रविवार, 20 जुलाई 2014

गीता दत्त ने अभिनय के साथ-साथ गायकी से भी जीता दिल -



ना जाओ सैया छुड़ा के बैय्या... जैसे अनमोल गीतों को आवाज देने वाली गीता दत्त एक सुरीली गायिका होने के साथ-साथ एक बेहतरीन अदाकारा भी थी। 23 नवंबर 1930 को वर्तमान के तत्कालीन गुलाम भारत के फरीदकोट में जन्मी गीता राय एक जागीरदार परिवार से ताल्लुक रखती थी। उनकी पढ़ाई मुंबई में हुई।
Today is death anniversary of singer Geeta Dutt
मुंबई में के. हनुमान प्रसाद ने गीता की गायन प्रतिभा को पहचाना तथा उन्हें विधिवत संगीत का प्रशिक्षण देकर फिल्मों में पाश्र्व गायन के लिए तैयार किया। वर्ष 1946 में फिल्म भक्त प्रहलाद से गीता राय को हिन्दी फिल्मों में गाने का पहला अवसर मिला। इसके बाद उनकी कई फिल्में आई। फिल्म बाजी में काम करने के दौरान गीता राय और गुरू दत्त एक दूसरे के निकट आए जो बहुत जल्दी ही शादी में परिवर्तित हो गया। गीता राय शादी के बाद गीता दत्त के नाम से फिल्मों में काम करने लगी।

गीता दत्त ने फिल्मों में पाश्र्व गायन करने के साथ ही फिल्मों में मुख्य भूमिका भी निभाई तथा दर्शकों की सराहना जीती। उन्होंने अपने गायन करियर में 1200 से अधिक हिन्दी गानों को अपनी आवाज दी। इसके साथ ही उन्होंने कई मराठी, बंगाली, मैथिली, भोजपुरी तथा पंजाबी फिल्मों में भी गाने गाए।

उनके गाए गीतों में तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बनाले, आन मिलो सजना, आज सजन मोहे अंग लगालो, वक्त ने किया क्या हसीं सितम, बाबूजी धीरे चलना, मेरा नाम चिन चिन चू मुख्य हैं। फिल्म अभिनेता गुरू दत्त के साथ पारिवारिक जीवन में आई दरारों के बाद गीता दत्त डिप्रेशन में चली गई। वर्ष 1964 में गुरू दत्त के आत्महत्या करने के बाद गीता दत्त पारिवारिक तथा आर्थिक संकटों में घिर गई। अपने सिंगिंग करियर को संभालते हुए 20 जुलाई 1972 को उनकी मृत्यु हो गई।

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