शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

अरूंधति राय का आरोप, जातिवादी थे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी



तिरूअनंतपुरम। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर जातिवादी होने का आरोप लगाने वाली मशहूर लेखिका अरूंधति राय ने कहा है कि अब वक्त आ गया है कि जिन संस्थानों के नाम महात्मा गांधी के नाम पर है उन्हें बदल दिया जाए। केरल यूनिवर्सिटी में महात्मा अय्यंकाली स्मृति व्याख्यानमाला में राय ने कहा कि इस प्रक्रिया की शुरूआत यूनिवर्सिटीज के नाम बदलने से की जाए।

अरूंधति राय का इशारा अग्रणी संस्थान महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी को लेकर थे। महात्मा अय्यंकाली केरल के बड़े दलित नेता माने जाते हैं। राय ने महात्मा गांधी के 1936 के लेख आदर्श हरिजन का हवाला देते हुए कहा कि इसमें वह मैला ढोने वालों को मल मूत्र से खाद बनाने की सलाह दे रहे है। इससे साबित होता है कि उन्होंने हरिजन व्यवस्था को बनाए रखने में मदद की।
Mahatma Gandhi was a casteist, Arundhati Roy says
अरूंधति राय ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में गांधी ने अश्वेत कैदियों को काफिर की उपाधि दी थी। गांधी उन्हें असभ्य और झूठ बोलने वाला मानते थे। राय ने भाजपा पर भी जातिवादी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि वाल्मिकी समाज सदियों तक समाज को साफ करने का काम किया है इसलिए वे अब आध्यात्मिक रूप से साफ हो चुके हैं।

हालांकि सेंटर फॉर गांधियन स्टडीज के समन्वयक जेएम रहीम अरूंधति की दलील से सहमत नहीं है। महात्मा गांधी की आत्मकथा सत्य के साथ मेरे प्रयोग में जिक्र की गई घटना का उदाहरण देते हुए रहीम ने कहा कि बापू ने अपनी पत्नी कस्तूरबा पर अपना मल खुद साफ करने के लिए दबाव बनाया था। उन्होंने हरिजन को मल साफ नहीं करने दिया था। जब कस्तूरबा ने इसका विरोध किया तो गांधी ने खुद मल साफ किया था।

गांधी को बिना संदर्भ के उद्धृत करना और कहना कि वह जातिवादी थे न सिर्फ छिछलापन है बल्कि यह भी बताता है कि राय उनके दर्शन को समझ ही नहीं पाई है। दक्षिण अफ्रीका में अपने साथियों के विरोध के बावजूद गांधी ने कुष्ठ रोग से पीडित दलित दंपति को अपने आश्रम में रखा था। कवि और सामाजिक कार्यकर्ता सुगाता कुमारी ने कहा कि गांधी भारतीय संस्कृति और जड़ों को गहराई तक जानते थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अरूंधति राय ने सस्ती लोकप्रियता के लिए महात्मा गांधी के बारे में ऎसा बयान दिया।

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