त नली का निर्माण शुरूआती दौर में नहीं होता, बल्कि इसका निर्माण नदी के निर्माण की ही तरह होता है।

मतलब शरीर में रक्त दौड़ने के बाद ही रक्त नलियों का निर्माण शुरू होता है।"

जीन देता है निर्देश

निष्कर्ष के मुताबिक, पीजो 1 नामक यह जीन शरीर को संदेश देता है कि शरीर में रक्त बहाव सही रूप से हो रहा है, साथ ही यह नई रक्त नलियों के निर्माण का संकेत देता है।

बीच कहते हैं, "जींस एक प्रोटीन को रक्त नलियों का जाल बनाने का निर्देश देता है, जो रक्त बहाव के कारण यांत्रिक तनाव के प्रतिक्रिया स्वरूप पूरी तरह खुल जाती है और एक विकसित रक्त नली का रूप ले लेती है।"

कैंसर को भी मिलेगी मात

इस महत्वपूर्ण खोज के बाद वैज्ञानिक इस जीन में हेरफेर के बाद इसका प्रभाव कैंसर जैसी घातक बीमारी पर देखना चाहते हैं, क्योंकि कैंसर कोशिकाओं को वृद्धि के लिए रक्त की आवश्यकता होती है।

वहीं इसके प्रभाव का ह्वदय रोगों पर भी अध्ययन की योजना है, जिसमें रक्त नलियों में पपड़ी जम जाती है, जिसके कारण रक्त के बहाव में परेशानी होती है।

स्टेम सेल से स्ट्रोक के मरीजों को फायदा

लंदन के इंपीरियल कॉलेज के वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल पद्धति की सुरक्षा की जांच के लिए किए गए शुरूआती प्रयोग में स्ट्रोक का शिकार हुए पांच लोगों की अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में खास तरह के स्टेम सेल्स डाले।

इन्हें दिमाग में सीधे जाने वाली नस के जरिए क्षतिग्रस्त हिस्से में पहुंचाया गया।

इन पांच लोगों में से चार को गंभीर स्ट्रोक पड़ा था।

वह बोलने में अक्षम हो गए थे और शरीर का एक हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था।

ऎसे स्ट्रोक से मरने वालों और विकलांग होने वालों की दर ज्यादा होती है।

लेकिन छह महीने पूरे होते-होते चार में से तीन खुद अपनी देखभाल करने लगे थे। थोड़ी मदद से सभी चलने और रोजमर्रा के काम करने लगे।

हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी इसके लिए व्यापक अध्ययन की जरूरत है। - 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें