रविवार, 6 जुलाई 2014

राजीव गांधी के हत्यारों पर नरमी नहीं दिखाएगी मोदी सरकार



केंद्र सरकार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को छोड़े जाने के तमिलनाडु सरकार के फैसले का विरोध जारी रखेगी। नरेंद्र मोदी सरकार भले ही कांग्रेस और यूपीए के खिलाफ जोरदार संघर्ष के बाद सत्ता में पहुंची है लेकिन उसने पॉलिटिकल मतभेदों से अलग इस अहम मुद्दे पर यूपीए के स्टैंड को कायम रखने का फैसला किया है।
Rajiv
19 फरवरी को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने राजीव गांधी की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सात लोगों को रिहा करने का फैसला किया था। यूपीए सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। फिलहाल इनकी रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्टे लगा है।

बीजेपी जहां एक ओर कांग्रेस के खिलाफ कड़े और तीखे संघर्ष के बाद सत्ता में आई है, वहीं वह एआईडीएमके सुप्रीमो जयललिता से अच्छे संबंध भी बनाना चाहती है। फिर भी उसने आतंक और अपराध के खिलाफ अपने कड़े रुख पर कायम रहने का फैसला किया है। उस समय भी अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद जैसे नेताओं ने तमिलनाडु सरकार के कदम का विरोध किया था। अब मोदी सरकार में अरुण जेटली रक्षा और वित्त जबकि प्रसाद कानून जैसे अहम मंत्रालय संभाल रहे हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के सात में तीन आरोपियों को पहले फांसी की सजा हुई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिकाओं में काफी देरी के कारण उनकी सजा कम करके उम्रकैद में बदल दी थी। इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने सातों आरोपियों की बाकी की सजा माफकर उन्हें रिहा करने का फैसला किया था। केंद्र सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि एक पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या देश के खिलाफ अपराध है। साथ ही यह भी दलील दी गई थी कि इन हत्यारों और साजिशकर्ताओं ने कोई अफसोस नहीं दिखाया है।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सवाल उठाया था कि अगर इस देश में एक प्रधानमंत्री के हत्यारों को छोड़ दिया जाता है तो आम आदमी कैसे न्याय की उम्मीद कर सकता है। 25 अप्रैल को कोर्ट ने इस मामले को 5-सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया था। मंगलवार को पीठ इस बात पर सुनवाई करेगी कि इन दोषियों को छोड़ना तमिलनाडु सरकार के अधिकार क्षेत्र में है या नहीं। इसके अलावा वह फांसी की सजा को कम करने पर आजीवन कारावास की परिभाषा पर भी विचार करेगी।

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