शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

इन 10 कारणों से अद्भुत है कृष्ण की नगरी द्वारिका

दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में एक है द्वारिका: दुनिया भर के इतिहासकार मानते रहे हैं कि ईसापूर्व भारत में कभी कोई बड़ा शहर नहीं था। परन्तु द्वारिका की खोज ने दुनिया के इतिहासकारों को फिर से सोचने के लिए विवश किया। कार्बन डेटिंग 14 के अनुसार खुदाई में मिली द्वारिका की कहानी 9,000 वर्ष पुरानी है। इस शहर को 9-10,000 वर्षो पहले बसाया गया था। जो लगभग 2000 ईसापूर्व पानी में डूब गई थी। -  

Know 10 hidden facts of Dwarka - the city of Krishna

समुद्र में धरती से 36 मीटर की गहराई पर स्थित है शहर: ऎतिहासिक द्वारिका समुद्र में 36 मीटर की गहराई पर स्थित है। यहां पर पानी की तेज धारा बहती है जिसके चलते रिसचर्स को अध्ययन में काफी समस्याओं का सामना क रना पड़ा। यहां पर बड़े, विशालकाय और भव्य भवनों की संरचनाएं मिली है जिससे इस प्राचीन शहर की भव्यता का सहज ही अंदाजा होता है। - 

लंबे समय तक छिपी रही द्वारिका: 1980 के दशक तक भारतीयों को भी पता नहीं था जिस द्वारिका में जाकर वह भगवान श्रीनाथजी के दर्शन करते हैं वह वास्तविक द्वारिका नहीं है बल्कि अलग है। 1980 के दशक में भारत सरकार ने जीएसआई के नेतृत्व में समुद्र में एक रिसर्च सर्वे करने का निर्णय लिया इस रिसर्च के दौरान ही खंभात की खाड़ी में ली गई रडार स्कैन इमेजेज से पानी में डूबी हुई द्वारिका की पहली झलक दुनिया को दिखाई दी।
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5 मील लंबे और 2 मील चौड़े क्षेत्रफल में बसी हुई थी द्वारिका: एक मानचित्र की तरह प्रतीत होने वाली इन इमेजेज में एक 5 मील लंबे तथा 2 मील चौड़े क्षेत्रफल में व्यस्थित तरीके से मानव निर्मित संरचनाएं दिखाई दी जिस पर भारत सरकार ने प्रोफेशनलस की टीम बना कर अध्ययन करने का निर्णय लिया। इस टीम ने पानी की गहराई में जाकर डूबे हुए शहर की फोटोग्राफ्स ली और विस्तृत अध्ययन किया। इसके बाद ही द्वारिका को उसका गौरव मिल सका और भारतीयों समेत दुनिया भर के इतिहासकारों ने मानव इतिहास की एक अनूठी और भव्य खोज माना। -  

द्वारिका की भूमि पर कृष्ण ने किया था युद्ध: महाभारत के अनुसार द्वारिका की भूमि कृष्ण और राजा शाल्व के बीच हुए युद्ध का भी गवाह बनी थी। इस युद्ध में राजा शाल्व ने कृष्ण पर उड़ते हुए विमान में बैठकर हमला किया था। उसके चलाए अस्त्र से घातक ऊर्जा निकली जिसने आसपास का सभी कुछ नष्ट कर दिया। इसके जवाब में कृष्ण ने अपने शस्त्र चलाए जो दिखने में साधारण तीर थे परन्तु उनसे सूर्य जैसी प्रचंड ऊर्जा निकल रही थी। इन शस्त्रों के प्रयोग से राजा शाल्व हार गया और उसे मैदान से भागना पड़ा। -  

कालयवन और जरासंध से मथुरावासियों को बचाने के लिए बसाई थी द्वारिका: मथुरा पर लंबे समय तक यादवों के प्रबल शत्रु जरासंध तथा कालयवन के हमले होते रहे। 17 बार इन हमलों का जवाब देने के बाद कृष्ण ने समुद्र से कुछ जमीन मांगी। समुद्र ने वासुदेव को प्रभास पाटन (वर्तमान के सोमनाथ शहर) से 20 मील दूर समुद्र में थी। हरिवंशपुराण में द्वारिका को वारि दुर्ग (पानी का किला) कहा गया है। इससे स्पष्ट होता है कि द्वारिका वास्तव में समुद्र में स्थित एक द्वीप थी जहां से निकटस्थ जगहों पर पहुंचने के लिए नावों का सहारा लिया जाता था। -  

देवताओं के वास्तुकार विश्वकर्मा ने बनाया था नक्शा: कृष्ण के आदेश देने पर देवताओं के वास्तुकार विश्वकर्मा ने द्वारिका की बसावट का नक्शा बनाया। उन्होंने सोने, चांदी, पत्थर तथा अन्य धातुओं से भवनों का निर्माण किया। निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद कृष्ण ने योगमाया का आश्रय लेकर सभी मथुरावासियों को रात में सोते हुए द्वारिका पहुंचा दिया और सभी को उनकी योग्यता के हिसाब से रहने के स्थान प्रदान किए। - 

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